कश्मीर पुलिस का डीएसपी देवेंद्र सिंह आतंकियों के साथ पकड़ा गया

देवेंद्र सिंह का नाम संसद हमले के आरोपी अफजल गुरु के साथ भी जुड़ा है उसके ऊपर पहले भी मानवाधिकार उल्लंघन और हिरासत में बंदियों के साथ अमानवीय व्यवहार करने, और आतंकियों से पैसा खाने के आरोप लग चुके हैं। फिलहाल इस बार ऊंट पहाड़ के नीचे आ गया है।
जम्मू कश्मीर में पुलिस उप अधीक्षक देवेंद्र सिंह को पिछले शनिवार 11 जनवरी को कुलगाम जिले के वानपोह में श्रीनगर जम्मू हाईवे पर हिजबुल मुजाहिद्दीन के दो मोस्ट वांटेड आतंकियों-सैयद नवीद मुश्ताक और रफी राठेर के साथ पकड़ा गया। इन की कार से ₹35000 नगद और AK-47 राइफल्स भी बरामद हुई है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पुलिस सूत्रों ने बताया कि यह जम्मू के रास्ते दिल्ली की ओर जा रहे थे। देवेंद्र सिंह संवेदनशील श्रीनगर हवाई अड्डे पर पदस्थापित था और एंटी हाईजैकिंग यूनिट के साथ काम कर रहा था। फिलहाल यह अपने विभाग से 4 दिनों की छुट्टी पर चल रहा था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक देवेंद्र सिंह ने गिरफ्तार किए गए आतंकियों को श्रीनगर के इंदिरा नगर स्थित बादामी बाग में अपने आवास पर पनाह दे रखी थी। इंदिरा नगर एक संवेदनशील और उच्च सुरक्षा वाला इलाका है जहां पुलिस और सेना के बड़े अधिकारी रहते हैं। पुलिस को देवेंद्र सिंह के घर छापे में दो राइफल और दो पिस्तौल बरामद हुई है। यही नहीं देवेंद्र सिंह के घर पर छापे में आर्मी बेस का नक्शा और लाखों रुपए भी बरामद हुए हैं। देवेंद्र सिंह को पिछले साल 15 अगस्त के मौके पर वीरता पदक से सम्मानित किया गया था। गौरतलब है कि उस वक्त कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू था।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तार किए गए आतंकियों में से नवीद बाबू को पुलिस अक्टूबर-नवंबर में दक्षिण कश्मीर में गैर कश्मीरी मजदूरों और ट्रक ड्राइवरों सहित 11 लोगों की हत्या के मामले में खोज रही थी। नवीद पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस के लिए एसपीओ के रूप में काम करता था और एक सप्लाई स्टोर में तैनाती के दौरान वहां से बंदूक लूट कर गायब हो गया था और फिलहाल हिज्बुल मुजाहिदीन में प्रभावशाली स्थिति में था।
पुलिस उपाधीक्षक दविंदर सिंह का नाम 2001 में हुए संसद हमले के वक्त भी उछला था। उस समय संसद हमले के आरोपी अफ़ज़ल गुरु ने साल 2004 में अपने वकील सुशील कुमार को एक पत्र लिखकर दावा किया था कि सिंह ने उन्हें संसद हमले के एक आरोपी पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद को दिल्ली पहुंचाने और वहां उसके रहने का इंतज़ाम करने की बात की थी। अफजल गुरु द्वारा इसके लिए मना करने पर देवेंद्र सिंह और सेंटी सिंह नामक एक और पुलिस अधिकारी ने उसको हूमहमा एसटीएफ कैंप में बुरी तरीके से टॉर्चर किया था। देवेंद्र सिंह उस वक्त लगातार अफजल गुरु और मोहम्मद को फोन करता था। इसलिए अफजल गुरु ने अपनी फांसी से पहले बार बार देवेंद्र सिंह के कॉल डिटेल्स निकलवाने की बात कही थी ताकि असली दोषियों को पकड़ा जा सके। लेकिन उस वक्त देवेंद्र सिंह के खिलाफ कोई जांच नहीं हुई।
बकायदा उन्हें सरकार की ओर से प्रोत्साहन देकर जम्मू कश्मीर में विभिन्न महत्वपूर्ण इलाकों में पदस्थापित किया गया। यही नहीं बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक देवेंद्र सिंह लगातार गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल रहा है। चाहे वह गैर कानूनी तरीके से लोगों को गिरफ्तार कर उनसे पैसे वसूलने का मामला हो या तस्करों को गिरफ्तार कर अफीम बेचने का मामला हो। लेकिन हर बार आरोप लगते, जांच होती और देवेंद्र सिंह बच कर निकल जाता। देवेंद्र सिंह टॉर्चर सिंह के नाम से भी जाना जाता था, जिस पर अवैध हिरासत के दौरान कई युवाओं को जान से मारने का भी आरोप है।
बहरहाल जम्मू कश्मीर पुलिस देवेंद्र सिंह से जुड़े सभी मामलों की जांच कर रही है। देवेंद्र सिंह को हाल ही में कश्मीर में आए विदेशी प्रतिनिधियों की सुरक्षा का जिम्मा भी दिया गया था। फिलहाल इस मामले पर देश की सुरक्षा और देश प्रेम का रोना रोने वाले सभी तथाकथित न्यूज़ चैनल्स और दक्षिणपंथी राजनीतिक दल मुंह पर पट्टी बांधकर बैठे हैं शायद आरोपी एक खास संप्रदाय से नहीं है इसीलिए।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव है और गणतंत्र दिवस भी आने वाला है ऐसे में यह गिरफ्तारी एक राजनीतिक षड्यंत्र का खुलासा कर सकती है। सुरक्षाबलों और एजेंसियों पर इस तरह के आरोप पहले भी लगते रहे हैं। इस तरह के आरोपों से मोदी के खास अजीत डोभाल भी अछूते नहीं है। अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच हो तो कई सारी कड़ियां सामने आएंगी, कई राज खुलेंगे और कुछ खास लोगों की राजनीति का पर्दाफाश हो सकता है।
चिंताजनक बात यह है कि इस मामले को अब एनआईए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के हवाले किया जा रहा है जो अपनी कार्यप्रणाली को लेकर सवालों के घेरे में है। प्रज्ञा ठाकुर को मालेगांव बम ब्लास्ट में क्लीन चिट देकर और अजमेर दरगाह बम बलास्ट में असीमानंद की भूमिका को धूमिल कर एनआईए की इमेज खराब हो चुकी है और यह माना जा रहा है कि यह अपने राजनीतिक आकाओं के हित में उनके स्वार्थ पूर्ति के लिए काम कर रही है। उम्मीद है एनआईए द्वारा इस मामले की लीपापोती कर दी जाएगी।
अफजल गुरु द्वारा 2004 में अपने वकील सुशील कुमार को लिखे गए पत्र को उस समय तो नकार दिया गया। लेकिन अब 2001 के संसद हमले मामले की जांच वापस से होनी चाहिए और उसमें देवेंद्र सिंह की भूमिका की जांच से कुछ बड़े खुलासे हो सकते हैं।