जनचेतना यात्रा बनारस में संपन्न: फासीवादी व नव-उदारवादी हमलों के खिलाफ एकजुट संघर्ष का संकल्प

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स्थायी संघर्ष की ओर एक अहम कदम। 6 दिसंबर को कलकत्ता से शुरू 15 दिवसीय जनचेतना यात्रा परिवर्तनकमी ताकतों के एकजुट संघर्ष के दृढ़ विश्वास के साथ बनारस में समाप्त हुई।

फासीवादी और नवउदारवादी हमले से लड़ने, लोकतंत्र, समानता और प्रगति के लिए संघर्ष को मजबूत करने और विकसित करने के लिए, बाबरी विध्वंस दिवस 6 दिसम्बर को कोलकता से शुरू 15 दिवसीय जनचेतना यात्रा पश्चिम बंगाल, झारखंड व बिहार होते हुए 20 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले से होकर बनारस में पूरे जोश और उत्साह के माहौल में सम्पन्न हो गई।

इस यात्रा के दौरान आरएसएस-भाजपा के फासीवादी हमलों के खिलाफ आवाज़ उठाते और कॉरपोरेट पूंजी के शोषण-लूट और उसमे विपक्षी पार्टियों के भी शासक-वर्गीय चरित्र का पर्दाफास करते हुए अपनी यात्रा का तय मुकाम पूरा किया।

इस दौरान मज़दूर-मेहनतकश के विकट शोषण, महँगाई, बेरोजगारी, धर्म के नाम पर दंगे-फसाद के खिलाफ अमन-चैन व भाई-चारे के लिए अडानी-अंबानी-मोदी गठजोड़ के खिलाफ एकजुटता का आह्वान हुआ।

20 दिसम्बर; बनारस: जोशीले जुलूस के साथ सभा

मुहिम के अंतिम दिन 20 दिसम्बर को जनचेतना यात्रा के सहयात्रियों ने रामनगर औद्योगिक क्षेत्र में श्रमिकों की उचित मांगों को लेकर अभियान में भाग लिया। इसके बाद सुबह 10:30 बजे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के लंका गेट के सामने जुलूस पहुँच और गेट पर एक जन सभा का आयोजन हुआ।

सभा मे वक्ताओं ने यात्रा में उठाए गये मुद्दों से संबंधित बात रखी और दिल्ली, बंगाल, बिहार से सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं ने जन गीतों की प्रस्तुति की और व्यापक पर्चा वितरित किया।

बीएचयू गेट के सामने पोस्टर हाथ में लेकर यात्रा के लोग मजदूर, किसान, छात्र नौजवान, महिलाओं सहित आम जन के मुद्दों को उठाया और इसमें आज के गंभीर हालात के बारे में जनता की दृष्टि आकर्षित करने का प्रयास किए।

“वर्तमान भारत और समता का सवाल” विषय पर गोष्ठी

दोपहर 2:00 बजे से बुनकरों-कारीगरों-श्रमिक संगठनों सहित विभिन्न स्थानीय जन संगठनों द्वारा वाराणसी के पराड़कर भवन, मैदागिन, में “वर्तमान भारत और समता का सवाल” विषय पर एक विचार गोष्ठी आयोजित हुई।

गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि हमारे देश में समता के लिए आंदोलन की लंबी विरासत रही है। असमानता और दमन के ऐतिहासिक रूप और उससे निकलने के रास्ते को लेकर भी बहुत सारे विचार-विमर्श हो रहे हैं। ऐसा महसूस हो रहा है कि आज के भारत में, समाज की गति समता और बंधुत्व की ओर ना जाकर पीछे की तरफ जा रही है।

गोष्ठी के दौरान वर्तमान सन्दर्भ में समतामूलक समाज बनाने के रास्ते में क्या चुनौतियाँ है; भारत में बेरोजगारी महंगाई, महंगी शिक्षा, महंगी चिकित्सा, कृषि की बदहाली से मुक्ति का सवाल; बनारस और आसपास के इलाके के किसान, कारीगर, मजदूर, छोटे व्यापारी, मल्लाह और तमाम दमित शोषित समाज, छात्र नौजवान के लिए समता का रास्ता क्या है; आदि मुद्दों पर गहन चर्चा हुई।

साथी युद्देश के जोशीले गीत से शुरू गोष्ठी का संचालन कारीगर एकता पत्रिका से श्रेया ने किया। इसमें बुनकर साझा मंच से फजलुर रहमान अंसारी, भगत सिंह स्टूडेंट मोर्चा से इप्सिता, भारतीय किसान यूनियन से लक्ष्मण यादव, माँ गंगा निषादराज समिति से हरिश्चंद्र बिंद, राष्ट्रीय जनवादी मोर्चा से कामरेड रामकेश और शहजादे, समाजवादी जन परिषद से अफलातून देसाई और राजिंदर चौधरी, स्वराज अभियान से रामजनम, कृषि भूमि बचाओ मोर्चा से राम अश्रेय यादव, खिरियाबाग आंदोलन से राजेश आजाद, इंकलाबी मजदूर केंद्र से रामजी सिंह, वरिष्ठ नेता श्यामबिहारी सिंह, मजदूर क्रांति परिषद से कुशल देवनाथ आदि प्रतिनिधि और अन्य नागरिकों ने बातें साझा कीं।

13वाँ दिन-14वाँ दिन; बिहार से उत्तरप्रदेश

इसके पहले यात्रा का 13वां दिन उत्तर प्रदेश, बिहार के कैमूर, लागोआ जिले के चैनपुर गांव में एक बैठक के साथ समाप्त हुआ। बिहार चरण के समापन के बाद यात्रा ने उत्तर प्रदेश में प्रवेश किया।

उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के गांधीनगर में 14वें दिन 19 दिसम्बर को काकोरी एक्शन के शहीद अशफाक़उल्ला खान, राम प्रसाद बिस्मिल, रौशन सिंह का शहादत दिवस कार्यक्रम पूरे दिन चला। यह एक सांस्कृतिक कार्यक्रम था जिसमे लोग कविताओं और गीतों के ज़रिए भारी संख्या में जुड़े।

6 दिसंबर को कलकत्ता से शुरू हुई जन चेतना यात्रा फासीवादी और नव-उदारवादी आक्रामकता के खिलाफ क्रांतिकारी, प्रगतिशील ताकतों के एकजुट संघर्ष के दृढ़ विश्वास के साथ बनारस में समाप्त हुई। यह 15 दिवसीय पदयात्रा का समापन है। लेकिन यह स्थायी संघर्ष की ओर एक अहम कदम है।

उल्लेखनीय है कि इस यात्रा को पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में कार्यरत विभिन्न क्रन्तिकारी वामपंथी और जनवादी संगठनो ने मिलकर चलाया।

जनचेतन यात्रा से संबंधित लिंक

https://mehnatkash.in/2023/12/07/jan-chetna-yatra-begins-with-rally-in-kolkata/

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