हिमाचल: सेब बागवान किसानों का पांच अगस्त को शिमला में होगा ऐतिहासिक विरोध मार्च

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किसानों का कहना है GST बढ़ने से सेब की पैकेजिंग सामग्री की कीमतों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी के साथ सेब का तुड़ान, भरान, ढुलाई आदि महँगी होने से बागवानों की स्थिति बेहद खराब है।

शिमला। हिमाचल के सेब बागवान किसानों ने पांच अगस्त को शिमला में ऐतिहासिक विरोध मार्च करने का आह्वान किया है। संयुक्त किसान मंच  का कहना है कि इस दिन उनकी 20 सूत्रीय मांगे नहीं मानी गई तो दिल्ली की तर्ज पर हिमाचल में भी आंदोलन खड़ा किया जाएगा।

संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने मंगलवार को शिमला में पत्रकार वार्ता में कहा कि इससे पहले बागवानों ने 1987 और 1990 में ऐसे बड़े आंदोलन लड़े हैं। इस बार फिर से ऐसी ही निर्णायक लड़ाई पांच अगस्त को लड़ी जाएगी।

हरीश चौहान ने कहा कि जब किसान अपने खेत खलियान में बैठा था। तब सरकार ने उन्हें हल्के में लिया। अब बागवानों को संगठित होते देख आनन-फानन में सरकार ने कुछ मांगे मान रही है लेकिन इन्हें धरातल पर नहीं उतारा जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि MIS की बकाया पेमेंट के लिए 8 करोड़ जारी कर दिए है लेकिन एक भी बागवान को पेमेंट नहीं मिल पाई है।

किसानों का कहना है सेब की पैकेजिंग सामग्री की कीमतों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी ने बागवानों की कमर तोड़कर रख दी है। कार्टन की कीमतों में 10 से 20 फीसदी और ट्रे की दाम 20 से 35 फीसदी तक बढ़े है। बीते साल जो ट्रे का प्रति बंडल 500 रुपए था इस बार 800 रुपए हो गए हैं। इसी तरह सेपरेटर, स्टैपिंग मशीन, स्टैपिंग रोल की कीमतों में भी 10 फीसदी तक का इजाफा हुआ है।

कार्टन के अलावा सेब का तुड़ान, भरान, ढुलाई, पेटी को मंडी तक पहुंचाने पर आने वाली लागत भी दोगुना हुई है। इसी तरह फफूंदनाशक, कीटनाशक, खाद इत्यादि कृषि इनपुट की कीमतें भी दो साल में लगभग दोगुना हुई है। इसके विपरीत सरकार ने इन पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म कर कृषि व बागवानी पर गंभीर संकट खड़ा किया है।

प्रदेश का बागवान पहले ही महंगे कार्टन की मार झेल रहा था। ऐसे में केंद्र सरकार ने गत्ते पर GST 12 से बढ़ाकर 18 फीसदी करके बड़ी चपत लगाई है। जबकि सेब उत्पादक संघ कार्टन की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए GST दर को 5 फीसदी तक घटाने और सब्सिडी जारी रख बागवानों को राहत देने की मांग कर रहा है।

मंच का कहना है कि अभी तक कार्टन पर GST में छूट का फायदा भी बागवानों को नहीं मिल रहा है। सरकार ने छूट की घोषणा जरूर की है लेकिन इसे लेकर आदेश जारी नहीं किए गए।

हरीश चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कई बार सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने का वादा किया है लेकिन आज तक यह वादा पूरा नहीं किया गया। इससे हिमाचल समेत जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड के सेब उद्योग पर संकट मंडरा रहा है। अफगानिस्तान के रास्ते ईरान से आ रहे सेब ने इस बार भी बागवानों को भारी नुकसान किया है। इसलिए अफगानिस्तान समेत सभी देशों पर आयात शुल्क 100 फीसदी होना चाहिए।

ऐसे हालत में बागवान 5000 करोड़ रुपए के सेब उद्योग को बचाने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं।