गुड़गांव: तीसरे दिन भी हुआ मारुति मज़दूरों का दमन; होनी थी वार्ता, हो गई गिरफ़्तारी

Maruti_daman-31-1

गुरुग्राम (हरियाणा)। मारुति सुजुकी अस्थाई मज़दूरों ने मारुति सुजुकी प्रबंधन के अन्यायपूर्ण कृत्यों को उजागर करते हुए जैसे ही अपनी मांगों को बुलंद किया, जापानी सुजुकी प्रबंधन के इशारे पर हरियाणा की भाजपा सरकार और उसका पूरा अमला एकबार फिर मज़दूरों के दमन पर उत्तर पड़ा है। आज 31 जनवरी को तीसरे दिन वार्ता के लिए बुलाकर प्रशासन ने मज़दूरों को गिरफ्तार कर लिया।

नेतृत्वकर दो साथी राजेंद्र पार्क पुलिस स्टेशन में बंद हैं तो 46 मज़दूर मानेसर पुलिस लाइन में रखे गए हैं। एकबार फिर सन 2012 जैसे हालात पैदा हो गए हैं, जब हरियाणा पुलिस मारुति मज़दूरों की छापामार गिरफ्तारियाँ कर रही थी।

यह दौर ऐसा है जब मज़दूर जैसे ही अपने हक़ की आवाज़ उठाते हैं पूरा सत्ताधारी अमला मज़दूरों के दमन के लिए उत्तर पड़ता है। मारुति के मज़दूर विगत 14 साल से इस भयानक दमन के शिकार रहे हैं लेकिन दमन के बावजूद उनकी आवाज बुलंद रही है, आज भी जहां दमन तेज हुआ है वही मज़दूरों के अपने अधिकार को पाने के लिए हौसले भी बुलंद हैं।

3 दिन से जारी पुलिस की अन्यायपूर्ण कार्रवाइयाँ

30 जनवरी को ‘मानेसर चलो’ आह्वान और शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोकने के लिए 29 जनवरी से ही गुड़गांव का प्रशासन और पूरा पुलिस अमला दमन के लिए मुस्तैद हो गया। विगत चार माह से आईएमटी मानेसर तहसील पर बर्खास्त मारुति मज़दूरों के चल रहे धरना स्थल को तहस-नहस करते हुए पुलिस ने टेंट सहित मज़दूरों के सारे सामान खुर्द-बुर्द कर दिए या जप्त कर लिए। 30 तारीख की सुबह से ही मज़दूरों की गिरफ्तारियां का दौर शुरू हुआ जो देर रात तक रिहा हो सके।

31 जनवरी को सहायक श्रमयुक्त की मध्यस्थता में वार्ता होनी थी। मज़दूर डीसी कार्यालय गुड़गांव में एकत्रित होने लगे। लेकिन वहां भी धारा 144 (बीएनएसएस 163) कथित तौर पर पाबंद करते हुए मज़दूरों को गाड़ियों में भर लिया गया, गिरफ्तारियां का दौर तेज होता रहा, पुलिस लाठियां बरसाती रही और वार्ता भी आधार में लटक गया।

मज़दूर त्रिपक्षीय वार्ता को पहुंचे, मिली गिरफ़्तारी

आज 31 जनवरी को तीसरे दिन भी प्रशासन का मारुति के अस्थायी श्रमिकों के खिलाफ कार्रवाई जारी रही। आज सैकड़ों श्रमिक सुबह डीसी कार्यालय पर शांतिपूर्वक एकत्र हुए थे। वे मारुति सुजुकी अस्थायी मजदूर संघ की कमेटी सदस्यों, श्रम अधिकारियों और कंपनी प्रबंधन के साथ त्रिपक्षीय बैठक के लिए आए थे। यह वार्ता 10 जनवरी को श्रम विभाग, गुरुग्राम में प्रस्तुत चार्टर ऑफ डिमांड्स पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी।

पुलिस ने सूचित किया कि गुरुग्राम में धारा 144 (बीएनएसएस 163) लागू कर दी गई है, और बड़ी संख्या में पुलिस बल ने श्रमिकों को डीसी कार्यालय के गेट से उठाना और खदेड़ना शुरू कर दिया। श्रमिक श्रम विभाग परिसर के अंदर एक पार्क में एकत्र हुए, लेकिन वहां भी पुलिस कार्रवाई जारी रही। फिर वे गुरुग्राम के कमला नेहरू पार्क में इकट्ठा हुए, लेकिन वहां भी पुलिस बल पहुंच गया। यह सिलसिला गुरुग्राम के विभिन्न स्थानों पर चलता रहा। करीब 100 श्रमिकों को मानेसर पुलिस लाइन ले जाया गया है, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि कुल कितने श्रमिकों को हिरासत में लिया गया है।

मज़दूर नेता पुलिस हिरासत में तो वार्ता कैसे हो?

मारुति सुजुकी अस्थायी मजदूर संघ द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार समिति के सदस्यों में से खुशीराम और सुरेंद्र दहिया को पुलिस ने हिरासत में लेकर राजेंद्र पार्क पुलिस स्टेशन भेज दिया। संभवतः उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं।

13 समिति सदस्यों में से केवल एक ही त्रिपक्षीय बैठक में शामिल हो सका, क्योंकि बाकी या तो गिरफ्तार कर लिए गए, हिरासत में ले लिए गए या उन्हें वहां से भगा दिया गया। लगातार हो रही पुलिस कार्रवाई के कारण बैठक जारी रखना संभव नहीं था।

ऐसा लगता है कि हरियाणा की भाजपा सरकार ने एक रणनीति के तहत मज़दूरों को वार्ता के लिए बुलाया और कथित रूप से धारा 144 तामिल करके मज़दूरों और उनके नेतृत्व को हिरासत में ले लिया।

मज़दूरों ने दिया शानदार साहस का परिचय

मारुति सुजुकी के अस्थायी श्रमिकों ने पिछले तीन दिनों में मानेसर और गुरुग्राम में पुलिस कार्रवाई के बावजूद असाधारण साहस और संकल्प दिखाया और पीछे हटने से साफ इनकार कर दिया। प्रबंधन और पुलिस-प्रशासन लंबे समय से चल रही इस कार्रवाई के बावजूद श्रमिकों को डराने और उनके संघर्ष को रोकने में सफल नहीं हो पा रहे हैं।

परसों, मानेसर तहसील धरना स्थल से करीब 100 श्रमिकों को पुलिस ने उठा लिया और उन्हें 25 किलोमीटर दूर छोड़ दिया। जब श्रमिक मानेसर लौट रहे थे, तो पुलिस ने उन्हें फिर से रोक दिया। पुलिस ने तंबू, बैनर, बर्तन, भोजन और श्रमिकों की व्यक्तिगत वस्तुएं जब्त कर लीं।

कल, धारा 144 लागू होने के बावजूद, “मानेसर चलो” के आह्वान पर हजारों अस्थायी श्रमिक मानेसर तहसील में एकत्र होने लगे। भारी पुलिस बल ने अलग-अलग स्थानों से श्रमिकों को हिरासत में लेना शुरू कर दिया। रात तक 76 श्रमिक हिरासत में लिए जा चुके थे, जबकि अन्य को पुलिस बसों से धरना स्थल से दूर भेज दिया गया। इसके बावजूद, श्रमिक फिर लौट आए और गुरुग्राम और मानेसर में विभिन्न स्थानों पर रात बिताई।

फिलहाल खबर लिखने तक किसी साथी को पुलिस ने रिहा नहीं किया है। क़ानूनी सलाहकार और वकील थानों में मज़दूरों से मुलाक़ात कर रहे हैं, स्थिति का जायज ले रहे हैं। इस बीच देश के विभिन्न हिस्सों में मारुति मज़दूरों के समर्थन और सत्ता के दमन के विरोध में आवाज उठा रहे हैं।

1 thought on “गुड़गांव: तीसरे दिन भी हुआ मारुति मज़दूरों का दमन; होनी थी वार्ता, हो गई गिरफ़्तारी

Comments are closed.

भूली-बिसरी ख़बरे