डॉल्फिन, लुकास टीवीएस, हेंकल सहित सिड़कुल के समस्त पीड़ित मज़दूरों को न्याय दो! -CSTU

‘सेंटर फॉर स्ट्रगर्लिंग ट्रेड यूनियंस’ (CSTU) ने डॉल्फिन प्रबंधन की मनमानी रोकने; डॉल्फिन, लुकास टीवीएस, हेंकल, करोलिया, इंटरार्क, नील मेटल मज़दूरों की कार्यबहाली आदि की माँग की है।
उत्तराखंड सरकार, शासन-प्रशासन और मालिकों की मिली भगत से उत्तराखंड के औद्योगिक क्षेत्र सिड़कुल में हो रहे मज़दूरों के इस खुले दमन और शोषण की तीखे शब्दों में निंदा करते हुए 28 अक्टूबर को एक बयान जारी किया है और डॉल्फिन, लुकास टीवीएस, हेंकल, करोलिया, इंटरार्क, नील मेटल सहित समस्त पीड़ित मज़दूरों को न्याय देने की माँग की है।
उल्लेखनीय है कि देश के विभिन्न हिस्सों में कार्यरत स्ट्रगलिङ्ग वर्कर्स कोआर्डिनेशन सेंटर (एसडब्लूसीसी), मज़दूर सहयोग केन्द्र (एमएसके), हिल प्लांटेशन इम्पालाइज यूनियन (एचपीईयू) और संग्रामी घरेलू कामगार यूनियन (एसजीयू) की संग्रामी एकता से ‘सेंटर फॉर स्ट्रगलिंग ट्रेड यूनियंस’ (CSTU) का गठन हुआ है, जिसका पहला सम्मेलन आगामी 7-8 दिसंबर को कोलकाता में होना है।
‘सेंटर फॉर स्ट्रगर्लिंग ट्रेड यूनियंस’ (CSTU) द्वारा जारी बयान-


👉🏿 डॉल्फिन प्रबंधन की अविधिक कार्रवाइयों पर रोक लगे, कार्यबहाली सहित डॉल्फिन मज़दूरों की सभी न्याय संगत मांगें पूरी हों!
👉🏿 लुकास टीवीएस, हेंकल के संघर्षरत मज़दूरों की कार्यबहाली करो!
👉🏿 करोलिया, इंटरार्क, नील मेटल सहित सिड़कुल के समस्त पीड़ित मज़दूरों को न्याय दो!
उत्तराखंड का औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल मज़दूरों के लगातार शोषण-दमन का केन्द्र बना हुआ है। यहां मालिकों-प्रबंधन की मनमानी लगातार तेज होती जा रही है और श्रम क़ानूनों का खुला उल्लंघन जारी है। जबकि राज्य की भाजपा सरकार ने शासन प्रशासन, श्रम विभाग और पुलिस को मालिकों की हित सेवा में मज़दूरों के दमन और प्रबंधन के अवैध कृत्यों को जारी रखने के लिए खुली छूट दे रखी है।
डॉल्फिन कंपनी के मज़दूर प्रबंधन और शासन-प्रशासन-सरकार की मिली भगत के शिकार बनकर लंबे समय से संघर्षरत हैं। डॉल्फ़िन प्रबंधन बोनस भुगतान, न्यूनतम वेतन भुगतान, संविदा श्रम अधिनियम, कारखाना अधिनियम और औद्योगिक विवाद अधिनियम जैसे बुनियादी श्रम कानूनों का घोर उल्लंघन कर रहा है। प्रबंधन ने मनमाने तरीके से हजारों स्थाई मज़दूरों से जबरिया इस्तीफा लेकर ठेके में नियोजित कर दिया और 48 स्थाई मज़दूरों का नोटिस या आरोप पत्र दिए बिना अवैध रूप से गेट बंद कर दिया। मज़दूरों को न्याय देने की जगह 6 मज़दूरों व मज़दूर सहयोगियों पर प्रशासन ने गुंडा ऐक्ट थोपा दिया, जो घोर निंदनीय है।
वर्तमान में प्रबंधन की मनमानी और श्रम कानूनों के खुले उल्लंघन के खिलाफ महिला मज़दूरों सहित 6 मज़दूर अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं और प्रशासन अपने ही कराए गए समझौते से भी मुकर जा रहा है।
लुकास टीवीएस के मज़दूर यूनियन बनाने के कारण लंबे समय से दमन के शिकार हैं और विगत एक साल से संघर्षरत व धरनारत हैं। मज़दूरों की कार्यबहाली, मांग पत्र के निस्तारण, पूर्व में किए गए समझौते के अनुपालन, यूनियन की मान्यता जैसी उनकी मांगें बेहद बुनियादी और न्याय संगत हैं। लुकास टीवीएस यूनियन आरएसएस-बीजेपी से जुड़ी भारतीय मजदूर संघ से संबंध है और केंद्र व राज्य में भाजपा की सरकार है। फिर भी न्याय मिलना तो दूर कोई उनको पूछने वाला नहीं है।
हेंकेल एड़हेसिब टेक्नोलॉजी इंडिया के मज़दूर यूनियन महामंत्री के गैरकानूनी गेटबंदी के खिलाफ और और माँगपत्र के समाधान के लिए स्थानीय गांधी पार्क में धरनारत हैं।
आज पूरे सिडकुल क्षेत्र में स्थिति यह है कि यूनियन बनाने या मांग पत्र देने के साथ ही मालिकों का दमन बढ़ जाता है और शासन प्रशासन श्रम विभाग का खुला संरक्षण उन्हें मिलता है।
करोलिया लाइटिंग कंपनी में यूनियन के अध्यक्ष व महामंत्री की गैरकानूनी बर्खास्तगी इसकी जिंदा मिसाल है। इंटरार्क पंतनगर व किच्छा में समझौता लागू करने की जगह मज़दूरों की अवैध बर्खास्तगी और लगातार शोषण जारी है। इसी तरीके से जेबीएम ग्रुप की नील मेटल में यूनियन द्वारा मांग पत्र देने के बाद से प्रबंधन ने चार मज़दूरों की गैर कानूनी गेटबंदी कर दी, निलंबित किया और अब उन पर बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है। जबकि चार अन्य मज़दूरों को अविधिक रूप से प्रबंधन ने राज्य से बाहर स्थानांतरित कर दिया। हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद प्रबंधन उनकी कार्यबहाली नहीं कर रहा है। ऐसे ही अनगिनत मज़दूर शोषण और दमन के शिकार बने हुए हैं।
‘सेंटर फॉर स्ट्रगर्लिंग ट्रेड यूनियंस’ (CSTU) सरकार, शासन-प्रशासन और मालिकों की मिली भगत से हो रहे मज़दूरों के इस खुले दमन और शोषण की तीखे शब्दों में निंदा करती है। हम यह मांग करते हैं कि-
- डॉल्फिन कंपनी के समस्त मज़दूरों की तत्काल कार्यबहाली हो, सभी झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं, गैरकानूनी रूप से स्थाई मज़दूरों को देखा ठेका प्रथा में धकेलने की प्रक्रिया बंद की जाए और समस्त मज़दूरों को पूर्व की भांति स्थाई मज़दूर का दर्ज बहाल किया जाए तथा न्यूनतम वेतन और बोनस देने की उनकी मांगें तत्काल पूरी की जाए!
- डॉल्फिन मज़दूरों और इंक़लाबी मज़दूर केन्द्र के कैलाश भट्ट सहित 6 मज़दूरों पर अवैध रूप से थोपे गए गुंडा ऐक्ट को तत्काल निरस्त किया जाए। मज़दूरों का दमन बंद किया जाए!
- एक साल से संघर्षरत लुकास टीवीएस के समस्त मज़दूरों की कार्यबहाली, मांग पत्र के निस्तारण, पूर्व में किए गए समझौते के अनुपालन सहित यूनियन को मान्यता दी जाए!
- हेंकेल एड़हेसिब यूनियन के महामंत्री की तत्काल कार्यबहाली की जाए!
- कारोलिया लाइटिंग इंप्लाइज यूनियन के अध्यक्ष और महामंत्री, इंटरार्क तथा नील मेटल के सभी पीड़ित मजदूरों की तत्काल कार्यबहाली की जाए। सिडकुल क्षेत्र में मज़दूरों के दमन-शोषण पर रोक लगाई जाए, बुनियादी श्रम कानूनों को लागू किया जाए, सभी मज़दूरों को न्यूनतम वेतन और बोनस का भुगतान किया जाए तथा गैरकानूनी ठेका प्रथा को खत्म करके स्थाई काम पर स्थाई श्रमिकों की नियुक्ति की जाए!
दिनांक: 28/10/2024
सेंटर फॉर स्ट्रगर्लिंग ट्रेड यूनियंस (CSTU)
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