होंडा मज़दूरों के समर्थन में जनसभा

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लगातार एक महीने से संघर्षरत होंडा मजदूरों का आंदोलन मानेसर औद्योगिक क्षेत्र में जारी है। मंदी का बहाना लेकर लगातार अस्थाई कर्मचारियों को काम से बाहर निकाला जा रहा है । अपनी बारी का इंतजार न करते हुए होंडा कम्पनी के अस्थायी मजदूरों ने काम बंद करके संघर्ष करने का फैसला लिया और यह संघर्ष लगातार 1 महीने से जारी है। आज संघर्ष के समर्थन में ट्रेड यूनियन काउंसिल गुड़गांव ने मजदूर सभा का आयोजन किया जिसमें होंडा के संघर्षरत मजदूरों सहित अन्य कम्पनियों के मजदूरों व मजदूर नेताओं ने भागीदारी की ।

सभा में एटक, सीटू, एआईयूट्यूसी, इंटक आदि ट्रेड यूनियनों के राज्यस्तरीय व राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने भाग लिया । गुड़गांव से बावल तक के कई युनियन प्रतिनिधियों ने सभा मे भाग लिया और अपना वक्तव्य रखा जिनमें होंडा मानेसर, हीरो गुड़गांव व धारूहेड़ा, मारुति सुज़ुकी मजदूर संघ, एफसीसी क्लच, एफसीसी रीको, मुंजाल शोवा, नपीनो ऑटो, शिवम ऑटो, बेलसोनिका, हेमा इंजिनयरिंग, सोना स्टेरिंग, रघुबीर मशीनरी, आरजीबी, एजी, पीएन राइटर, कपारो मारुति गुड़गांव, डाईकिन, ट्योडा गोसाई आदि यूनियनों ने भाग लिया ।

गौरतलब है कि पिछले 4 नवंबर से होंडा मानेसर के प्रबंधन ने करीब 500 ठेका मजदूरों की उत्पादन और माँग ना होने व मंदी के बहाने गेट बंद कर दिया था। इस अवैध छंटनी के विरोध में जहाँ 500 ठेका मज़दूर 4 नवम्बर से कंपनी गेट के बाहर धरनारत रहे, वहीँ करीब 14 दिनों तक प्लांट के अंदर उत्पादन रोक कर बैठने के बाद 1500 ठेका श्रमिक 17 नवम्बर को ट्रेड यूनियनों के आश्वासन पर प्लांट से बाहर निकले। प्लांट के स्थाई मजदूर 25 नवंबर को गुड कंडक्टर फॉर्म भरकर प्लांट में काम पर वापस लौट गए थे। यूनियन प्रधान और महासचिव सहित छह मजदूर फिलहाल निलंबित है।

इस वक़्त निकाले गए सभी ठेका मजदूर होंडा मानेसर के सामने स्थित एक पार्क में बैठे हुए हैं। मजदूरों की प्रमुख माँगें हैं कि ठेके पर काम कर रहे कर्मचारियों को नियमित किया जाए। श्रम विभाग की मध्यस्थता में कई दौर की वार्ताओं के बावजूद अभी तक होंडा प्रबंधन समझौते के लिए राजी नहीं है।

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