देशभर में काले कानूनों का हुआ होलिका दहन, 5 अप्रैल को एफसीआई दफ्तरों का होगा घेराव

हरियाणा सरकार द्वारा पारित तनशाहिपूर्ण कानून का विरोध
‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ के आह्वान पर रविवार को होलिका दहन में देशभर में तीन कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई गईं। मोर्चा ने आंदोलन दबाने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा ले गए जनविरोधी कानून की कड़ी निंदा व विरोध जताया। मोर्चा ने 5 अप्रैल को एफसीआई बचाओ दिवस के तहत देशभर में एफसीआई दफ्तरों के घेराव का ऐलान किया।
दिल्ली की सीमाओं पर लगे किसानों के सभी धरनास्थलों पर किसानों ने कृषि कानूनों को किसान व जनता विरोधी करार देते हुए काले कानूनों की होलिका जलाई और होली मनाई। किसानों से इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का चिन्ह मानते हुए कहा कि इन कानूनों को रद्द करना ही पड़ेगा व एमएसपी पर कानून बनाना ही पड़ेगा।

गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों ने पहले ही कहा था कि “मांग मनवाने से पहले हम जाएंगे नहीं, होली भी यहीं मनाएंगे।” हालांकि किसान रंग या गुलाल से होली नहीं खेलेंगे, बल्कि मिट्टी से एक-दूसरे का टीका करेंगे। किसानों ने यह फैसला आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए लिया है। उनका कहना है कि तीनों कृषि कानून वापस नहीं हुए तो उनकी अगली दिवाली भी गाजीपुर बॉर्डर पर ही मनेगी।

ग्राम घुसकानी (हरियाणा) काले क़ानूनों का होलिका दहन हुआ और पीएम मोदी, अमित शाह, अम्बानी, अडानी, खट्टर और दुष्यंत चौटाला के पुतलों को जलाया गया…

किसानों ने होल्ला मोहल्ला उत्सव में सभा की
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनों की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने रविवार को पंजाब के आनंदपुर साहिब में होल्ला मोहल्ला उत्सव में एक सभा की। ‘किसाना दा महाकुंभ’ में बड़ी संख्या में किसानों ने शिरकत की जिसे किसान संघों के वरिष्ठ नेताओं ने संबोधित किया।
वक्ताओं ने तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की और उनकी मांगों को नजरंदाज़ करने को लेकर केंद्र सरकार को चेताया। उन्होंने कहा कि किसान चार महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन भाजपा नीत केंद्र सरकार ने उनकी मांगों को अबतक नहीं माना है।

हरियाणा में पारित तानाशाहीपूर्ण विधेयक का विरोध
‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि गत 18 मार्च को हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के भारी विरोध के बावजूद एक ऐसा विधेयक पारित किया गया है जिसका उद्देश्य आंदोलन और आंदोलन करने वालों को दबाना है। “हरियाणा लोक व्यवस्था में विघ्न के दौरान संपत्ति क्षति वसूली विधायक 2021” के शीर्षक से पारित इस बिल में ऐसे खतरनाक प्रावधान हैं जो निश्चित रूप से लोकतंत्र के लिए घातक सिद्ध होंगे।
‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ इस कानून की कड़ी निंदा व विरोध करता है। यह कानून इस किसान आंदोलन को खत्म करने और किसानों की जायज मांगों से भागने के लिए लाया गया है।
इसके तहत किसी भी आंदोलन के दौरान कहीं पर भी किसी भी द्वारा किए गए निजी या सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई आंदोलन करने वालों से की जाएगी। आंदोलन की योजना बनाने, उसको प्रोत्साहित करने वाले या किसी भी रूप में सहयोग करने वालों से नुकसान की वसूली की जा सकेगी।
कानून के अनुसार किसी भी अदालत को अपील सुनने का अधिकार नहीं होगा कथित नुकसान की वसूली आंदोलनकारियों की संपत्ति जब्त करके की जा सकेगी। ऐसा कानून उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा भी बनाया जा चुका है और इसका बड़े पैमाने में दुरुपयोग हुआ है ।
यह एक घोर तानाशाही का कदम है और वर्तमान शांतिपूर्ण किसान आंदोलन के खिलाफ इसका दुरुपयोग किया जाना निश्चित है। हम इसका कड़ा विरोध करते है।
5 अप्रैल को एफसीआई बचाओ दिवस
‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि सरकार द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से एमएसपी व सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीड़ीएस) व्यवस्था खत्म करने के कई प्रयास किये जा रहे है। पिछले कई सालों से एफसीआई के बजट में कटौती की जा रही है। हाल ही में एफसीआई ने फसलों की खरीद प्रणाली के नियम भी बदले। सयुंक्त किसान मोर्चा की आम सभा मे यह तय किया गया है कि आने वाली 5 अप्रैल को एफसीआई बचाओ दिवस मनाया जाएगा। इसके तहत देशभर में एफसीआई के दफ्तरों का सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक घेराव किया जाएगा।
मोर्चा ने किसानों व आम जनता से अपील की है कि यह अन्न पैदा करने वालो और अन्न खाने वालों दोनों के भविष्य की बात है इसलिए इस दिन इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लें।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन के 4 माह पूरे हो चुके हैं। 26 मार्च को इसी अवसर पर भारत बंद का सफल आयोजन हो चुका है।