फरीदाबाद: प्रबंधन की मनमानी और पुलिसिया दमन के बीच वर्लपूल मज़दूरों का आक्रोश फूटा

पुलिस दमन व कंपनी के गुंडों के हमलों के बावजूद आंदोलन के दबाव में प्रबंधन ने मज़दूरों को आगे से कम्पनी द्वारा छुट्टी पर भेजने पर वेतन ना काटने का आश्वासन दिया।
फ़रीदाबाद (हरियाणा)। फरीदाबाद वर्लपूल कम्पनी में कैजुअल मज़दूरों को पिछले दिनो एक हाप्ते की छुट्टी पर भेज देने तथा उसका पैसा काट लेने, के विरोध में मज़दूरों ने 11 फरवरी को कार्य बहिष्कार कर दिया। कम्पनी द्वारा लगातार ऐसा ही करने के कारण मज़दूरों में आक्रोश था। 26 जनवरी का भी पैसा काट लिया गया था।
आक्रोशित मज़दूरों ने गेट पर ही धरना दे दिया। मज़दूरों के कार्य बहिष्कार तथा धरना देने से कम्पनी मैनेजमेंट बौखला गया। उसने कम्पनी के ठेकेदारों, बाउंसरों तथा पुलिस को मज़दूरों को सबक़ सिखाने में लगा दिया।
पुलिसकर्मीयों ने पूरी तरह से कम्पनी एजेंट की तरह ब्यावहार किया। मज़दूरों को शांति पूर्ण धरना नही देने दिया। उपरोक्त गुंडो ने मज़दूरों से धक्का मुक्की तथा मारपीट करनी शुरू कर अफ़रातफ़री मचा दी जो दिनभर चलती रही।
आंदोलन की खबर सुनकर इंक़लाबी मज़दूर केंद्र के कार्यकर्ता भी पहुँच गए तथा मज़दूरों एकजुट होकर लड़ने की सलाह तथा अफ़रातफ़री से बचाने का पर्यास किया। इससे गुंडे तथा पुलिस वालों की बौखलाहट चरम पर पहुँच गई। उन्होंने इमके के कार्यकर्ताओं व एक यूटुबर के साथ धक्का-मुक्की कर भगाने का पर्यास किया तथा धमकियाँ दी।
यह घंटो चलता रहा। फिर भी सफल ना होने पर पुलिस वाले अपने असली चरित्र पर उतर आये। यूटूबर को व इमके के लोगों को जबरन मज़दूरों से दूर करने के लिए धकियाते रहे।
तब भी सफल ना होने पर यूटूबर व एक इमके कार्यकर्ता के साथ कुछ मज़दूरों को को गिरफ़्तार कर घसीट कर कार में डालदिया। कार भर जाने पर इमके के कार्यकर्ता को जबरन कार की डिग्गी में ठूसने लगे इसमें सफल ना होने पर कार में बैठे लोगों को थाने भेज दिया। इमके कार्यकर्ता को आंदोलन स्थल से दूर ले जाकर छोड़ दिया।
कम्पनी प्रबंधन पहले तो मज़दूरों से बात करने को तैयार नही था। बाद में दबाव बढ़ने पर मज़दूरों के पाँच प्रतिनिधियों से वार्ता की। इस वार्ता में प्रबंधन ने मज़दूरों को आगे से कम्पनी द्वारा छुट्टी में भेजने पर वेतन ना काटने का आश्वासन दिया।
मज़दूर इस आश्वासन से संतुष्ट नही थे। आंदोलन में अफ़रातफ़री, अराजकता व आपस में एकता न होने के कारण दुखी थे।
एक दिन के आंदोलन के बाद दूसरे दिन मज़दूर मन मारकर काम पर चले गए।