लॉकडाउन : मज़दूरों को मिले राहत, मासा ने प्रधानमंत्री को भेजा ज्ञापन

अनिश्चितता और गहराते आर्थिक संकट से जूझते मज़दूरों की समस्याओं के निवारण की माँग हुई बुलंद
नई दिल्ली। मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) ने आज ईमेल द्वार भारत के प्रधानमंत्री के नाम तात्कालिक मज़दूर समस्याओं से सम्बंधित 18 सूत्रीय माँगों का ज्ञापन भेजा। जिसमें कोविड-19 (कोरोना) महामारी और लॉकडाउन के बीच देश की व्यापक मज़दूर आबादी के सामने पैदा गंभीर समस्याओं से अवगत करते हुए इसके निवारण के लिए यथाशीघ्र ठोस क़दम उठाने की माँग की गई।
हिंदी व अंग्रेजी में भेजे गए ज्ञापन में लिखा है की यह सर्वविदित है कि कोविड19 (कोरोना वायरस) एक विश्वव्यापी महामारी बन चुकी है। इसी के मद्देनज़र भारत सरकार ने 24 मार्च की मध्य रात्रि से पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन घोषित करा दिया, साथ ही रेल-बस सहित अचानक पूरे देश में परिवहन व्यवस्था ठप हो गई। इस आवश्यक क़दम से देश की मज़दूर-मेहनतकश आवाम के सामने भारी संकट भी पैदा हो गया।
रोजगार व आवास के संकट से जूझती भारी मेहनतकश आबादी अभी भी विभिन्न स्थानों पर अटकी हुई है। मेहनतकश जमात में एक अनिश्चितता का माहौल व्याप्त होने के साथ आर्थिक संकट भी काफी गहराने लगा है। हालाँकि इन स्थितियों में भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों ने कुछ घोषणाएँ भी की हैं और कुछ क़दम भी उठाएं हैं, लेकिन इन कठिन व विकट हालत में वे नाकाफ़ी हैं। अलग-अलग क्षेत्र के मज़दूरों की विशिष्टता का भी इसमें पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है।
ऐसे में मज़दूर-मेहनतकश आवाम की मौजूदा इन विकट समस्याओं को सरकार गंभीरता से ले और इनके निवारण हेतु यथाशीघ्र ठोस क़दम उठाए।
ज्ञापन में प्रेषित माँगें निम्नवत हैं-
- यह सुनिश्चित किया जाए कि गैर-ज़रूरी वस्तुओं व सेवाओं का उत्पादन करने वाली सभी फैक्ट्रियां अनिवार्य रूप से बंद हों और उनके सभी मजदूरों को इस अवधि के दौरान पूरा वेतन मिले, चाहे सीधे सरकार या फैक्ट्री मैनेजमेंट के द्वारा। यह सख्त तौर पर सुनिश्चित हो कि लॉकडाउन के कारण किसी भी मजदूर को काम से टर्मिनेट ना किया जाए और लॉकडाउन के दौरान कोई भी फैक्ट्रीया उपक्रम स्थाई रूप से बंद ना हों।
- संक्रमण के खतरे के दौरान ज़रूरी वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन के लिए चल रही फैक्ट्रियों के मजदूर की कोविड19 से मृत्यु हो जाने की परिस्थिति में परिवार को ₹50 लाख का मुआवजा दिया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि इन फैक्ट्रियों के सभी मजदूरों के लिए निःशुल्क मास्क व दस्तानों, कार्यस्थल पर हैंडवॉश व उचित सैनिटाइज़र, कार्यस्थल पर शारीरिक दूरी (फिज़िकलडिस्टेंसिंग) लागू करने व अन्य ज़रूरी बचाव व सुरक्षा के प्रबंधों का इंतजाम लागू हो और मैनेजमेंट इसकी गारंटी लिखित रूप में दे।
- लॉकडाउन की वजह से बंद हुए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) एवं छोटे नियोक्ता व ओपरेटरों, सभी मजदूरों के बंद की अवधि के लिए कुल वेतन की 80% राशि सरकार वहन करे, इस अनिवार्य शर्त पर कि लॉकडाउन की वजह से किसी भी मजदूर को टर्मिनेट ना किया जाए और सभी मजदूरों को इस अवधि के लिए पूरा वेतन मिले।
- राज्य सरकार सभी बेरोजगार हुए मजदूरों, जिसमें निर्माण मजदूर, दिहाड़ी मजदूर, आकस्मिक मजदूर, ईंट भट्ठा के मजदूर और ग्रामीण मजदूर शामिल हैं, को ₹8,000 प्रतिमाह का और सभी स्वरोजगार करने वालों, जिसमें कैब/टैक्सी/ट्रक/ऑटो/रिक्शा ड्राईवर,ड्राईवर-ऑपरेटर,स्वतंत्र ठेकेदार (इंडिपेंडेंटकांट्रेक्टर), डिलीवरी और लॉजिस्टिक कर्मचारी शामिल हैं, जो लॉकडाउन की वजह से काम नहीं कर पा रहे हों, को न्यूनतम वेतन का 80% के बराबर राशि का गुज़ारा भत्ता दिया जाए।
- मनरेगा (MGNREGA) मजदूरों की सम्पूर्ण बकाया मजदूरी का तत्काल भुगतान किया जाए और सभी मजदूरों को ₹8,000 प्रतिमाह गुज़ारा भत्ता दिया जाए।
- सभी डॉक्टरों, नर्सों, मेडिकल स्टाफ, स्वास्थ्य कर्मियों, स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े सभी मजदूरों और आशा (ASHA) कर्मियों को बचाव व सुरक्षा के लिए सभी ज़रूरी सामग्री उपकरण निःशुल्क उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित किया जाए।
- सभी सरकारी एवं प्राइवेट अस्पतालों में कोविड19 की निःशुल्क जांच की व्यवस्था की जाए। पूरे देश में व्यापक टेस्टिंग रणनीति लागू की जाए और मजदूर बस्तियों व ग्रामीण क्षेत्रों में जांच व स्क्रीनिंग के लिए स्वास्थ्य टीमें भेजी जाएँ। यह सुनिश्चित किया जाए कि मेडिकल टीमों पर कोविड19 केस की संख्या की गलत रिपोर्ट देने के लिए दबाव ना बनाया जा सके।
- पूरे देश में अस्पतालों, टेस्ट लैब, डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्य कर्मियों, आइसोलेशन बेड व सभी ज़रूरी सेवाओं के साथ क्वारंटाइन सुविधा की संख्या बढ़ाई जाए ताकि बड़े स्तर पर संक्रमण के फैलने की स्थिति में यह सुविधायें पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हों। वेंटीलेटर सुविधा, जिसकी संख्या अपेक्षा से काफ़ी कम है, को बढ़ाया जाए और इसके लिए ऑटोमोबाइल व अन्य कंपनियों को वेंटीलेटर का उत्पादन प्राथमिक तौर पर करने का आदेश दिया जाए। सरकार हथियार व अन्य गैर-ज़रूरी वस्तुओं की खरीद पर खर्च करने के बजाये स्वास्थ्य व चिकित्सा के क्षेत्र में खर्च को बढ़ाया जाए और स्वास्थ्य पर खर्च जीडीपी का कम से कम 5% किया जाए ताकि इन महत्वपूर्ण सुविधाओं का तुरंत प्रबंध हो सके।
- मुफ्त राशन की व्यवस्था राशन कार्ड धारकों के साथ सभी गरीब और ज़रूरतमंद लोगों के लिए सुनिश्चित की जाए।
- जिन मजदूरों की लॉकडाउन के समय भूख से या अपने गाँव या शहर लौटने के लिए पलायन के दौरान मृत्यु हुई है उनके परिवारों को ₹50 लाख मुआवज़े के रूप में दिया जाए।
- मजदूर बस्तियों, कॉलोनियों व ग्रामीण क्षेत्रों में मास्क, सैनिटाइज़र, दस्ताने, मेडिकल किट जिसमें सारी ज़रूरी दवाइयाँ हों, सैनिटरी नैपकिन व अन्य ज़रूरी सामान निःशुल्क वितरित करने का प्रबंध किया जाए।
- मजदूर बस्तियों व ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पीने का पानी और साफ़-सुथरे शौचालय व बाथरूम की निःशुल्क व्यवस्था की जाए।
- मजदूर बस्तियों में जीवन के हालातों को देखते हुए कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकारी स्कूलों, खाली बंगलों, भवनों, धार्मिकस्थलों की खाली पड़ी जगहों आदि को शेल्टर होम में तब्दील करके मजदूरों व बेघर लोगों को उसमें सुरक्षित रूप से शिफ्ट करवाने और रुकवाने की गुणवत्तापूर्ण व्यवस्था की जाए जब तक संक्रमण का खतरा टल नहीं जाता। इन शेल्टर होम में निःशुल्क कम्युनिटी किचन चलाये जाएँ व साफ़-सुथरे शौचालय व बाथरूम की व्यवस्था हो।
- मासिक क़िस्त व ईएमआई (EMI) के भुगतान में मिली मोहलत को 3 महीने से बढ़ाकर 6 महीने किया जाए और इस अवधि के लिए ब्याज माफ़ किया जाए।
- लोक भविष्य निधि (PPF), राष्ट्रीय बचत पत्र (NSC), किसान विकास पत्र व अन्य लघु बचत योजनाओं के ब्याज दरों में की गई कटौती को वापस लिया जाए। बड़े पूंजीपतियों, धन्नासेठों और कॉर्पोरेट घरानों पर टैक्स लगाया जाए, टैक्स दर बढ़ाए जाएँ, और उनके लिए क़र्ज़ माफ़ी व कर में कटौती पर रोक लगे।
- पुलिस को मजदूरों, बेघर लोगों, और रिक्शा, ठेले व रेहड़ी-पटरी वालों के खिलाफ किसी भी तरह की बदसलूकी और हिंसा ना करने के सख्त आदेश तत्काल दिए जाएँ। आदेश का पालन ना करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
- कोविड19 सम्बंधित ज़रूरी जानकारी, बचाव व सुरक्षा के तरीके और सरकारी राहत योजनायें जैसी ज़रूरी जानकारियों का, पर्चा वितरण व सूचना विज्ञापन जैसे ज़रियों से प्रचार-प्रसार किया जाए, ख़ास तौर से मजदूर बस्तियों और ग्रामीण क्षेत्रों में। स्वास्थ्य व राहत योजना संबंधित जानकारी पाने, पुलिस हिंसा व घरेलू हिंसा की शिकायत आदि के लिए हेल्पलाइन नंबर शुरू किये जाएँ और इनका प्रचार किया जाए।
- मीडिया द्वारा सांप्रदायिक नफरत व द्वेष को बढ़ावा देने वाली किसी भी प्रकार की ख़बरों के प्रचार पर रोक लगाने के लिए तत्काल आदेश जारी किया जाए। जब तक संक्रमण का खतरा बना हुआ है तब तक सभी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठानों व सभाओं पर रोक लगाईं जाए।
ज्ञापन में यह भी स्पष्ट किया गया है कि-
‘मजदूर’ में स्थाई मजदूरों के साथ ठेका व आकस्मिक मजदूर और ‘नेशनल एम्प्लॉयमेंटएनहांसमेंट मिशन’ (नीम) व अन्य नए रोज़गार व अप्रेंटिस योजनाओं के ट्रेनी व अप्रेंटिस शामिल हैं।
श्रम ठेकेदार (लेबरकांट्रेक्टर), ऑपरेटर, उपठेकेदार (सब कांट्रेक्टर) व दूसरी कंपनी या उपक्रम के लिए काम कर रहे अन्य ठेकेदारों/ऑपरेटरों को मांग संख्या 3 के तहत नियोक्ता/ऑपरेटर नहीं माना जाएगा, और उनके मजदूरों को प्रमुख कंपनी/उपक्रम का मजदूर माना जाएगा। तीसरी मांग में एमएसएमई के लिए बताये गए सहयोग को प्रमुख कंपनी/उपक्रम की पहचान के आधार पर ही दिया जाए. हालांकि मांग नंबर 1 सभी मामलों में लागू किया जाए।





