कर्नाटक: भाजपा सरकार ने विदेशी कंपनियों से मिलकर श्रम कानूनों को मालिकों के हित में बदला

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सरकार ने नया श्रम कानून पारित करके 12 घंटे की शिफ्ट में काम कराने और महिलाओं को भी रात में काम करने की अनुमति देता है। ओवरटाइम घंटे तीन महीने में 75 से बढ़ाकर 145 किया।

दक्षिणी राज्य कर्नाटक में उद्योग अब श्रमिकों के लिए काम के घंटों को एक दिन में 12 घंटे तक बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, महिलाओं के लिए रात के समय काम करने की अनुमति देने के लिए नियमों में ढील दी जा रही है।

ये बदलाव राज्य विधानसभा द्वारा फैक्ट्रीज (कर्नाटक संशोधन) विधेयक, 2023 को पारित करने के बाद आए हैं, ताकि कर्नाटक में उद्योगों पर फैक्ट्रीज एक्ट, 1948 के प्रावधानों को पूंजीपतियों के पक्ष में उदार बनाया जा सके। कर्नाटक में फ़िलहाल भाजपा सत्ता में है।

कर्नाटक के श्रम कानून में हुआ ये संशोधन उद्योग जगत के लॉबी समूहों और ऐप्पल और फॉक्सकॉन जैसी अंतरराष्ट्रीय फर्मों द्वारा मांगे गए मनचाहे सुधारों की सूची में शामिल हैं। फॉक्सकॉन, एप्पल उत्पादों के लिए एक प्रमुख घटक आपूर्तिकर्ता है और पड़ोसी राज्य तमिलनाडु में फॉक्सकॉन का प्लांट है और हाल ही में एप्पल और फॉक्सकॉन द्वारा कर्नाटक में 300 एकड़ में एक नया कारखाना स्थापित करने की चर्चा में थी। तमिलनाडु की स्थिति फॉक्सकॉन प्लांट में कार्य की स्थितियों और शोषण के खिलाफ आवाज उठाई थी जो हिंसक प्रदर्शन में बदल गई थी।

श्रम कानूनों में प्रस्तावित नए नियम के तहत, कर्नाटक के उद्योगों में श्रमिकों के लिए अधिकतम काम के घंटे एक दिन में 12 घंटे होंगे, लेकिन सप्ताह में 48 घंटे का कार्य दिवस ही होगा ।

इसका मतलब है कि श्रमिकों के लिए 4-दिन या 5-दिवसीय कार्य सप्ताह लागू किया जा सकता हैं जो प्रबंधन को प्रोडक्शन की ज़रूरत के हिसाब से श्रमिकों को नियंत्रित करने की छूट देता है।

तीन महीने की अवधि के दौरान ओवरटाइम के घंटे की सीमा को 75 घंटे से बढ़ाकर 145 घंटे कर दिया गया है। महिलाओं को अब नाइट शिफ्ट में शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक काम करने की अनुमति होगी ।

श्रम कानूनों में इन संशोधन के समर्थन में कर्नाटक सरकार ने तर्क दिया है कि इससे विदेशी निवेश प्राप्त करने में, कोरिया, चीन और ताइवान जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने की क्षमता का विकास होगा और और कर्नाटक विदेशी निवेश के लिए पहली पसंद के रूप में चिन्हित हो रहा है।

गौरतलब है कि वर्तमान मोदी सरकार द्वारा 2014 में सत्ता के आने के बाद से ही 44 श्रम कानूनों को समेटकर 4 श्रम सहिंताओं में बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी जिनमें पूंजीपतियों की एक मुख्य मांग 8 घंटे के कार्य दिवस को बढ़ाकर 12 घंटा करनी थी।

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