आम सभा: सरकार तुरंत हस्तक्षेप करे, अवैध गेटबंदी के शिकार पीडीपीएल मज़दूरों को बहाल कराए

आक्रोश : क़ानूनी प्रावधानों के बगैर अनुपालन पीडीपीएल फैक्ट्री का मालिक और नाम बदलकर “समाज आटोमोटिव” हो गया और फैक्ट्री में कार्यरत सभी स्थायी मजदूरों की गैरक़ानूनी गेटबंदी हो गयी।
रुद्रपुर (उत्तराखंड)। कंपनी का नाम बदलकर गैरक़ानूनी गेटबंदी/छँटनी के शिकार मज़दूरों ने पीडीपीएल मजदूर यूनियन के बैनर तले अम्बेडकर पार्क, रूद्रपुर में आम सभा कर कार्यबहाली के लिए अपनी आवाज़ बुलंद की। इस दौरान क्षेत्र की तमाम मज़दूर यूनियनों, संगठनों और मज़दूरों व महिलाओं ने भागीदारी की।
इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए ऐक्टू के प्रदेश महामंत्री के. के. बोरा ने कहा कि 21 अप्रैल से पीडीपीएल मजदूर यूनियन के सभी 41 स्थायी मजदूर अन्याय झेल रहे हैं। 21 अप्रैल से उनकी फैक्ट्री का मालिक और नाम बदल जाने के साथ ही ‘‘समाज आटोमोटिव‘‘ नाम के कारखाने व नये मालिक द्वारा फैक्ट्री में कार्यरत सभी 41 स्थायी मजदूरों की कारखाने में नो एंट्री कर दी गयी।
स्थायी मजदूरों को काम से निकालने के नियम-कानून होते हैं। लेकिन नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाते हुए ‘समाज आटोमोटिव‘ के मालिक ने मजदूरों की गेट बंदी कर दी। मजदूरों व श्रम विभाग को नोटिस तक देना उक्त मालिक ने सही नहीं समझा। और तो और सिडकुल आफिस से बिना कब्जा लिए व उद्योग विभाग से पंजीकरण लिए बिना ही कारखाना संचालित करने लगा।
श्रम कानूनों की धज्जियाँ उड़ाते हुए ठेके के अनट्रेंड मजदूरों से भारी मशीनों पर काम करवा रहा है। जिससे कभी भी जन हानि हो सकती है। इस सब के बावजूद शासन-प्रशासन तमाम शिकायतों के बाद भी कोई ध्यान नहीं दे रहा है। स्थायी मजदूरों के पेट पर कम्पनी प्रबंधन द्वारा लात मार दी गयी है और मजदूर लगातार शासन-प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहे हैं। 25 दिनों से मजदूर कम्पनी गेट के सामने ड्यूटी का इंतेजार करते हुए भरी धुप में भूखे-प्यासे डटे रहते हैं।
श्रमिक संयुक्त मोर्चा अध्यक्ष दिनेश तिवारी ने कहा की सिड़कुल में फैक्ट्री मालिकों की मनमानी से औद्योगिक माहौल बिगड़ रहा है। सरकार को फैक्ट्री मालिकों की मनमानी पर रोक लगाते हुए और श्रमिकों के शोषण पर रोक लगाते हुए तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।
इंकलाबी मजदूर केंद्र के नेता सुरेंद्र रावत ने कहा केंद्र सरकार पूँजीपतियों के हितों के लिए मजदूर विरोधी श्रम कोड लाई है। इसके लागू होते ही तमाम श्रम अधिकार निलंबित हो जाएंगे। पूंजीपतियों की मनमानी हो जाएगी और मजदूर गुलामी में धकेल दिए जाएंगे। आज जब मजदूर पक्षीय श्रम कानून हैं तब भी सभी मजदूरों को न्याय पाने के लिए रोज सड़कों पर उतरना पड़ता है। इंट्राक के मजदूरों का आंदोलन इस बात का गवाह है। लेकिन जब कानून मजदूरों के खिलाफ हो जाएंगे तो मजदूरों की स्थिति दयनीय हो जाएगी।
भाकपा (माले) के जिला सचिव ललित मटियाली ने कहा सिडकुल सहित तमाम उद्योगों में श्रम कानूनों का पालन नही किया जा रहा है । मजदूरों का बेतहाशा शोषण हो रहा है। तमाम शिकायतो के बाद भी सरकार चुपचाप बैठी है, उल्टा प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी जी बोलते है कि लेबर इंस्पेक्टर बिना शिकायत के छापा मारने नही जायेंगे। ये सरकार का मजदूर विरोधी चरित्र है।
मजदूर सहयोग केंद्र के महासचिव धीरज जोशी ने कहा कि सरकार-प्रशासन-मालिक गँठजोड़ के खिलाफ मज़दूरों को व्यापक एकता के साथ खड़ा होकर साझे संघर्ष कि ओर बढ़ना होगा।
सभा को टैंपो यूनियन के सुब्रत विश्वास, यजाकि यूनियन के रविंद्र, पी डी पी एल यूनियन के अध्यक्ष प्रकाश चिलवाल, ईन्ट्राक मजदूर यूनियन के सौरव, सनसेरा श्रमिक संघ के नरेंद्र वाणी कोरोलिय एंप्लाइज यूनियन अध्यक्ष हरेन्द्र सिंह आदि ने भी संबोधित किया। कांग्रेस नेता हरीश पनेरू ने कहा कि वो हमेशा आंदोलन के साथ है और मजदूरों के साथ खड़े हैं।
सभा में पीडीपीएल मजदूर यूनियन के परिवार के लोग व तमाम यूनियन के दीपिका भारती, रेणु गंगवार, पुष्पा मौर्या, मीरा राय, सीमा, विनीता, गीता देवी, उषा देवी, विद्यावती, चंदन मेवाड़ी, मनोज आर्य, दुधनाथ भारती, चंद्रा सिंह, ललित जोशी, नवजोत परिहार, मनोज सहित कई लोग मौजूद थे।