योगी के “लव जिहाद” कहर पर हाइकोर्ट का चाबुक

up-police-620x400

हाइकोर्ट से दो दिन में योगी सरकार को तीसरा झटका

उत्तर प्रदेश के पुलिस प्रशासन को दो दिन में तीन बड़े झटके लगे हैं। कफील खान और हाथरस कांड के अलावा ‘लव जिहाद’ के एक मामले में भी हाई कोर्ट ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ आदेश दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक शख्स के खिलाफ आपराधिक मुकदमे पर रोक लगा दी। हाई कोर्ट ने कहा कि लड़का और लड़की दोनों बालिग हैं और यह उनके निजता के अधिकार का मामला है।

जस्टिस पंकज नकवी और विवेक अग्रवाल ने कहा, ‘अगली सुनवाई तक आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।’ आरोपी नदीम ने हाई कोर्ट में याचिका दी थी। इसपर कोर्ट ने आर्टिकल 25 का हवाला देते हुए कहा कि सभी को अपने धर्म को मानने का और उसके प्रचार प्रसार का अधिकार है। वहीं दूसरी तरफ हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को राहत देते हुए धर्मांतरण कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इसके खिलाफ कई जनहित याचिकाएं कोर्ट में दाखिल की गई थीं।

हाथरस गैंगरेप मामले में सीबीआई ने चार्जशीट जारी की है जिसमें साफ हो गया है कि स्थानीय प्रशासन जिस केस को ऑनर किलिंग का रूप देना चाहता था, वह सच नहीं है। इससे उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं। पीड़िती की वकील ने पुलिस के खिलाफ भी चार्जशीट फाइल करने की मांग की है। माना जा रहा है कि पुलिस प्रशासन आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रहा था।

सीबीआई की चार्जशीट में आरोपियों पर पीड़िता का साथ गैंगरेप, हत्या औऱ एससी/एसटी ऐक्ट के तहत आरोप गाए गए हैं। हाथरस पुलिस पहले पीड़िता के साथ रेप होने से भी इनकार कर रही थी। इसीलिए पुलिस के रवैये पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

एक औऱ मामले में पुलिस प्रशासन को हाई कोर्ट से झटका लगा। डॉ. कफील खान की गिरफ्तारी की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। इससे पहले हाई कोर्ट ने कफील खान पर से एनएसए हटाने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला सही है और इसे बरकरार रखा जाए। कफील खान पर प्रशासन ने हिंसा फैलाने के मामले में मुकदमा दर्ज किया था। इसके बाद हाई कोर्ट ने उनके रिहाई के आदेश दे दिए थे।

जनसत्ता से साभार