जनपक्षधर पत्रकारिता को धार देना ही विद्यार्थी जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी

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अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी की शहादत दिवस पर परिचर्चा

रुद्रपुर। स्वाधीनता आंदोलन के सेनानी और पत्रकारिता की मिसाल अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी की शहादत 25 मार्च को शहीद भगत सिंह पुस्तकालय में एक परिचर्चा आयोजित की गई जिसमें वक्ताओं ने कहा कि शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी पहले पत्रकार थे जिन्होंने अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए कानपुर में दंगों की भेंट चढ़े और अपने प्राणों की बलिदान दी।

परिचर्चा में वक्ताओं ने कहा कि विद्यार्थी जी आजादी की लड़ाई के कलम के असल सिपाही थे, जिन्होंने अंग्रेज हुक्मरानों से कभी समझौता नहीं किया और उन्होंने प्रताप अखबार से एक मील का पत्थर कायम किया। अपने प्रखर पत्रकारिता और गलत से समझौता ना करने के कारण ही वे 5 बार जेल गए।

https://mehnatkash.in/2019/10/26/ganesh-shankar-vidyarthi-was-the-first-journalist-to-face-the-riots/

विद्यार्थी जी जहां एक तरफ गांधी जी से प्रेरित थे वहीं दूसरी तरफ क्रांतिकारियों, जनपक्षधर ताकतों और मज़दूर-किसान आंदोलनों से उनका सीधा जुड़ाव भी था। उनका प्रेस भगत सिंह जैसे देशभर के तमाम क्रांतिकारियों की शरण स्थली भी थे। उन्होंने पत्रकारिता के नए मूल्य और मानदंड प्रस्तुत किए।

परिचर्चा में यह बात उभर कर आई कि आज के दौर में जब पत्रकारिता में पतनशीलता काफी बढ़ गई है और लेखन व पत्रकारिता पर बहु आयामी हमले  हो रहे हैं, ऐसे में विद्यार्थी जी जैसे पत्रकारों से प्रेरणा लेना और एक सही और सच्ची जनपक्षधर पत्रकारिता को धार देना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। मीडिया की भ्रामक ख़बरों के समांतर वैकल्पिक मीडिया खड़ा करना आज पहले से ज्यादा अहम हो गया है।

https://mehnatkash.in/2020/03/25/ganesh-shankar-vidyarthi-was-an-anti-communalist-labor-advocated-journalist/

परिचर्चा में वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर शंभू दत्त पांडे शैलेय, वरिष्ठ पत्रकार असलम कोहरा, अयोध्या प्रसाद भारती, गोपाल सिंह गौतम, मुकुल, महेंद्र राणा, धीरज जोशी, मुकेश कुमार आदि ने भागीदारी की।

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