कोरोना से निपटने के लिए अमरीकी मज़दूरों ने उठाई आवाज़

बोस्टन में जनरल इलेक्ट्रिक के हेडक्वार्टर के सामने प्रदर्शन कर रहे मज़दूर
अमरीका के जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी के मज़दूरों ने उठाई देश के लिए वेंटीलेटर बनाने की मांग
कोविड महामारी में अमरीका जैसे बड़े देश का हाल भी काफी खराब है| पूरी तरह निजी स्वास्थय प्रणाली के तहत अमरीका में महामारी पीड़ितों के इलाज के लिए पर्याप्त वेंटीलेटर भी नहीं है| इसी समय, महामारी का इस्तेमाल कर के कई कंपनियां मज़दूरों की छटनी भी कर रही है| इस स्थिति में सोमवार को देश की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिकल कम्पनियों में से एक, जनरल इलेक्ट्रिक के मज़दूरों ने बोस्टन स्थित हेडक्वार्टर में और, मस्साचुसेट के हवाइ यान बनाने के कारखाने में जेट इंजन के बजाए वेंटीलेटर उत्पादन करने की मांग पर आवश्यक दूरी रखते हुए जुलूस और और मौन प्रदर्शन का आयोजन किया| जनरल इलेक्ट्रिक का स्वस्य्थ विभाग वेंटीलेटर उत्पादन भी करता है| मज़दूरों का कहना है की कंपनी के पास वेंटीलेटर बनाने की तकनीक भी है और साधन भी| उनका कहना है की जहां उनके कारखाने बंद पड़े हैं, और इतने सारे अनुभवी मज़दूरों की छटनी की जा रही है, वहीं इनका उपयोग महामारी से निपटने के लिए किया जाना चाहिए|
जनरल इलेक्ट्रिक के संघर्षरत मज़दूर
हाल ही में कंपनी ने अपने श्रम बल में 10% छटनी की घोषणा की है और 2,600 मज़दूरों को काम से निकाला है| इसके अतिरिक्त अपने मैंटेनेन्स विभाग में 50% श्रम बल को अस्थायी तौर से बर्खास्त किया है, जिससे कंपनी को 500 मिलियन से 1 बिलियन डॉलर का मुनाफ़ा होने की संभावना है| मज़दूरों के प्रदर्शन के समय ही दूसरी और, अमरीकी संसद में हवाई यान उद्योग को रहत देने के लिए 50 बिलियन डॉलर सहयोग राशि और 25 बिलियन डॉलर लोन देने की नीति जारी करने की चर्चा में लगी हुई थी| जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी अमरीकी वायु सेना के लिए भी उत्पादन करती है, जिस हवाले से इसे और 17 बिलियन केंरिया सहोयोग राशि का एक हिस्सा मोहैय्या हो सकता है| लेकिन लाजिम है की यह सहयोग मालिकों के मुनाफे की कमी पूरी करने में लगाए जाएंगे, जबकी उत्पादन बंद होने का सारा भार मज़दूरों को बर्खास्त करके उनके ऊपर थोपा जा रहा है|
मुनाफ्खोरी: महामारी को रोकने में विफलता का अमरीकी उदाहरण
मज़दूरों के अधिकारों का हनन और निजी हितों की सुरक्षा ने मिल कर आज इस महामारी को पूरे विश्व के लिए एक इतना बड़ा संकट बना दिया है| जेनेरल इलेक्ट्रिक्स का स्वास्थ्य विभाग पहले से ही वेंटीलेटर बनाता है| लेकिन एक ओर यह देश की ज़रुरत के आधार पर नहीं बल्कि अपने मुनाफे के मुताबिक़ उत्पादन करता है| इसलिए इतने संकट के दौर में अब तक इस कमोनी ने केवल एक शनिवार-रविवर को वेंटीलेटर का अतिरिक्त उत्पादन किया है| वहीँ जेनेरल मोटर्स जैसी कंपनियों द्वारा बनाए जाने वाले वेंटीलेटर बेहद महंगे भी होते हैं, किन्तु कई कोशिशों के बाद भी छोटे सस्ते वेंटीलेटर बनाने वाली कमोनियों को ऊपर उठने नहीं दिया गया है, जो भी आज वेंटीलेटर की कमी का एक कारन है|
इस पृष्ठभूमि पर रख कर जनरल इलेक्ट्रिक्स के मज़दूरों की मांग अगर मानी जाए तो जनहित में तकनीक और संसाधन के इस्तेमाल का एक ऐसा महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकती है, जो आज के संकट के दौर के आगे भी हमें अन्य संकटों से निपटने की एक दिशा दिखाती है|