घरेलू कामगारों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बने कानून, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से समिति बनाने के लिए कहा

ezgif-66fb961ed7685

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि घरेलू कामगारों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कानूनी उपाय सुझाए जाएं। इसके लिए समिति का गठन किया जाए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने समिति से छह महीने में रिपोर्ट देने के लिए कहा है।

जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा, घरेलू कामगार एक आवश्यक कार्यबल हैं, बावजूद इसके उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कोई अखिल भारतीय कानून नहीं है। इसलिए वे नियोक्ताओं और एजेंसियों के शोषण का शिकार होते हैं। पीठ ने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय व संबंधित मंत्रालयों को घरेलू कामगारों पर ऐसे कानून की व्यवहार्यता पर विचार के लिए विशेषज्ञ समिति बनाने का निर्देश दिया। इस पर छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करनी होगी। पीठ ने कहा, समिति की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद केंद्र सरकार को घरेलू कामगारों की गरिमा और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए कानून लाने के लिए प्रयास करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला घरेलू कामगार को गलत तरीके से बंधक बनाने और तस्करी के आरोपों से संबंधित एक आपराधिक अपील का निपटारा करते हुए ये बातें कही।

जस्टिस सूर्यकांत ने फैसले में लिखा, घरेलू कामगारों का योगदान शहरी परिवारों के लिए अपरिहार्य है। हालांकि उनकी बढ़ती मांग के बावजूद वे शोषण और दुर्व्यवहार का शिकार होते हैं।उनमें से अधिकतर एससी, एसटी, ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों जैसे हाशिये पर पड़े समुदायों से हैं और वित्तीय तंगी के कारण उन्हें यह काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

कानून नहीं होना इनके शोषण का सीधा कारण

पीठ ने कहा कि घरेलू कामगारों के शोषण का सीधा कारण कानून नहीं होना है। भारत में घरेलू कामगार काफी हद तक असुरक्षित हैं और उन्हें कोई व्यापक कानूनी मान्यता नहीं है। यही वजह है कि उन्हें अक्सर कम वेतन, असुरक्षित वातावरण और प्रभावी उपाय के बिना लंबे समय तक काम करना पड़ता है।

इस मामले में सुप्रीम सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश देहरादून के डीआरडीओ के एक पूर्व वैज्ञानिक अजय मलिक के खिलाफ दायर आपराधिक मामले को खारिज करते हुए पारित किया। आरोप था कि मलिक ने घर में काम करने वाली महिला को काम छोड़ कर जाने से मना कर दिया था। उस व्यक्ति पर मानव तस्करी, गलत तरीके से बंधक बनाना और आपराधिक साजिश के तहत मामला दर्ज किया गया था। मलिक ने दावा किया कि नौकरानी और एजेंसी में काम करने वाले लोगों के बीच विवाद के बाद पुलिस ने उसे गलत तरीके से फंसाया। एजेंसी के माध्यम से उन्होंने नौकरानी को काम पर रखा था। वहीं नौकरानी ने एजेंसी में काम करने वाले लोगों पर दुष्कर्म का भी आरोप लगाया था। 2018 में अपने घर में नौकरानी को गलत तरीके से बंधक बनाने के आरोपी व्यक्ति ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के समक्ष अपने खिलाफ आपराधिक मामले को खारिज करने के लिए याचिका दायर की थी। आरोपी का कहना था कि उनका समझौता हो गया है। शिकायतकर्ता-नौकरानी ने भी उसके आवेदन का समर्थन किया। हालांकि हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह समझौता योग्य अपराध नहीं है। जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

भूली-बिसरी ख़बरे