कुरुक्षेत्र : जनविरोधी-कॉरपोरेटपरस्त बजट के खिलाफ प्रदर्शन, मोदी सरकार का पुतला दहन

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इस दौरान मोदी सरकार की कडे शब्दों में निंदा करते हुए वक्ताओं ने कहा कि यह बजट मनरेगा, निर्माण, खेत मजदूर, किसान, कर्मचारी, छात्र, नौजवान, महिला विरोधी है।

कुरुक्षेत्र (हरियाणा)। जन संघर्ष मंच हरियाणा व मनरेगा मजदूर यूनियन की ओर से मोदी सरकार के जनविरोधी व कॉरपोरेटपरस्त बजट 2022-23 के खिलाफ 2 फरवरी को पुराना बस स्टैंड थानेसर पर प्रदर्शन किया गया व मोदी सरकार का पुतला दहन किया गया।

प्रदर्शनकारियों को मंच के जिला सचिव चंद्र रेखा, महासचिव सुदेश कुमारी, प्रांतीय प्रवक्ता डॉक्टर लेहना सिंह, उपाध्यक्ष उषा कुमारी, मनरेगा मजदूर यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष नरेश कुमार, जिला प्रधान मेवाराम ने संबोधित करते हुये मोदी सरकार की कडे शब्दों में निंदा की और कहा कि यह बजट मनरेगा, निर्माण, खेत मजदूर, किसान, कर्मचारी, छात्र, नौजवान, महिला विरोधी है।

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मंच प्रवक्ता डा लहना सिंह ने कहा कि यह बजट पूरी तरह से गरीब विरोधी व पूंजीपतियों व  कॉरपोरेट के हक में बनाया गया निराशाजनक व निम्नस्तर का है।

मंच महासचिव सुदेश कुमारी ने  कहा कि मोदी सरकार ने जो बजट 2015 में पेश किया था और दावा किया था कि सन 2022 आजादी के अमृत महोत्सव पर सभी को रोजगार, छ: करोड घर, छत, सभी को बिजली आदि मिलेगी यानी सभी सुविधाएं मिलेंगी, वही बजट 2022 में अमृत काल के 25 साल के विजन के नाम पर पेश किया गया है।

आज लाखों लाख बेरोजगार युवा रोजगार की मांग को लेकर सड़कों पर हैं, बैंक कर्मचारी, बिजली कर्मचारी, मनरेगा मजदूर, निर्माण मजदूर, आंगनवाड़ी वर्कर हेल्पर व अन्य तबके अपनी-अपनी मांगों के लिए आंदोलन कर रहे हैं और बेरोजगारी विस्फोटक स्तर पर है।

इन समस्याओं से निपटने के लिए बजट में सरकार ने कोई प्रावधान नहीं किया है बल्कि गरीबों के ऊपर और ज्यादा बोझ बढ़ा दिया गया है और मजदूरों किसानों का गला घोट दिया गया है। जबकि कारपोरेट जगत को टैक्सों में भारी छूट दी गई है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली, रसोई गैस, एफसीआई, उर्वरक सब्सिडी शिक्षा व स्वास्थ्य आदि पर बजट घटा दिया गया है। लॉकडाउन में जिन करोड़ों लोगों के रोजगार छिन गए थे उनके लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया।

यूनियन प्रधान नरेश कुमार ने कहा कि मनरेगा बजट में सरकार ने भारी कटौती कर दी है। उन्होंने कहा कि 2020-21 में 111170 करोड मनरेगा पर खर्च किए गए थे जो घटकर 2021-22 में 98000 करोड कर दिए गए, लेकिन अब 2022-23 में और ज्यादा कटौती करके 73000 करोड रूपये कर दिया गया है। एक तरफ मोदी सरकार रोजगार देने का झूठ फैला रही है दूसरी तरफ मनरेगा जैसे मामूली रोजगार को भी खत्म कर रही है।

उन्होंने कहा कि हरियाणा में व सारे देश में  मनरेगा मजदूरों को 100 दिन का काम नही दिया जाता। मनरेगा काम मांगने के लिए मजदूरों को धरने प्रदर्शन करने पड़ते हैं, काम करने पर भी टाइम पर मजदूरी का भुगतान नहीं मिलता, बजट के अभाव में अभी काफी पैसा मनरेगा मजदूरों का बकाया है। लेकिन अब मोदी सरकार ने मनरेगा बजट घटाकर मजदूरों का गला घोट दिया है।

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मंच की जिला सचिव चंद्र रेखा ने कहा कि रसोई गैस की सब्सिडी जो 2021-22 में 12480 करोड रुपए थी अब 2022-23 में घटाकर मात्र 4000 करोड़ रूपया कर दिया गया है। और गरीब परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन देने के लिए भी बजट आधे से भी कम कर दिया गया है। रसोई गैस सिलेंडर ₹910 में मिल रहा है, गरीब महिलाएं इतना महंगा सिलेंडर नहीं भरवा सकती, उन्हें पारम्परिक तरीके से धूएं में अपना खाना बनाना पड़ रहा है।

मंच की उपाध्यक्ष उषा कुमारी ने कहा कि मोदी सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खाद्य सब्सिडी जो 2021-22 में 75290 करोड रुपए थी, उसे घटाकर 60561 करोड कर दिया है, जिससे गरीब जनता को पेट भरने के लिए और ज्यादा मुश्किल होगी। उन्होंने कहा कि हमारा देश भुखमरी में 102 वे पायदान पर है जो पाकिस्तान से भी नीचे स्तर पर है। ऐसे समय में खाद्यान्न में सब्सिडी घटाकर सरकार ने जन विरोधी काम किया है जो घोर निंदनीय है।

मनरेगा मजदूर यूनियन के जिला प्रधान मेवाराम ने मनरेगा बजट घटाए जाने पर गहरा विक्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि मोदी सरकार श्रमिक विरोधी है। उन्होने केंद्र सरकार से मांग की कि मनरेगा के लिए पर्याप्त बजट आवंटित किया जाए, मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी ₹800 की जाए, साल में 200 दिन के काम की गारंटी दी जाए, निजीकरण, ठेकाप्रथा, निगमीकरण पर रोक लगाई जाए, सभी बेरोजगारों को स्थाई रोजगार दिया जाए, सभी गरीबों मजदूरों को आवास, मुफ्त शिक्षा व इलाज की गारंटी दी जाए।

प्रदर्शन में सतीश, पूजा, कोमल, सोनिया, रामकुमार सारसा, रोशन लाल, मांगेराम, विमला देवी सुनीता देवी, सीमा देवी, बलकार, पृथ्वी आदि शामिल रहे।

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