फरीदाबाद : बस्ती उजाड़ने का विरोध कर रहे लोगों का दमन व गिरफ्तारियाँ निंदनीय

दशकों से रह रहे हजारों परिवारों को उजाड़ने के खिलाफ आंदोलन
फरीदाबाद (हरियाणा)। आज 30 जून को स्थानीय खोरी गांव के निवासियों को उजाड़ने के खिलाफ संघर्षरत लोगों पर पुलिस ने बेरहमी से लाठीचार्ज किया और कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया, जिनमें आइएमके के संजय मौर्या, यथार्थ पत्रिका के सतवीर, बीएससीईएम के जशवीर कौर व रविन्द्र शामिल हैं। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी को भी गाँव में घुसने नहीं दिया गया।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने खोरी गांव को 6 हफ्ते के अंदर खाली कराने के आदेश दिया। जबकि दशकों से रह रहे ग्रामीण इस जनविरोधी फैसले के विरोध में उतार पड़े हैं। ग्रामीणों ने पुनर्वास के बगैर आसियाना छोड़ने से माना कर दिया और संघर्ष की राह पकड़ी है। इस बीच प्रशासन ने निवासियों का बिजली काट दिया और पानी भी बंद कर दिया।
बस्ती उजाड़े जाने और प्रशासन द्वारा बिजली-पानी बंद करने के खिलाफ आज 30 जून को खोरी गांव के लोगों ने महापंचायत बुलाई थी जो अंबेडकर पार्क में होना था। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी को भी शामिल होना था। इससे घबड़ाई पुलिस ने सूरजकुंड रोड पर लोगों का आना जाना प्रतिबंधित कर दिया था।
उधर पुलिस ने सुबह छह बजे से ही कार्यक्रम स्थल को अपने कब्जे में ले लिया। करीब साढ़े ग्यारह बजे लोग अंबेडकर पार्क की तरफ बढ़ने लगी। पुलिस कर्मियों ने धारा 144 के बहाने लोगों अंदर जाने से रोक दिया।

ग्रामीण बिजली पानी की व्यवस्था को बहाल करने की मांग करने लगे। देखते ही देखते ग्रामीणों की संख्या बढ़ने लगी। पुलिस के साथ हो रही बहस, झड़प में बदल गई और पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इससे खोरी गांव के भी काफी संख्या में लोग घायल हैं। कुछ महिलाएं बेहोश हो गई।
इस दौरान पीड़ितों के संघर्ष में साथ देने आए इंकलाबी मजदूर केंद्र के संजय मौर्या, यथार्थ पत्रिका के साथी सतवीर जी भगतसिंह छात्र एकता मंच के साथी जशवीर कौर व रविन्द्र को भी फरीदाबाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
उधर किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी को भी पुलिस ने खोरी गांव में घुसने से रोक दिया। जिसके बाद वे किसान नेताओं के साथ धरने पर बैठ गए। उन्होंने लाठीचार्ज की नींद की। चढूनी ने खोरी बस्ती में रहने वालों की पुनर्वास की मांग की।

दमन की निंदा, रिहाई की माँग
दमन के बाद इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस (इफ्टू) के दिल्ली कमेटी अध्यक्ष अनिमेष दास ने पुलिसिया दमन व बर्बरता की निंदा की और गिरफ्तार कार्यकर्ताओं के रिहाई की माँग की।
जारी बयान में इफ्टू ने कहा है कि हम हरियाणा पुलिस की कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हैं और मांग करते हैं कि गिरफ्तार लोगों को तुरंत रिहा किया जाए और दोषी पुलिस अधिकारियों पर मामला दर्ज किया जाए। हम यह भी मांग करते हैं कि विरोध करने के अधिकार और शांतिपूर्ण बैठकें करने के अधिकार को बरकरार रखा जाए।
बयान में लिखा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने संरक्षित वन भूमि पर होने के बहाने 10,000 से अधिक घरों को गिराने का आदेश दिया है। उन्होंने इस तथ्य को आसानी से नजरअंदाज कर दिया है कि इन गरीब लोगों ने भू-माफिया से जमीन खरीदी है और दशकों से वोटर कार्ड, आधार कार्ड आदि के साथ वहां रह रहे हैं। इन भू-माफिया या उनके सहयोगियों – स्थानीय नेता, पुलिसकर्मी या अन्य अधिकारी के खिलाफ जमीन की बिक्री को सुविधाजनक बनाने के लिए अभी तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई है।
मंगलवार को जंतर-मंतर पर हुआ प्रदर्शन
इससे पूर्व खोरी गांव के रहने वाले स्थानीय लोगों ने मंगलवार को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। साथ ही राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के नाम ज्ञापन भी लिखा। ज्ञापन में मांग है कि कोर्ट के आदेश को निरस्त कर लोगों को रहने की अनुमति दी जाए।
ग्रामीणों ने बताया कि सूरजकुंड थाना क्षेत्र के खोरी गांव में 10 हजार मकान हैं, जिसमें तीन दशक से अधिक समय से लोग रह रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को विस्थापन के पूर्व पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। गांव में करीब 20 मंदिर, 10 मस्जिद, 4 चर्च, 1 गुरुद्वारा स्थापित हैं और यहां उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड आदि राज्यों के कामगार रहते हैं।