दलित भोजनमाता के जातीय उत्पीड़न के खिलाफ का पुतला दहन; मुख्यमंत्री को ज्ञापन

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चम्पावत के सुखी डांग इंटर कॉलेज में भोजन माता सुनीता के साथ जातिय उत्पीड़न की शर्मनाक घटना पर सवर्ण मानसिकता की निंदा के साथ मुख्यमंत्री से न्याय की मांग की गई।

पंतनगर (उत्तराखंड)। चंपावत जिले के सुखी डांग इंटर कॉलेज की दलित भोजन माता सुनीता देवी के  जातीय उत्पीड़न के खिलाफ 27 दिसंबर को प्रगतिशील भोजन माता संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, इंकलाबी मजदूर केन्द्र व ठेका मजदूर कल्याण समिति पंतनगर के कार्यकर्ताओं द्वारा  पीपल चौराहा पंतनगर पर सभा में सवर्ण मानसिकता का पुतला फूंका गया और मुख्यमंत्री उत्तराखंड को ज्ञापन भेजा गया। 

मालूम हो कि चम्पावत जिले के सुखी डांग इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य द्वारा शिक्षा विभाग की अनुमति एवं आवेदन, इंटरव्यू के बाद विधिवत तरीके से भोजन माता सुनीता देवी की नियुक्ति की गई। भोजन माता सुनीता देवी दलित जाति की थी, को हटाकर ऊंची जाति की महिला की नियुक्ति लेकर सवर्ण जाति के लोगों द्वारा बच्चों को उकसाने के फलस्वरूप, अध्यनरत सवर्ण जाति के बच्चों ने दलित भोजन माता के हाथ का बना खाना खानें से मना कर दिया।

विद्यालय प्रशासन द्वारा निम्न सोच से ग्रस्त लोगों को जागरूक करने के बजाय भोजन माता सुनीता पर ही कार्यवाही कर दिया। बेहद पिछड़ी सामंतवादी स्वर्ण वादी मानसिकता से ग्रस्त ग्राम प्रधान, शिक्षा विभाग और पुलिस प्रशासन तथा उत्तराखंड सरकार मूकदर्शक बने हुए हैं।

सभा में ब्लाक प्रमुख पंतनगर की तलाशी ने कहा कि आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं लेकिन  जातिवाद का दंश हमारे समाज से खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। शिक्षा का काम जाति व्यवस्था पर चोट करना है। लेकिन शिक्षा देने वाली जगहें भी जाति उत्पीड़न से मुक्त नहीं है। 

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प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की लक्ष्मी पंत ने कहा कि सुखी डांग इंटर कॉलेज में दलित भोजन माता के हाथ का बना खाना खाने से सवर्ण बच्चों का इनकार करना और प्रशासन द्वारा बच्चों अभिभावकों को समझाने के बजाय भोजन माता पर ही कार्यवाही करना शर्मनाक है।

ठेका मज़दूर कल्याण समिति पंतनगर के रमेश ने कहा कि आज भी समाज में मजदूर मेहनतकश जनता दलित महिलाओं के खिलाफ माहौल कायम है। एक ओर वह दलित होने, महिला होने, और मजदूर होने के नाते कई तरह के शोषण उत्पीड़न झेलने को मजबूर है। विद्यालय में माली, सफाई कर्मी, बच्चों की देखभाल, भोजन माता जैसे चार-चार कर्मियों का एक साथ कई कामों में लगातार कार्यरत हजारों भोजन माताओं को श्रम कानूनों द्वारा देय मूलभूत सुविधाओं से वंचित कर मात्र दो हजार रुपए महीने देकर बेगारी, बंधुआ मजदूरी बनाकर शोषण उत्पीड़न किया जा रहा है।

भोजन माताओं का लम्बा संघर्ष के बाद सरकार द्वारा मात्र एक हजार रुपए की बढ़ोतरी की गई। वायदा मुताबिक पांच हजार रुपए मासिक बढ़ोतरी नहीं किया गया। वादाखिलाफी की जा रही है। दलित जातिय भेदभाव, उत्पीड़न के खिलाफ सरकार द्वारा समाज में जागरूकता पैदा करने की बजाय मजदूर मेहनतकश जनता के हक अधिकारों को खत्म करने और दमन करने पर तुली है।

इंकलाबी मजदूर केन्द्र के मनोज ने कहा कि भोजन माता सुनीता के न्याय के लिए मजदूर वर्ग को संगठित होकर साझा संघर्ष करने पर जोर दिया गया।

इस दौरान सवर्ण मानसिकता मुर्दाबाद। चंपावत प्रशासन शर्म करो। शिक्षा विभाग मुर्दाबाद। उत्तराखंड सरकार शर्म करो। जातिगत उत्पीड़न बंद करो। भोजन माता सुनीता को न्याय दो। आदि नारे लगाए गए।

मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन में सुनीता के जातीय उत्पीड़न की निंदा करते हुए न्याय दिलाने की मांग की गई।

कार्यक्रम का संचालन अभिलाख सिंह ने किया। कार्यक्रम में मीना, तलाशी, किरन, नीलम, कलावती, लक्ष्मी पंत, संगीता, शोभा ,शांति, विनीता, सुशीला, राजकली, सोना, मीनू, राशिद, मनोज कुमार, रमेश कुमार, सुभाष, भरत यादव, सुरेश, छत्रपाल आदि शामिल रहे।

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