उत्तराखण्डी युवा के शव के साथ नाइंसाफी

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ये लापरवाही नहीं, अपराध है.

तीन भारतीय नागरिकों के शव कल दिल्ली एयरपोर्ट से वापस दुबई भेज दिए गए. वो भी तब जब इनमें से किसी की मौत भी कोरोना के चलते नहीं हुई थी.

ये लोग दुबई में नौकरी किया करते थे. इनमें से एक 23 साल के कमलेश भट्ट मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले थे. उनकी मौत हुए एक हफ़्ता बीत चुका है.

वहां रहने वाले भारतीयों ने इस मुश्किल दौर में भी किसी तरह औपचारिकताएँ पूरी कर उनका शव स्वदेश भेजने का प्रबंध किया. देहरादून से कमलेश के परिजन भी किसी तरह एमब्यूलैंस की व्यवस्था करके दिल्ली एयरपोर्ट पहुँचे थे.

लेकिन यहां आकर मालूम चला कि उनका शव वापस दुबई भेज दिया गया है. कमलेश के अलावा दो अन्य भारतीयों के शव भी वापस भेज दिए गए. तीनों में से किसी एक की मौत भी कोरोना के कारण नहीं हुई थी.

परदेस गए किसी अपने का अगर कफ़न लौटकर आए तो यह कितना पीड़ादायक है. और कफ़न आकर भी परिजनों को न मिले, मौत के एक हफ़्ते बाद भी परिजन शव के लिए भटकते रहें और शव इस कदर यहां से वहां होता रहे तो यह पीड़ा बयां किए जाने के दायरे से भी बाहर है.

यूएई में भारत के उच्चायुक्त ने भी इस मामले पर हैरानी जताई है. मृतकों में से कोई भी कोरोना संक्रमित नहीं था, फिर भी उनके शव एयरपोर्ट से लौटा दिए गए.

इन मृतकों के परिजनों का दुःख महसूस करके देखिए. ये संबंधित अधिकारियों और मंत्रालयों की लापरवाही नहीं बल्कि गंभीर अपराध भी है.

(राहुल कोटियाल की फेसबुक वॉल से)

उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी का बयान:

उत्तराखण्डी युवा के शव के साथ नाइंसाफी।

सकलाना टिहरी उत्तराखण्ड के युवा कमलेश भट्ट के पार्थिव शरीर को भारत सरकार ने एयरपोर्ट से वापस दुबई भेजा। भारत सरकार के इस कृत्य से उत्तराखण्ड के जनमानस में भारी आक्रोश है।

एक होटल में काम करने वाले कमलेश (24वर्ष) आबू धापी में 16 अप्रैल को मृत्यु की सूचना है।

दिवंगत कमलेश के शव को काफी प्रयासों से वहीं कार्यरत रोशन रतूड़ी व उनके साथियों ने भारत भिजवाया जहाँ एयरपोर्ट पर शव को लेने उनके परिजन इंतजार कर रहे थे, लेकिन उनके शव को भारत सरकार ने वापस दुबई भेज दिया।

हम इस बात से आक्रोशित हैं कि आम गरीब व उत्तराखण्ड जैसे क्षेत्रों के लोगों के साथ ऐसा होता है। हम जानना चाहते हैं कि उत्तराखण्ड की डबल इंजन सरकार और उसके नेता क्या कर रहे थे? क्या उत्तराखण्ड के आम युवा के स्थान पर यदि किसी नेता, मंत्री, उद्योगपति, ब्यूरोक्रेट का परिजन होता तो क्या शव के साथ यही व्यवहार होता?

यह एक उदाहरण है जो हमारी राजनैतिक हैसियत को बताता है।

हम उत्तराखण्ड व देश की सरकार से कमलेश के पार्थिव शरीर को देश वापस लाकर सम्मान के साथ उनके परिजनों को सौंपने की माँग करते हैं।

पी सी तिवारी (केंद्रीय अध्यक्ष)

प्रभात ध्यानी (केंद्रीय उपाध्यक्ष)

उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी
9412092159

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