भारत में फोर्ड के कार प्लांट बन्द होंगे, 50 हज़ार नौकरियों पर असर

कार निर्माता कंपनी फोर्ड इंडिया ने 9 सितंबर को घोषणा की कि वह भारत में अपने कार प्लांट बंद कर रही है, जिसमें दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में चेन्नई के उपनगर मराईमलाईनगर और पश्चिमी राज्य गुजरात में साणंद में मौजूद दो प्लांट बंद हो जाएंगे। नतीजतन, 4,000 से अधिक स्थाई फोर्ड कर्मचारियों की नौकरी चली जाएगी। इसके अलावा, इन दो प्लांटों के बंद होने से फोर्ड की वेंडर कंपनियों और कार डीलरशिप, शोरूम के हजारों कर्मचारियों के साथ-साथ कई हजार और ट्रेनी वर्कर, ठेका श्रमिक, कैंटीन और ग्राउंडकीपिंग कर्मचारी अपनी नौकरी खो देंगे।
फोर्ड के मॉडल फिगो, इकोस्पोर्ट, फिएस्टा, एस्पायर, फ्रीस्टाइल, एंडेवर का उत्पादन बंद हो जाएगा। सानंद प्लांट 2021 के अंत तक और चेन्नई प्लांट 2022 के मध्य तक पूरी तरह बंद हो जाएगा।
फोर्ड के इन दो प्लांटों के बंद होने से देश भर में 40 हज़ार लोगों की नौकरी जाएगी जो विभिन्न, वेंडरों, पार्ट्स सप्लायर, स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज़, कार शोरूम और डीलरों के पास काम करते हैं और ख़तरनाक रूप से स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज़ के अन्तर्गत आने वाली करीब 4000 छोटी कंपनियां, भी बंद हो जाएंगी। भारत का डेट्रॉयट माना जाने वाला औद्यौगिक शहर चेन्नई फोर्ड की इस प्लांट बंदी से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला है। इस बंदी से लॉजिस्टिक सेवा में लगे करीब 10-15 हज़ार लोगों की भी नौकरी जाएगी।
फोर्ड इंडिया में नॉर्थ अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा वेतन भोगी श्रमिक नियोजित हैं। सस्ते मज़दूरों की तलाश करने के उद्देश्य से की गई इस बंदी के बाद फोर्ड भारत में पेशेवर आईटी कर्मियों, साफ्टवेयर इंजीनियर और प्रोफेशनल्स की भर्ती करने वाली है।
जनवरी में, फोर्ड ने ब्राजील में तीन संयंत्रों को बंद करने और लैटिन अमेरिकी देश में 5,000 से अधिक ऑटो नौकरियों को खत्म करने की योजना की घोषणा की थी।
मार्च 2019 में, कंपनी ने दुनिया भर में 25,000 नौकरियों में कटौती करने की योजना की घोषणा की, जिसमें यूरोप में 12,000 और अकेले जर्मनी में 5,000 से अधिक नौकरियां शामिल हैं।
कोविड-19 महामारी के बीच अपनी स्थाई नौकरियों को खोने वाले श्रमिक जहां फोर्ड की इस परेशान करने वाली घोषणा से हैरान और नाराज हैं। फोर्ड के तमिलनाडु प्लांट में अपना आधा जीवन बिताने वाले 46 वर्षीय कर्मचारी पद्मनाभन ने 10 सितंबर को द न्यूज मिनट डॉट कॉम को बताया, “हमें प्लांट बंद होने के बारे में कभी कोई जानकारी नहीं थी।” “यह एकतरफा फैसला था। गुरुवार (9 सितंबर) दोपहर को, हमें एक बैठक के लिए बुलाया गया, जहां फोर्ड इंडिया के एमडी [प्रबंध निदेशक] अनुराग मेहरोत्रा ने हमें सूचित किया कि प्लांट बंद हो रहा है। यह वास्तव में चौंकाने वाला था और यह हमारी आजीविका का मामला है।”
श्रमिक हताश हैं कि उन्हें अब नौकरियां कहां मिलेंगी क्योंकि महामारी ने ऑटो बाजार को छोटा कर दिया है और पहले से ही नौकरी ढूंढने वालों की संख्या ज्यादा है। फैक्ट्री में 21 साल से काम कर रहे 43 वर्षीय मुरुगन ने स्थानीय समाचार पत्रों को बताया कि “हुंडई और निसान जैसे अधिकांश वाहन निर्माता अब स्थायी कर्मचारी नहीं रखते हैं।”
फोर्ड के कर्मचारियों में हताशा और गुस्सा बढ़ता जा रहा है। 14 सितंबर को, श्रमिकों ने मराईमलाई नगर में फोर्ड इंडिया मुख्यालय में कारखाने के सामने विरोध प्रदर्शन किया। 20 सितंबर को मज़दूर प्लांट के अंदर भुख हड़ताल पर बैठे।