एचपी फैक्ट्री बंदी के खिलाफ मज़दूर संघर्षरत, सरकार-प्रशासन नहीं सुन रहे मज़दूरों की आवाज

संघर्ष जारी : टैक्स की रियायतों की अवधि समाप्त हुई तो सिड़कुल की तमाम कंपनियों की तरह नई रियायतों के लिए एचपी भी पंतनगर से चेन्नई के नए प्लांट में पलायन कर गई।
हल्द्वानी (उत्तराखंड)। एचपी इंडिया द्वारा औद्योगिक क्षेत्र सिड़कुल, पंतनगर प्लांट बंद होने के बाद से ही मज़दूरों का संघर्ष जारी है। स्थायी और अस्थाई श्रमिकों का धरना प्रदर्शन शनिवार को भी श्रम भवन, हल्द्वानी में जारी रहा। इस दौरान कंपनी प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई।
एचपी इंडिया सेल्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का औद्योगिक संस्थान 2007 से पंतनगर सिडकुल में स्थापित है। 1 सितंबर को कंपनी के सूचना पट्ट पर प्रबंधन द्वारा अचानक कंपनी बंदी का अंतिम नोटिस बिना किसी पूर्व सूचना व बिना यूनियन से विचार विमर्श किए पर लगा दिया गया। तबसे मज़दूरों का संघर्ष जारी है।

लैपटॉप-डेस्कटॉप, कंप्यूटर पार्ट्स और प्रिंटर बनाने वाली अमेरिकी कंपनी हैवलैट पैकर्ड (एचपी) पंतनगर औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल के सेक्टर 5 में स्थित है। सजिशन प्लांट में छँटनी के लिए वीसएस स्कीम लागू हुई, फिर कुछ श्रमिकों को चेन्नई स्थित नए प्लांट में भेजा गया। स्थाई श्रमिकों को सवैतनिक अवकाश देकर लगातार बैठाया गया। इस बीच करीब 250 ठेका श्रमिकों को निकाला गया और अंततः प्लांट में बंदी की सूचना लगाकर मज़दूरों के पेट पर लात मार दिया गया।
मुख्यमंत्री ने भी नहीं सुनी मज़दूरों की गुहार
एचपी मज़दूर संघ के अध्यक्ष विनीत कपिल ने बताया कि एचपी कंपनी जो पिछले 14 सालों से सिडकुल पंतनगर उधम सिंह नगर में स्थित है उसने अपने लगभग 500 स्थाई व अस्थाई कर्मचारियों को 1 सितंबर 2021 से बाहर रास्ता दिखा दिया है जोकि अन्यायपूर्ण है।
भवान सिंह ने कहा कि एचपी कर्मचारी शासन एवं प्रशासन से पिछले 2 महीने से गुहार लगा रहे हैं किंतु शासन एवं प्रशासन कर्मचारियों की एक नहीं सुन रहा है। यहां तक की एचपी यूनियन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से देहरादून उनके आवास पर जाकर अपनी गुहार लगाई है। किंतु उन्होंने कोई समाधान नहीं निकाला है।
मज़दूरों का श्रम भवन हल्द्वानी में बेमियादी धरना जारी
गंगा सिंह ने कहा कि कहीं से न्याय नहीं मिलने से हम सभी एचपी कर्मचारी श्रमायुक्त कार्यालय हल्द्वानी में दिनांक 27/10/2021 से धरने पर बैठे हुए है। हम तब तक यहाँ से नहीं हटेंगे जब तक शासन और प्रशासन के द्वारा उनके प्रकरण का समाधान नहीं किया जाता।
लूटो-खाओ, मज़दूरों को बेरोजगार कर भाग जायो
उल्लेखनीय है कि एचपी का भारत में एकमात्र प्लांट पंतनगर 2006 में स्थापित हुआ और मार्च 2007 में यहाँ उत्पादन शुरू हुआ था। शुरुआती सालों में यहाँ रिकार्ड उत्पादन हुआ। अपनी स्थापना से अबतक कंपनी ने यहाँ से भारी मुनाफा कमाया। इस बीच टैक्स की रियायतों की अवधि समाप्त हो गई तो सिड़कुल की तमाम कंपनियों की तरह नई सब्सिडी और टैक्स की रियायतों के लिए एचपी भी यहाँ से चेन्नई में नया प्लांट लगाकर पलायन कर गई।

दरअसल आज के दौर में कंपनियों की यह एक परंपरा बन चुकी है कि सब्सिडी और टैक्स की छूटें लेकर प्लांट लगाओ, मुनाफा कमाओ और रियायतों की अवधि खत्म हो तो मजदूरों के पेट पर लात मारकर प्लांट बंद करो और नई रियायतों के साथ दूसरी जगह प्लांट लगाओ!
राज्य में सरकारी रियायतों की अवधि समाप्त होने के बाद से सिड़कुल पंतनगर व सितरगंज से भास्कर, एस्कॉर्ट, ब्रुशमैन, एमकोर, हेंकल से लेकर आमूल ऑटो सहित तमाम कंपनियाँ यहाँ से पलायन कर चुकी हैं। माइक्रोमैक्स उत्पाद बनाने वाली भगवती प्रॉडक्ट्स भी इसी दिशा में सक्रिय है और पिछली करीब तीन साल से 351 श्रमिक गैरकानूनी छँटनी/ले ऑफ के शिकार बन संघर्षरत हैं। एचपी भी उसी राह पर है।

फिलहाल मज़दूर संघर्ष की राह पर हैं और श्रम भवन हल्द्वानी में धरना जारी है।
धरना-प्रदर्शन में विनीत कपिल अध्यक्ष एचपी मजदूर संघ, गंगा सिंह, भवान सिंह, धीरेंद्र मेहरा, विनोद सुयाल, कमल उपाध्याय, मनोज, निर्मल पंत, युगल भट्ट, राहुल कुमार, शैलेन्द्र रावत, निरंकार सिंह, संतोष कांडपाल, विजेन्द्र पवार, मजहर अंसारी विवेक रावत आदि श्रमिक उपस्थित रहे।