जलंधर: दमनकारी कानूनों के खिलाफ पंजाब स्तरीय कन्वेंशन; देश को पुलिस राज में बदलने का विरोध

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जलंधर (पंजाब)। अरुंधति रॉय और प्रोफेसर शौकत हुसैन के खिलाफ दर्ज मुकदमों, तीन नए फौजदारी कानून, चार श्रम कोड, यूएपीए सहित सभी दमनकारी कानून रद्द करने, इंसाफ पसंद नागरिकों पर सजिशन फर्जी मुक़दमें और जेल, प्राकृतिक संसाधनों पर कार्पोरेट्स की लूट, नफरती भड़काऊ मुहिम, यौन हिंसा आदि के खिलाफ रोष प्रदर्शन के साथ कन्वेन्शन सम्पन्न हुआ।

यह कन्वेन्शन 21 जुलाई को जालंधर के देश भगत यादगार हॉल में तीन दर्जन से अधिक जनवादी और जन संगठनों और साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्थाओं पर आधारित दमनकारी कानूनों के खिलाफ संयुक्त कमेटी द्वारा आयोजित हुई।

इस दौरान केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा जारी दमनकारी नीतियों के खिलाफ कई प्रस्ताव पारित हुए और जनवादी अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष तेज करने का आह्वान हुआ। शहर में रोष प्रदर्शन के साथ जुलूस निकला जिसमें भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।

कन्वेंशन की अध्यक्षता तीन दर्जन संगठनों के नेताओं ने की और पंजाब के कोने-कोने से इंसाफपसंद लोगों के काफिले शामिल हुए।

अरुंधति रॉय जैसी आवाज़ों और लोगों से डरती है सत्ता: भाषा सिंह

पंजाब स्तरीय कन्वेंशन को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता प्रसिद्ध पत्रकार भाषा सिंह ने कहा- “मौजूदा सरकार के बारे में कमजोर होने का भ्रम नहीं पालना चाहिए। यह पहले से भी बड़ा हमला करेगी। अरुंधति रॉय इसका प्रतीक है कि मुश्किल हालातों में लड़ना, लिखना, बोलना और मुस्कराना कैसे है। सत्ता इसी मुस्कान से डरती है। अगर विपक्ष अन्याय के खिलाफ नहीं बोलेगा तो उन्हें सुनाना भी छोड़ देना चाहिए कि लोग भी उनकी बात नहीं सुनेंगे। सत्ता जन संघर्षों से डरती है। अरुंधति रॉय के संघर्षों की आवाज़ होने के कारण सत्ता लेखिका की कलम से और भी ज्यादा खौफजदा है। इसीलिए उसे मुकदमे में उलझाना चाहती है।”

कॉर्पोरेट लूट के लिए नागरिक आजादी का गला घोंटने की साजिश

जम्हूरी अधिकार सभा के राज्य अध्यक्ष प्रोफेसर जगमोहन सिंह ने कहा कि उपनिवेशवादी कानून प्रणाली को खत्म करने के नाम पर देश को पुलिस राज में बदलने के लिए लाए गए नए फौजदारी कानून नए नामों के तहत उपनिवेशवादी कानूनों को और मजबूत करते हैं और ये रौलट एक्ट से भी खतरनाक हैं जिन्हें रद्द कराने के लिए भारत के स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना खून बहाया था।

उन्होंने कहा कि अरुंधति रॉय, प्रोफेसर शौकत, मेधा पाटेकर जैसे प्रगतिशील बुद्धिजीवियों और हक़ों के पहरेदारों की जुबान बंदी करके और काले कानून थोपकर नागरिकों की अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटने के फासीवादी हमलों के पीछे देश के कीमती स्रोत-संसाधनों को देश के एकाधिकारी पूंजीपतियों और साम्राज्यवादियों को सौंपने की गहरी साजिश काम कर रही है।

जाने-पहचाने वकील एडवोकेट दलजीत सिंह और एन. के. जीत ने कहा कि ये कानून संघर्षों से प्राप्त किए गए जनवादी अधिकारों को खत्म करने के लिए हैं। ये कानून अंतर्राष्ट्रीय संधियों का भी उल्लंघन हैं जिन पर भारतीय शासकों ने हस्ताक्षर किए हुए हैं।

तर्कशील सोसाइटी पंजाब के नेता मास्टर राजिंदर भदौड़ ने कहा कि आज का जुटान बुद्धिजीवियों की जुबान बंदी करके और काले कानून थोपकर पुलिस राज की ओर बढ़ने की बेहद खतरनाक साजिश के खिलाफ जनता को जागरूक करने में मील का पत्थर साबित होगी और तीन कृषि कानूनों की तरह सरकार के ताजा फाशीवादी हमलों को भी जनता की ताकत से रोका जाएगा।

प्रख्यात जनवादी शख्सियत डॉक्टर परमिंदर ने कहा कि पंजाब में उभर रही जनवादी अधिकारों की चेतना और हिफाजत का आंदोलन जन संघर्षों के इतिहास में नया अध्याय जोड़ेगी और यह फासीवादी सरकार को चेतावनी भी होगी कि महान गदरी बाबाओं, भगत-साराभों के दमनकारी साम्राज्यवाद के खिलाफ मिसाली जद्दोजहद को पंजाब के लोग भूले नहीं हैं और सत्ता के फाशीवादी कदमों का जवाब पंजाब के जुझारू लोग विशाल जनवादी लामबंदी से देंगे।

यह कन्वेंशन चेतावनी भी है कि इन फाशीवादी कदमों को वापस न लिए जाने की सूरत में यह मुहिम और ज़्यादा व्यापक और तेज होगी।

कनाडा की जनवादी, सांस्कृतिक, प्रगतिशील संस्थाओं का साझा समर्थन

कन्वेंशन में कनाडा की जनवादी, साहित्यिक, सांस्कृतिक और प्रगतिशील संस्थाओं द्वारा भी साझा समर्थन संदेश भेज कर कन्वेंशन के कार्य के साथ एकता प्रकट की गई। जो इसका सबूत है कि भारत के जागरूक लोगों के साथ-साथ विदेशों में बसे प्रवासी भारतीय भी फासीवादी शासकों के मंसूबों का गंभीर नोटिस ले रहे हैं और जनवादी अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष के साथ खड़े हैं।

समर्थन भेजने वालों में तर्कशील (रेशनलिस्ट) सोसाइटी कनाडा, पाश यादगारी अंतरराष्ट्रीय ट्रस्ट कनाडा, प्रोग्रेसिव कल्चरल एसोसिएशन कैलगरी, पंजाबी साहित्य और सांस्कृतिक एसोसिएशन विनिपेग, शहीद भगत सिंह बुक सेंटर कैलगरी, शहीद करतार सिंह सराभा तर्कशील लाइब्रेरी कैलगरी, फ्रेजर वैली पंजाबी लिटरेरी और कल्चरल फोरम सोसाइटी सरी, मॉन्ट्रियल यूथ स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन, प्रोग्रेसिव पीपल्स फाउंडेशन एडमिंटन, दस्तूर पंजाबी फाउंडेशन सरी, ईस्ट इंडियन डिफेंस कमेटी वैंकूवर, पंजाबी कलमां दा काफला ब्रैंपटन, कनाडाई पंजाबी साहित्य सभा टोरंटो, वैंकूवर सथ, पंजाबी लेखक मंच वैंकूवर, सरोकारों की आवाज़ टोरंटो, और प्रो-पीपल आर्ट्स प्रोजेक्ट मीडिया ग्रुप टोरंटो शामिल हैं।

कन्वेंशन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करके मांग की गई कि-

  • अरुंधति रॉय और प्रोफेसर शौकत हुसैन के खिलाफ दर्ज मुकदमा पूरी तरह वापस लिया जाए;
  • पिछले दिनों लागू किए गए तीन फौजदारी कानून, चार श्रम कोड, डिजिटल मीडिया रेगुलेशन और पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट और महाराष्ट्र पब्लिक सिक्योरिटी बिल, यूएपीए सहित सभी दमनकारी कानून रद्द किए जाएं;
  • भीमा-कोरेगांव और अन्य तथाकथित साजिश के मामलों के तहत जेल में बंद बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं को बिना शर्त रिहा किया जाए;
  • 295/295 ए के तहत दर्ज सभी मामले तुरंत वापस लिए जाएं; सजा पूरी कर चुके सभी कैदियों को तुरंत रिहा किया जाए;
  • छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों में प्राकृतिक संसाधनों को कार्पोरेट्स के हवाले करने के लिए झूठे मुकाबलों, ड्रोन हमलों और अन्य रूपों में आदिवासियों का दमन और उजाड़ा बंद किया जाए;
  • अल्पसंख्यक मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ नफरती भड़काऊ मुहिम, भीड़ द्वारा हिंसा और बुलडोजर राज बंद किया जाए;
  • कश्मीर में पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट और यू.ए.पी.ए. लगाकर जेल में बंद पत्रकारों, वकीलों और अन्य कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा किया जाए;
  • मणिपुर में भाजपा द्वारा सांप्रदायिक अफवाहों और गृहयुद्ध और महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा को तुरंत बंद किया जाए;
  • गाजा पट्टी में फिलस्तीनियों की बेरहम हमलों के जरिए नस्लकुशी बंद की जाए और फिलस्तीन पर फिलस्तीनी लोगों का एकमात्र हक स्वीकार किया जाए।

कन्वेंशन ने मांग की है कि पंजाब सरकार इन दमनकारी कानूनों के जनवादी अधिकारों पर पड़ने वाले घातक प्रभावों को देखते हुए इन्हें रद्द करने के लिए विशेष रूप से प्रस्ताव पास करे और जनवादी अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठा रहे लोगों के साथ खड़ी हो।

ये प्रस्ताव सभी संगठनों की ओर से नरभिंदर सिंह ने प्रस्तुत किए जिन्हें लोगों ने दोनों हाथ उठाकर पास किया।

कन्वेंशन के बाद शहर में रोष प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर संगठनों के नेता, कार्यकर्ता, संघर्षशील महिलाएं, नामवर लेखक, पत्रकार और अन्य जनवादी शख्सियतें बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

कन्वेंशन का मंच संचालन जसविंदर फगवाड़ा ने किया।

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