टोहाना थाना के सामने डटे किसान, दमन के खिलाफ देंगे गिरफ्तारी

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किसानों पर दर्ज फर्जी मुकदमें वापस लो

कृषि कानूनों पर नरेंद्र मोदी सरकार से रार के बीच आंदोलनकारी किसानों का एक नया प्रदर्शन स्थल उभर कर सामने आया है। यह रैली या धरना स्थल हरियाणा के टोहाना पुलिस थाने (सदर पुलिस स्टेशन) के बाहर है, जहां अन्नदाता ‘जेल भरो’ अभियान के तहत टेंट आदि गाड़ चुके हैं।

किसान आंदोलन का चेहरा बने BKU प्रवक्ता राकेश टिकैत भी वहां पहुंचे और रविवार को रात भर डटे रहे। उनके नेतृत्व में इस दौरान काफी संख्या में किसान व समर्थक थे। थाने के बाहर इन सब ने दो किसानों की रिहाई की मांग उठाई। साथ ही गिरफ्तार किसानों के खिलाफ आपराधिक मामला वापस लिए जाने के लिए भी कहा। टिकैत ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि जब तक साथी किसानों को रिहा नहीं किया जाता, तब तक प्रदर्शनकारी किसान वहां से नहीं हटेंगे।

जानकारी के मुताबिक, संयुक्त मोर्चा ने किसानों से वहां जुटने को कहा है। एक प्रदर्शनकारी तो इस दौरान अपनी गाय भी साथ ले आया। उसने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि उसके घर पर मवेशी की देखभाल के लिए कोई नहीं था। हालांकि, सोमवार को एक किसान को रिहा कर दिया गया। सुबह टिकैत ने इसके बाद बताया कि वह लोग अब आगे टोहाना पुलिस थाने का घेराव नहीं करेंगे। वैसे, एक किसान साथी फिलहाल जेल में है, जिसे छुड़ाने के लिए अन्नदाताओं और प्रशासन के बीच बातचीत हो रही है।

दरअसल, किसानों ने बुधवार रात वहां जननायक जनता पार्टी (JJP) विधायक देवेंद्र सिंह बबली के घर का घेराव करने की कोशिश की थी। बाद में इसी मसले को लेकर किसानों के एक समूह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई थी। पुलिस ने विकास सिसार और रवि आजाद को गिरफ्तार किया था, जिन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत केस हुआ है। आरोपियों के वकील के अनुसार, सिसार और आजाद ने स्थानीय अदालत में जमानत अर्जी दायर की है, जिस पर सोमवार को सुनवाई होगी।

इससे पहले, एक जून को, बबली को किसानों के एक समूह के विरोध का सामना करना पड़ा था, जिन्होंने उन्हें काले झंडे दिखाए थे और नारे लगाए। बबली ने आरोप लगाया था कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने गलत व्यवहार किया और उनकी कार के शीशे तोड़ दिए।

हालांकि, किसानों ने बबली पर सार्वजनिक रूप से अभद्र और धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। प्रदर्शनकारी किसानों ने बुधवार को कहा था कि अगर विधायक बबली ने छह जून तक माफी नहीं मांगी तो वे सात जून को राज्य भर के सभी थानों का घेराव करेंगे। राज्य में कई किसान समूह भाजपा-जजपा नेताओं के सार्वजनिक कार्यक्रमों का विरोध करते रहे हैं।

अंबाला में पत्रकारों ने जब गृह मंत्री अनिल विज से किसानों द्वारा अपने सहयोगियों की रिहाई की मांग के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें रिहा करना अदालतों पर निर्भर है। हम ऐसा कैसे कर सकते हैं? वे अपनी अर्जी अदालत में दायर कर सकते हैं जो तब उनकी याचिका पर फैसला करेगी।’’

जनसत्ता से साभार

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