कन्नौज रेलवे स्टेशन हादसा, जिम्मेदार कौन: 13 करोड़ की लागत, चपेट में 46 मज़दूर, कई गंभीर

अमृत भारत योजना के तहत स्टेशन का नवीनीकरण किया जा रहा था। स्थानीय लोगों के अनुसार निर्माण कार्य में सुरक्षा मानकों की अनदेखी की गई, जिसके चलते यह हादसा हुआ।
उत्तरप्रदेश के कन्नौज जिले में निर्माणाधीन रेलवे स्टेशन का लिंटर गिरने से दर्जनों मज़दूर दाब गए। इस रेलवे स्टेशन का निर्माण अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 13 करोड़ रुपए की लागत से हवाई अड्डे की तरह विकसित किया जा रहा था। हादसे के समय लगभग 50 मजदूर काम कर रहे थे। जैसे ही लिंटर भरभरा कर गिरा उसकी चपेट में 46 मजदूर आ गए।
खबर लिखने तक हादसे में घायलों की संख्या 25 हो गई है। 2 घायल मजदूरों की जिला अस्पताल से छुट्टी हुई। 13 मजदूरों का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है। 10 गंभीर घायलों की मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। मलबे में अभी भी कुछ मजदूर दबे होने की आशंका है। एसडीआरएफ द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है।
कैसे हुई घटना?
खबर के मुताबिक भोजन अवकाश के बाद मजदूरों ने लेंटर ढलाई का काम शुरू किया। सीमेंट-गिट्टी का मसाला जैसे ही लिफ्ट मशीन से ऊपर पहुंचाया गया था कि तभी अचानक वजन बढ़ने से चट-चट की आवाज के साथ बल्लियां टूटने लगीं, तेज आवाज के साथ धमाका हुआ।
तेज धमाके के साथ आसपास धुएं का गुबार उठा। ट्रेन का इंतजार कर रहे यात्रियों में भगदड़ मच गई। चीख-पुकार सुनकर कुछ लोग घटनास्थल की ओर दौड़े तो कुछ लोग रेलवे स्टेशन से बाहर। आनन-फानन से आसपास के लोग इकट्ठा हो गए, राहत बचाव दल मौके पर पहुंचा।
और भी मज़दूर अभी दबे हैं
रेलवे स्टेशन हादसे में रेलवे कि रेस्क्यू टीम भी पहुंच गई हैं। अब एसडीआरएफ के साथ रेलवे टीम भी रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गई है। यह टीम जल्दी से जल्दी पूरा लेंटर काटकर निर्माणाधीन रेलवे स्टेशन बिल्डिंग के दबे मजदूरों को बाहर निकालेगी क्योंकि अभी मलवे में मजदूरों के दबे होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
समय से पूरा कराने की जल्दीबाजी
रेलवे स्टेशन के मुख्य भवन का निर्माण पांच मई 2024 को शुरू कराया गया था और पूरा होने की अंतिम तिथि आठ नवंबर 2024 थी, इस कारण जल्दबाजी में काम कराया जा रहा था। मौसम खराब होने के बावजूद लगातार तीन दिनों से लेंटर की ढलाई की जा रही थी। सीमेंट सूख न पाने से उसका पूरा वजन शटरिंग पर ही आ रहा था। इसके बावजूद लेंटर और उसके कालम की शटरिंग में साधारण प्लाई और बल्लियां लगाई गई थीं। शायद यही लेंटर ढहने का कारण बना।
भाजपा राज का सुशासन!
सूचना है कि ये ठेका तत्कालीन सांसद सुब्रत पाठक के साझे में है और इस ठेके के भ्रष्टाचार में विधायक/मंत्री असीम अरुण और कन्नौज के कुछ भाजपा नेता भी शामिल हैं। अधिक से अधिक कमीशनखोरी के लिए ठेकेदारों पर दबाव बनाकर खराब गुणवत्ता का काम करवाया जा रहा है।
असीम अरुण पर ऑन ड्यूटी रहते हाईटेक कैमरे और हाईटेक पुलिस के नाम पर कमीशन खाने का आरोप रहा है। अब सुब्रत पाठक के साथ साझेदारी में इस काम में कमीशन लेने का आरोप लगा है, जिससे काम की गुणवत्ता प्रभावित हुई और ये दुर्घटना घटी।
गौरतलब है कि भाजपा सरकार में लिंटर, पुल, बिल्डिंग गिरने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। ‘साफ़-सुथरी सरकार’ के कारनामे ऐसे कि आनन-फानन में अयोध्या में जिस राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई, वह भी चुने लगा, नवनिर्मित भव्य संसद भवन में रिसाव की खबर आई। क्या उच्च स्तर से लेकर निम्न स्तर तक कमीशन/दलाली का तेजी से बढ़ नहीं रहा है?