संघर्ष की जीत: डॉ. कफ़ील को रिहाई का आदेश, देवांगना को ज़मानत

हाईकोर्ट ने डॉ. कफ़ील पर NSA को बताया अवैध, तुरंत रिहाई का आदेश, ‘पिंजड़ा तोड़’ की देवांगना को ज़मानत, पर रिहाई नहीं होगी
योगी राज़ के विरोध के कारण उत्पीड़न झेल रहे डा. कफ़ील को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हुई गिरफ़्तारी को अवैध बताया है। हाईकोर्ट ने उन्हें तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है। वहीं दूसरी ओर, अदालत ने ‘पिंजड़ा तोड़’ की देवांगना को ज़मानत देते हुए कहा कि ‘विरोध प्रदर्शन के दौरान देवांगना के भाषण से कहीं से ऐसा नहीं लगता कि एक समुदाय की महिलायें भड़की हों। वो एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन था जो कि हर किसी का संवैधानिक अधिकार है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डा.कफ़ील ख़ान की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हुई गिरफ़्तारी को अवैध बताया है। हाईकोर्ट ने उन्हें तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है। डॉ.कफ़ील ख़ान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को मामला पर सुनवायी करने का निर्देश दिया था। यूँ तो योगीराज में हुए गोरखपुर आक्सीजन कांड के बाद से ही डॉ.कफ़ील ख़ान के बुरे दिन चल रहे हैं लेकिन पिछली गिरफ्तारी सीएए कानून विरोधी प्रदर्शन के दौरान दिये गये उनके भाषण को लेकर जनवरी, 2020 में हुई थी। योगी सरकार के मुताबिक उनका भाषण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा था। डा.कफ़ील को ज़मानत मिलने पर नये मामले के साथ उन्हें जेल में डाल दिया गया।
लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन के सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। अदालत ने अपने फैसले में साफ कहा है कि डॉ. कफील खान के भाषण में ऐसा कुछ भी नहीं है – जिसके आधार पर उनको राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा माना जा सके। इसके उलट – उनको भाषण में राष्ट्रीय एकता की बात है और हिंसा न करने की अपील है। अदालत ने टिप्पणी करते हुए, ये भी कहा है कि संभवतः प्रशासन ने इस भाषण की ‘सेलेक्टिव रीडिंग’ की है। गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन की कमी से कई बच्चों की मौत हुई थी जिसके लिए योगी सरकार ने डॉ.कफील ख़ान को दोषी ठहराया था, हालांकि जाँच में उन पर लगे आरोप ग़लत साबित हुए थे। डॉ.कफ़ील की गिरफ्तारी लगातार मुद्दा बनी हुई थी। हाल ही में कांग्रेस ने इस मुद्दे पर आंदोलन भी छेड़ा था।
वहीं, उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों के मामले में आरोपी ठहरायी गयीं, महिला संगठन पिंजरा तोड़ ग्रुप की सदस्य देवांगना कलिता को 26 फरवरी के एक मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। दिल्ली हाईकोर्ट ने माना है कि उनके भाषण में कोई उकसावे जैसी बात नहीं है जबकि पुलिस उन्हें देवांगना कलिता को मुख्य साज़िशकर्ता बता रही थी। वैसे, देवांगना अभी जेल से नहीं छूटेंगी क्योंकि स्पेशल सेल ने उन पर यूएपीए लगाया है। देवांगना कलिता को 25 हज़ार के निजी मुचलके पर ज़मानत दी गई है पर वे देश छोड़कर नहीं जा सकेंगी। जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने यह ज़मानत दी। जिस मामले में ज़मानत हुई वो 26 फरवरी को जाफराबाद में हुई हिंसा से जुड़ा है। अदालत ने कहा कि ‘विरोध प्रदर्शन के दौरान देवांगना के भाषण से कहीं से ऐसा नहीं लगता कि एक समुदाय की महिलायें भड़की हों। वो एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन था जो कि हर किसी का संवैधानिक अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि देवांगना को ज़मानत देने से जांच पर असर नहीं पड़ेगा। उन्हें ज़मानत देकर उत्पीड़न और गैर जरूरी हिरासत से बचाया जा सकता है।
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने कलिता को गिरफ्तार किया था। उन पर दंगा करने, गैरकानूनी तरीके से जमा होने और हत्या की कोशिश करने सहित आईपीसी की अलग-अलग धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
( मीडिया विजिल से साभार)