जहां कर्नाटक सरकार ने बहाल की ओल्ड पेंशन स्कीम; वहीं राजस्थान सरकार खत्म करने की तैयारी में

कर्मचारियों के संघर्ष से राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब, झारखंड, हिमाचल के बाद कर्नाटक की गैर भाजपा सरकारों ने ओपीएस बहाल की। तो राजस्थान भाजपा सरकार इसे खत्म करने की तैयार में है।
कर्नाटक में सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली सरकार ने नई पेंशन योजना (एनपीएस) को रद्द करने और प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू करने का आदेश जारी कर दिया है। राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर कहा है कि अप्रैल 2006 से पहले नियुक्त सरकारी कर्मचारियों को ओपीएस के दायरे में लाया जायेगा।
राज्य सरकार के इस फैसले से सभी 13,000 एनपीएस कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि ओपीएस केवल उन्हीं कर्मचारियों पर लागू होगा जो अप्रैल 2006 से पहले भर्ती हुए थे। इसी के साथ पुरानी पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए छह शर्तें लगाई गई हैं।
ओपीएस में लागू होंगी ये 6 शर्तें
- सरकारी कर्मचारियों को खुद ही पुरानी पेंशन योजना में शामिल होने के लिए सहमत होना होगा।
- केवल अप्रैल 2006 से पहले भर्ती अधिसूचना के माध्यम से चयनित कर्मचारी ही इसके पात्र होंगे।
- यदि कोई पुरानी पेंशन योजना में हैं तो दोबारा बदलने की अनुमति नहीं होगी।
- यदि कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना के तहत नहीं आते हैं, तो वे नई राष्ट्रीय पेंशन योजना में बने रहेंगे।
- पुरानी पेंशन योजना के लिए आवेदन केवल 30 जून 2024 तक करना होगा।
वोट फॉर ओपीएस का अभियान का असर
पुरानी पेंशन योजना बहाली के लिए केन्द्रीय कर्मचारियों से लेकर विभिन्न राज्यों के सरकारी कर्मचारी व शिक्षक लगातार आंदोलित हैं। बीते कुछ वर्षों से ओपीएस बहाली आंदोलन लगातार मुखर होता गया है।
इसी क्रम में विधानसभा चुनाव से पहले सरकारी कर्मचारियों ने वोट फॉर ओपीएस का अभियान चलाया था। ऐलान किया था कि हम उस पार्टी को वोट देंगे जो एनपीएस को रद्द कर पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करेगी। उस वक़्त कर्नाटक में कांग्रेस ने सत्ता में आने पर मांग को पूरा करने का वादा किया था।
कई गैर भाजपा राज्य सरकारों ने किया ओपीएस बहाल
कर्मचारियों के लगातार आंदोलनों के बीच कुछ गैर भाजपा राज्य सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का फैसला किया था। जिसमें राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब, झारखंड और हिमाचल प्रदेश अहम हैं। सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने भी सितंबर, 2023 में राज्य कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना वापसलाने की घोषणा की थी। अब कर्नाटक सरकार ने भी ऐलान कर दिया।
राजस्थान की नई भाजपा सरकार खत्म करने की तैयारी में
अभी हालिया चुनाव के बाद राजस्थान में सत्ता परिवर्तन से भाजपा सरकार बनी है। भाजपा का ओपीएस विरोध स्पष्ट है। चुनाव के समय भी भाजपा इस मुद्दे पर चुप्पी साढ़े रही। अब नई सरकार ओपीएस बहाली के पुराने फैसले को पलटने की जुगत में है, लेकिन लोक सभा चुनाव की आसन्नता से सीधी वार करने से बचना चाहती है। ऐसे में चोर दरवाजे से राह निकाल रही है।
दरअसल, राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से सहायक कृषि अनुसंधान अधिकारी के पद पर चयनित 25 अभ्यर्थियों की सूची जारी की गई, जिसमें नियुक्तियों की शर्तों में नई अंशदायी पेंशन योजना लागू होने का जिक्र किया गया था। नियुक्ति पत्र में दी गई शर्तों में कहा गया था कि इन कर्मचारियों को अंशदायी पेंशन योजना वित्त विभाग के परिपत्र 29 जनवरी 2004 और 13 मार्च 2006 के अनुसार लागू होगी। बाद में कृषि विभाग की ओर से ही एक और आदेश जारी किया गया, जिसमें नियुक्ति की शर्तों में क्रम संख्या 2 पर अनुच्छेद योजना लागू करने के बिंदु को विलोपित करने की बात थी।
यानी अंशदायी पेंशन योजना लागू करने की शर्त को विभाग ने विलोपित कर दिया। लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि आखिर इन अधिकारियों पर कौन सी पेंशन योजना लागू होगी। ऐसे में कर्मचारी यही मान कर चल रहे हैं कि सरकार अब नई पेंशन योजना लागू करने की तैयारी कर रही है। आदेश के वायरल होने फिर एनपीएस कटौती के आदेश विलोपित किए जाने को लेकर कर्मचारी संगठन नाराज है।
क्या है पुरानी और नई पेंशन योजना का फ़र्क
पुरानी पेंशन योजना के तहत सेवनिवृत कर्मचारी को अनिवार्य पेंशन का अधिकार मिलता है। सेवनिवृति के बाद उनको कर्मचारी की तरह लगातार महंगाई भत्ता समेत अन्य भत्तों का लाभ भी मिलता है। जबकि साल 2004 से लागू हुई नई पेंशन योजना का निर्धारण कुल जमा राशि और निवेश पर आए रिटर्न के अनुसार होता है, यानि शेयर बाजार पर आधारित हो जाता है।
पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी के वेतन से कोई कटौती नहीं होती थी। एनपीएस में कर्मचारियों के वेतन से 10% की कटौती की जाती है। ओपीएस में जीपीएफ की सुविधा होती थी, लेकिन नई स्कीम में इसकी सुविधा नहीं है। ओपीएस में सेवनिवृति के समय के वेतन की करीब आधी राशि पेंशन के रूप मिलती थी, जबकि एनपीएस में निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है। पुरानी पेंशन एक सुरक्षित योजना है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है। वहीं, नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जिसमें बाजार की चाल के अनुसार भुगतान किया जाता है।