कोलकाता: मज़दूर-विरोधी नीतियों के खिलाफ मासा की “राजभवन चलो” रैली, सड़क पर उतरे मज़दूर

मज़दूर विरोधी श्रम कोड रद्द करने; निजीकरण, महंगाई-बेरोजगारी, ठेका प्रथा, सांप्रदायिक नफरत की घिनौनी राजनीति पर रोक आदि माँग। देशभर में 8 फरवरी को होगा “मजदूर प्रतिरोध दिवस”।
कोलकाता। मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) के “राजभवन चलो” आह्वान के तहत पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के मौलाली मोड़ पर विरोध सभा के बाद धर्मतला तक सड़कों पर जोरदार रैली हुई और राज्यपाल को ज्ञापन दिया गया।
इस दौरान मजदूर विरोधी 4 श्रम कोड तुरंत रद्द करो, शिक्षा-स्वास्थ्य व सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण बंद करो, महंगाई और बेरोजगारी पर रोक लगाओ, ठेका प्रथा ख़त्म करो, सभी के लिए स्थायी और सुरक्षित रोज़गार सुनिश्चित करे करो, न्यूनतम वेतन ₹ 26,000/- प्रति माह सुनिश्चित करो, सांप्रदायिक नफरत की घिनौनी राजनीति को ख़त्म करो, मज़दूर एकता ज़िन्दाबाद, इंकलाब ज़िन्दाबाद, दुनिया के मज़दूरों एक हो आदि नारों के साथ मज़दूरों की आवाज बुलंद हुई।

उल्लेखनीय है कि देश भर के भिन्न संघर्षशील श्रमिक संगठनों/यूनियनों के साझा मंच ने मासा ने आगामी 8 फरवरी को मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ और मेहनतकश जनता की उचित मांगों पर देश भर में विभिन्न राज्यों की राजधानियों, औद्योगिक क्षेत्रों और विभिन्न जिला मुख्यालयों में एक साथ “मजदूर प्रतिरोध दिवस” का ऐलान किया है।
20 जनवरी को कोलकता में आयोजित रैली इसी आह्वान का एक हिस्सा था।

इसी के तहत विभिन्न क्षेत्रों (जैसे जूट मिलों और चाय बागानों, कोयला खदानों, मनरेगा और मिड-डे मील योजना के श्रमिक, गिग श्रमिक, घरेलू कामगार, परिवहन श्रमिक, बीएसएनएल, ओएनजीसी, आईएससीओ के ठेका श्रमिक, आईटी क्षेत्र के कर्मचारी) की शहरी, औद्योगिक और ग्रामीण मेहनतकश जनता घरेलू व विदेशी पूंजीपतियों और फासीवादी ताकतों द्वारा मजदूर-मेहनतकश जमात पर किए जा रहे हमलों के विरोध में सड़कों पर उतर कर मेहनतकश जनता के लिए सम्मानजनक जीवन और वास्तविक लोकतंत्र के लिए आवाज उठाई गई।

कार्यक्रम की शुरुआत दोपहर 1 बजे कोलकाता के मौलाली मोड़ पर एक विरोध सभा के साथ हुई और फिर राजभवन, धर्मतला की ओर एक रैली आयोजित की गई। एक प्रतिनिधि मंडल डिमांड चार्टर के साथ राज्यपाल से मिलने गया, और सभा धर्मतला में जारी रही।
राज्यपाल से मिलने गया प्रतिनिधि मंडल उप सचिव द्वारा 29 जनवरी को दोबारा मिलने और मांगों को सुनने का आश्वासन मिलने के बाद वापस आया।

इस दौरान मजदूरों द्वारा चार श्रम संहिताओं के कार्यान्वयन के खिलाफ आंदोलन जारी रखने के नारों और शपथ से माहौल गूंज उठा। वक्ताओं ने बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, सांप्रदायिकता और बुनियादी अधिकारों के क्षरण के सामने श्रमिक वर्ग के जीवन की दुर्दशा पर प्रकाश डाला और शासक वर्गों के खिलाफ अटूट संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया।

सभा को कॉम. कन्हाई बरनवाल (आईएफटीयू सर्वहारा), कॉम. अमिताव भट्टाचार्य (एसडब्ल्यूसीसी), कॉम. अख्तर हुसैन (टीयूसीआई), लाल झंडा मजदूर यूनियन के कॉमरेड, कॉम. आशीष दासगुप्ता (आईएफटीयू), कॉम. अभिजीत रॉय (AWBSRU), कॉम. आशीष कुसुम घोष (एनटीयूआई), कॉम. अरिंदम बनर्जी, कॉम. सुमेंद्र तमांग (हिल प्लांटेशन इम्पालाइज यूनियन), कॉमरेड. अमल रॉय (चाय बागान श्रमिक कर्मचारी यूनियन), कॉम. बीरन फुल सिंघा (उत्तर दिनाजपुर मिड डे मील कुक एंड हेल्पर्स यूनियन) आदि मज़दूर प्रतिनिधियों ने संबोधित किया।

प्रदर्शन की मुख्य माँगें-
- 4 मजदूर विरोधी श्रम कोड तुरंत रद्द करो!
- शिक्षा-स्वास्थ्य व सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण बंद करो!
- महंगाई और बेरोजगारी पर अंकुश लगाओ!
- ठेका प्रथा ख़त्म करो, सभी के लिए स्थायी और सुरक्षित रोज़गार सुनिश्चित करे करो!
- न्यूनतम वेतन ₹ 26,000/- प्रति माह सुनिश्चित करो!
- सांप्रदायिक नफरत की घिनौनी राजनीति को ख़त्म करो!
