देहरादून में भोजन माताओं का जोरदार प्रदर्शन; मुख्यमंत्री को दिया ज्ञापन

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प्रगतिशील भोजन माता संगठन की माँगें: भोजन माताओं को स्थाई किया जाए; निकालना बंद हो, न्यूनतम वेतन लागू हो; प्रस्तावित ₹5000 प्रतिमाह मानदेय लागू हो; प्रसूति अवकाश व अन्य सुविधाएं मिले आदि।

देहरादून। प्रगतिशील भोजन माता संगठन, उत्तराखंड के बैनर तले 27 जून, मंगलवार, को देहरादून के परेड ग्राउंड में कुमाऊं और गढ़वाल मंडल की सैकड़ों भोजन माताएं पहुंची और उन्होंने सुबह 10 बजे सचिवालय की ओर कूच किया। जहाँ सभा के बाद मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया।

सचिवालय पर हुई सभा में प्रगतिशील भोजन माता संगठन की केंद्रीय अध्यक्ष श्री हंसी देवी ने कहा कि सभी भोजन माताओं को स्थाई किया जाए। किसी भी भोजन माता को स्कूल से निकालना बंद किया जाए, न्यूनतम वेतन को लागू किया जाए और शासन द्वारा प्रस्तावित ₹5000 प्रतिमाह मानदेय तत्काल लागू किया जाए। भोजनमाताओं को प्रसूति अवकाश व अन्य सुविधाएं दी जाए, 12 माह का वेतन दिया जाए, अक्षय पात्र फाउंडेशन द्वारा बनाए जाने वाले खाने पर रोक लगाई जाए।

प्रगतिशील भोजन माता संगठन की केंद्रीय महामंत्री रजनी ने कहा कि सरकार एक ओर महिला सशक्तिकरण की बात करती है दूसरी ओर 19-20 सालों से सरकारी स्कूलों में काम कर रही भोजन माताओं को कभी बच्चे कम होने के नाम पर तो कभी स्कूलों के निजीकरण के नाम पर स्कूलों से निकाला जा रहा है। सरकार अब सरकारी विद्यालयों की उपेक्षा कर निजी स्कूलों को प्रोत्साहन दे रही है। शासन द्वारा प्रस्तावित ₹5000 मानदेय सरकार ने लागू नहीं किया।

हरिद्वार से आईं सदस्य ललिता ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भोजन माताओं व रसोईयों को न्यूनतम वेतन देने व बेगार ना कराए जाने का फैसला दिया था जिसे पूरे भारत में लागू होना चाहिए था, लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला अभी तक उत्तर प्रदेश में ही लागू नहीं हुआ है।

नैनीताल से आई कार्यकर्ता तुलसी देवी ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व शिक्षा मंत्री ने भोजनमाताओं का मानदेय बढ़ाकर 5000 रुपए करने की घोषणा की थी लेकिन चुनाव खत्म होते ही वह हमेशा की तरह अपने वायदे को भूल गए।

उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों से आईं सैकड़ों भोजनमाताओं ने विभिन्न मांगों के साथ अपना ज्ञापन मुख्यमंत्री को सौ़पा।

संगठन द्वारा उठाई गईं माँगें-

  • 5000रू का घोषित मानदेय तत्काल दिया जाए।
  • स्कूल विलयीकरण व बच्चे कम होने की स्थिती में भोजनमाताओं को स्कूलों से निकालना बंद करो।
  • बच्चे कम होने व पाल्य का स्कूलों में न पढ़ने कि स्थिति में भी भोजनमाता को न हटाया जाए।
  • भोजनमाताओं के खाना बनाने का काम गैर सरकारी संगठन अक्षय पात्र फांउन्डेशन को सौंपना बंद किया जाय।
  • भोजनमाताओं को 12 माह का मानदेय दिया जाए।
  • वेतन, बोनस समय पर दिया जाय।
  • स्कूलों में 26 वें विद्यार्थी पर दूसरी भोजनमाता रखी जाय।
  • भोजनमाताओं का स्कूलों में होने वाला उत्पीड़न बंद किया जाय।
  • भोजनमाताओं को धुंए से मुक्त किया जाय।
  • काम के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं के लिए इलाज व मुआवजे की व्यवस्था की जाए।
  • ईएसआई, पीएफ, पेंशन, प्रसूती अवकाश जैसी सुविधाएं भोजनमाताओं को दी जाय।
  • सभी भोजनमाताओं की स्थाई नियुक्ति की जाए।
  • भोजनमाताओं को न्यूनतम वेतन 18 हजार दिया जाय।

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