कैसे युवाओं को 40-50 हजार रुपए देकर फर्जी सूचनाएं वायरल करवाती है भाजपा –रिपोर्ट

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सीएनए द्वारा जारी डॉक्‍युमेंट्री बताता है कि कैसे ‘फेक न्‍यूज इंडस्‍ट्री’ कार्यरत है और कैसे भाजपा आईटी सेल गलत सूचनाएं फैलाती है। इस संगठित अभियान को “सूचना महामारी” बताया है।

चैनल न्‍यूज एश‍िया (सीएनए) की डॉक्‍युमेंट्री में प्रमुख रूप से भारतीय जनता पार्टी की आईटी सेल का जिक्र मिलता है। हालांकि भारत की लगभग सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों का अपना-अपना आईटी सेल है और उनके द्वारा फैलाई जाने वाली फर्जी या भ्रामक सूचनाओं की अक्सर फैक्ट चेकर्स पोल खोलते रहते हैं।

पिछले एक दशक से भारत में चुनाव सिर्फ असली दुनिया में नहीं आभासी दुनिया में भी लड़े जा रहे हैं। बात अब केवल राजनीतिक दलों की आधिकारिक सोशल मीडिया टीम तक नहीं रह गई। आईटी सेल के उदय ने चुनाव को जबरदस्त तरीके से प्रभावित किया है।

राजनीतिक दल के आईटी सेल न सिर्फ लोगों को राजनीतिक तौर पर बांटने की कोशिश कर रहा है, बल्कि उसकी वजह से धार्मिक और जातीय गोलबंदी भी बढ़ी है। कई फैक्‍ट चेकर्स अक्‍सर बीजेपी और कांग्रेस, दोनों के ही नेताओं के ट्ववीट्स या सोशल मीड‍िया पोस्‍ट्स को भ्रामक या फर्जी साब‍ित कर चुके हैं। फर्जी सूचना फैलाने के संगठित अभियान को व‍िशेषज्ञों ने “सूचना महामारी” नाम दिया है।

स‍िंगापुर स्‍थ‍ित चैनल न्‍यूज एश‍िया (सीएनए) ने हाल ही में एक डॉक्‍युमेंट्री र‍िलीज की है। इसमें बताया गया है क‍ि कैसे भारत में ‘फेक न्‍यूज इंडस्‍ट्री’ काम कर रही है और कैसे भाजपा आईटी सेल के जर‍िए गलत सूचनाएं फैलाती है।

आईटी सेल में कार्यरत लोग सोशल मीडिया पर बिना फैक्ट चेक की प्रक्रिया से गुजरे कुछ भी अपलोड कर सकते हैं। उन्हें सिर्फ इस बात का ध्यान रखना होता है कि कंटेंट उनकी पार्टी को फायदा पहुंचाने वाला हो। शायद यही वजह है कि स्टेटिस्टा का सर्वे गलत सूचना या दुष्प्रचार का सबसे ज्यादा खतरा भारत में बता रहा है।

सीएनए के यूट्यूब चैनल CNA Insider पर Fact Vs Fiction टाइटल से एक वीडियो अपलोड किया गया है। वीडियो में दावा किया गया है कि “भारत से संचालित होने 750 फर्जी मीडिया आउटलेट दुनिया भर के 119 देशों में फैले हैं। 550 अलग-अलग डोमेन से फर्जी खबरें फैलाई जा रही हैं। देश में फर्जी खबरों को फैलाना अब एक उद्योग बन गया है।”

CNA Insider के वीडियो में एक लड़के का बयान है, जो खुद को भाजपा आईटी सेल में कार्यरत बता रहा है। लड़का अपना नाम अनिल कुमार बताता है। वीडियो में अनिल बताता है कि भाजपा आईटी सेल किस तरह काम करता है?

वह कहता है, “भाजपा आईटी सेल एक संस्थान है, जो सूचना फैलाने का काम करता है। मैं पिछले डेढ़ साल से काम कर रहा हूं। हमें कोई एजेंसी हायर नहीं करती है। जो उम्मीदवार होते हैं वही नौकरी पर रखते हैं। करीब 40-50 हजार रुपये हमारा वेतन होता है।”

क्या काम होता है, इस बारे में विस्तार से बताते हुए वह कहता है, “व्हाट्सएप वीडियो के मेन टॉपिक मोदी की घोषणाएं, राष्ट्रवाद, हिंदुत्व आदि होते हैं। हमारी टीम में एडिटर, स्क्रीन राइटर, होता है। एक पूरी स्क्रिप्ट लिखी जाती है। आर्टिस्ट हम बाहर से बुलाते हैं। फिर हम परफॉर्म करते हैं।” 

वह आगे कहता है, “टारगेट की बात करें तो अभी तो फिलहाल है कांग्रेस ही हमारे निशाने पर है। हम कार्टून बनाते हैं। मीम बनाते हैं। ड्रैमेटिक चीजें बनाते हैं, ये सब चीजें लोगों को पसंद आती हैं।”

राजनीतिक दलों के आईटी सेल आईटी सेवाओं को प्रदान करने और तकनीकी समस्याओं का हल करने में विशेषज्ञता प्रदान करते हैं, लेकिन इसके साथ ही वे राजनीतिक कार्यकर्ताओं को भी टेक्निकल सपोर्ट प्रदान करते हैं। इन सेलों के काम में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

डेटा एनालिटिक्स: राजनीतिक दलों के आईटी सेल डेटा एनालिटिक्स का काम करते हैं ताकि वे नागरिकों की रुचियों, विचारों, और वोटिंग पैटर्न्स को समझ सकें।

सोशल मीडिया प्रबंधन: राजनीतिक दलों के आईटी सेल सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का प्रबंधन करते हैं, जो कि राजनीतिक संदेश और अभियानों को प्रसारित करने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

ईमेल और संदेश प्रबंधन: इन सेलों के उपयोग से ईमेल और अन्य संदेशों का प्रबंधन किया जाता है, जो कि चुनाव प्रचार और संगठनात्मक कार्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

डिजिटल मार्केटिंग: राजनीतिक दलों के आईटी सेल डिजिटल मार्केटिंग कार्यक्रम भी चलाते हैं जिनमें ऑनलाइन विज्ञापन और अन्य डिजिटल माध्यमों का उपयोग किया जाता है।

वोटर डेटा मैनेजमेंट: आईटी सेल वोटर डेटा का प्रबंधन करते हैं, जिससे राजनीतिक दलें अपने चुनावी अभियानों को लक्षित कर सकें।

चुनावों के समय पार्ट‍ियों के आईटी सेल में काम करने वालों की मांग बढ़ जाती है। अंग्रेजी अखबार ‘द टेलीग्राफ’ ने अमरावती (महाराष्‍ट्र) से एक ग्राउंड रिपोर्ट में बताया है कि कैसे छात्र और बेरोजगार, पैसों के लिए किसी भी पार्टी का झंडा ढोने को तैयार हो जा रहे हैं। अगर कांग्रेस नेता के आने में देरी होती है तो इन बेरोजगारों की मोटरसाइकिल भाजपा दफ्तर की ओर मुड़ जाती है। प्रतिदिन 400 से 500 रुपये की मजदूरी के साथ इन युवाओं को एक-डेढ़ महीने के ल‍िए रोजगार म‍िल जाता है।

यह समस्‍या बेरोजगारी की भयावह स्‍थि‍त‍ि भी बयां करती है। दस साल में श‍िक्ष‍ित बेरोजगार छह प्रत‍िशत बढ़ गए हैं। काम की तलाश भटकते कुल बेरोजगारों में 83 प्रतिशत युवा हैं। फोटो पर क्‍ल‍िक करके पढ़ें बेरोजगारी की तस्‍वीर बयां करती

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