हिमांचल : प्रदेश में कर्मचारियों के आंदोलन पर रोक का दमनकारी फरमान जारी

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धरना प्रदर्शन और हड़ताल पर जाने वाले सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन सहित उनकी सेवाएं समाप्त करने के आदेश जारी हुए हैं। कर्मचारी विसंगतिपूर्ण नए वेतनमान से आंदोलित हैं।

हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों को सरकार का विरोध, घेराव अथवा सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन, सामूहिक अवकाश, पेन डाउन स्ट्राइक या हड़ताल पर जाना अब महंगा पड़ सकता है। राज्य की जयराम ठाकुर सरकार ने कर्मचारियों पर सरकार के खिलाफ किसी भी आंदोलन में शामिल होने पर रोक लगा दी है। यही नहीं, सरकार के इस आदेश का उल्लंघन करने वाले कर्मचारियों पर अब निलंबन और निष्कासन जैसी कार्रवाई भी हो सकती है।

प्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा शुक्रवार को जारी आदेशों में कहा गया है कि राज्य में कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों द्वारा बार-बार हड़ताल पर जाने अथवा सरकार पर दबाव डालने के लिए इसी तरह के अन्य कदम उठाने के दृष्टिगत यह निर्णय लिया गया है। सरकार ने यह फैसला इसलिए भी लिया है क्योंकि कर्मचारी आंदोलन के कारण सरकार का कामकाज प्रभावित हो रहा है और आम लोगों को दिक्कतें हो रही हैं।

गौरतलब है कि प्रदेश सरकार द्वारा कर्मचारियों के लिए नया वेतनमान लागू करने के बाद अधिकांश कर्मचारियों में सरकार के खिलाफ रोष है। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि सरकार ने पंजाब वेतनमान को सीधे-सीधे लागू नहीं किया, जिससे वेतन विसंगतियां पैदा हो गई हैं और राज्य का लगभग हर कर्मचारी वर्ग इसकी चपेट में आया है। यही कर्मचारी अब सरकार के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं और विपक्षी दल चुनावी वर्ष में इन नाराज कर्मचारियों को सरकार के खिलाफ हवा देने में लगे हैं।

मुख्य सचिव द्वारा आज जारी आदेशों के अनुसार प्रदेश में अब कोई भी कर्मचारी अपनी मांगों को मनवाने या समस्याओं को दूर करने के लिए प्रदर्शन, बहिष्कार, पेन डाउन स्ट्राइक और इस तरह की अन्य गतिविधियों में शामिल नहीं हो पाएगा। यदि ऐसा हुआ तो सरकार उन कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी। ऐसे सभी कर्मचारियों का वेतन काटा जाएगा और उन कर्मचारियों के खिलाफ मामला भी दर्ज किया जाएगा। इस संबंध में मुख्य सचिव ने शुक्रवार को सभी प्रशासनिक सचिवों, सभी उपायुक्तों, सभी विभागाध्यक्षों और सभी मंडलायुक्तों को पत्र जारी कर सूचित कर दिया गया है।

आदेशों में कहा गया है कि कोई भी कर्मचारी कार्य के समय पर ऑफिस में या ऑफिस के बाहर किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन में शामिल होता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। सरकार के ध्यान में मामला आया है कि अकसर कर्मचारी विधानसभा सत्र के दौरान अकसर कर्मचारी ऑफिस से अवकाश लेकर विरोध प्रदर्शन में शामिल होते हैं। इसे देखते हुए सरकार ने सभी विभागाध्यक्षों को विधानसभा के दौरान कर्मचारियों की छुट्टियों पर बैन लगाया जाए। इन आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि अगर कर्मचारी किसी भी तरह विरोध प्रदर्शन करता है तो उसका वेतन काटा जाएगा। साथ ही उन कर्मचारियों को सस्पेंड किया जाएगा। मुख्य सचिव ने सभी प्रशासनिक अधिकारियों से इन आदेशों का गंभीरता से लेने और आदेशों की सख्ती से अनुपालना करने को कहा है।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का मानना है कि उन्होंने प्रदेश के कर्मचारियों को सरकार के सामर्थ्य से अधिक वित्तीय लाभ दिए हैं। इसके अलावा सरकार बिना आंदोलन के भी कर्मचारियों की समस्याओं को सुनने के लिए तैयार है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अब आंदोलन पर ऊतारू विभिन्न कर्मचारी संगठनों से खफा हैं और आंदोलन पर जाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश उनकी इसी नाराजगी का नतीजा है।

हिमाचल प्रदेश के न्यू पेंशन स्कीम के कर्मचारी तीन मार्च को विधानसभा का घेराव करने जा रहे हैं। ये कर्मचारी मंडी से शिमला तक पदयात्रा कर रहे हैं और इन्हें आम लोगों के साथ-साथ राजनीतिक दलों का भी पूरा-पूरा समर्थन मिल रहा है। दूसरी ओर वेतन विसंगति को दूर करने के मामले पर संयुक्त कर्मचारी महासंघ का गठन हुआ है। इस संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने पहले मंडी फिर पालमपुर और चंबा में धरना प्रदर्शन किया और अब हमीरपुर से दूसरे चरण में प्रदर्शन की तैयारी है।