प्रदर्शन : भोजन माताओं के काम के घण्टे निर्धारित करो, अतिरिक्त कार्य पर रोक लगाओ!

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18-19 सालों से भोजनमाताएं सरकारी स्कूलों में खाना बनाने का काम करती आ रही है। मात्र ₹3000 में न तो काम के घंटे निश्चित है और न कार्य की प्रवृत्ति। -प्रगतिशील भोजनमाता संगठन

हरिद्वार (उत्तराखंड)। भोजन माताओं के काम के घंटे निश्चित करने तथा स्कूलों में अतिरिक्त कार्य पर रोक लगाने, सभी स्कूलों में गैस चूल्हा की व्यवस्था आदि मांगों के संदर्भ में प्रगतिशील भोजनमाता संगठन हरिद्वार कार्यकर्ताओं, सदस्यों द्वारा 11 मार्च को विकास भवन रोशनाबाद से जिला शिक्षा कार्यालय तक एक जुलूस निकाला और वहां पहुंचकर सभा की और अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा।

प्रगतिशील भोजनमाता संगठन की संयोजिका दीपा ने कहा कि 18-19 सालों से भोजनमाताएं सरकारी स्कूलों में खाना बनाने का काम करती आ रही है। मात्र ₹3000 में न तो उनके काम के घंटे निश्चित है और न कार्य की प्रवृत्ति। इस तरह भोजन माताओं का शोषण-उत्पीड किया जा रहा है। अगर उनकी यह मांगे पूरी नहीं होती हैं तो भोजन माताएं उग्र आंदोलन करेंगे।

भोजनमाता रीना ने कहा कि आज हमें स्कूलों में खाना ही नहीं बल्कि स्कूलों के सारे काम कराए जाते हैं। सफाई, स्कूल खोलने से लेकर बंद करने तक, यहां तक कि बच्चों को पढ़ाने के लिए भी कहा जाता है और मानदेय मात्र ₹3000 दिया जा रहा है जो अब हम नहीं सह सकते।

भोजनमाता राजनी ने कहा कि अगर हमारी ये मांगे नहीं मानी जाएंगी तो हम पूरे उत्तराखंड की 25000 भोजनमाताएं चुप नहीं बैठेंगे। जब तक हमारे काम के घंटे निश्चित नहीं होगें और न्यूनतम मानदेय नहीं दिया जाता है। तब तक हम अपने संघर्षों को और आगे बढ़ाते रहेंगे।

भोजनमाता नर्वदा ने कहा कि अभी तो यह अंगड़ाई है आगे और लड़ाई है। यह हरिद्वार की भोजन माताओं की ही लड़ाई नहीं हमारे पूरे उत्तराखंड की भोजन माताओं की लड़ाई है। हम तब तक लड़ेंगे जब तक कि हमारी मांगे पूरी न हो।

कार्यक्रम में भेल मजदूर ट्रेड यूनियन से अवधेश, इंकलाबी मजदूर केंद्र से राजू, रंजना, प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र से नीता, निशा, मालती, दीपमाला, प्रगतिशील भोजनमाता संगठन से चाहती देवी, सीमा, ओमवती, राखी, सोना मण्डल, गायत्री, पार्वती, रामकली, कृष्णा, पूनम, सुदेश, रजनी, मीना, रीना, माया, उषा, भगवती, गीता, शीतल, अनीता, सोनिया, कमला, शोभा, ममता, रानी, फूलमती, बेबी, मुनेश, कामनी, कोशल, सरोज, आदि शामिल हुए।