यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस रिपोर्ट 2019-20 के अनुसार भारत में दो लाख से अधिक स्कूलों में पुस्तकालय की सुविधा नहीं है, नौ लाख स्कूलों में छात्रों के लिए कंप्यूटर की सुविधा नहीं है, और 11 लाख से अधिक स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा नहीं है।
वर्ष 2019-20 की यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (UDISE+) रिपोर्ट के अनुसार, पूरे भारत में 6,000 से अधिक स्कूलों में भवन नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक, 6,465 स्कूलों में भवन नहीं है, 35 भवन जर्जर हालत में हैं, जबकि 4,417 स्कूलों के भवन निर्माणाधीन अवस्था में हैं।
UDISE+ रिपोर्ट देश भर के स्कूलों में उपलब्ध बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के विस्तृत आँकड़े उपलब्ध कराती है।
हाल के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल 15,07,708 स्कूल हैं, जिनमें से 10,32,570 स्कूल केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा संचालित हैं, 84,362 स्कूल सरकारी सहायता प्राप्त हैं, 3,37,499 गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूल हैं, जबकि 53,277 स्कूल अन्य संगठनों और संस्थानों द्वारा चलाए जा रहे हैं।
देश भर के केवल 77.34 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में बिजली कनेक्शन चालू है। सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों और निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए, यह प्रतिशत थोड़ा अधिक क्रमशः 84.23% और 88.23% है।
अधिकांश स्कूलों में लड़कियों और लड़कों दोनों के लिए शौचालय की सुविधा है, मगर10% स्कूलों में हाथ धोने की सुविधा नहीं है, जिससे छात्रों के लिए साफ़ सफाई की समस्या उत्पन्न होती है। कुल 29,967 विद्यालयों में विद्यालय परिसर के अंदर पेयजल की सुविधा नहीं है। सभी स्कूलों को छात्रों के लिए मेडिकल चेकअप करना अनिवार्य होने के बाबजूद करीब 2,67,074 स्कूलों ने शैक्षणिक वर्ष 2018-19 में ऐसा नहीं किया।
वर्ष 2019-20 में विशेष आवश्यकता वाले 22,49,117 बच्चों (CWSN) का नामांकन किया गया था, लेकिन केवल 20.66% स्कूलों में CWSN के अनुकूल शौचालय हैं। केवल 43.73% स्कूलों में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए हैंड्रिल के साथ रैंप की सुविधा हैं।
वर्षों के उपलब्ध यूडीआईएसई+ आंकड़ों के अनुसार, स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है, और अधिक स्कूलों में अब शौचालय और पीने के पानी की सुविधा है, भारत में स्कूल, विशेष रूप से सरकारी स्कूल, उन छात्रों के लिए पूरी तरह अनुकूल सुविधा और माहौल मुहैया कराने में विफल हैं, जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।
देश भर में, 16% स्कूलों में पुस्तकालय की सुविधा नहीं है। हालांकि 16% कोई छोटा आंकड़ा नहीं है इसका मतलब है कि 2,40,007 स्कूलों में छात्रों के लिए पुस्तकालय की सुविधा नहीं है।
इसके अलावा, 9,47,959 स्कूलों में छात्रों के लिए, एक ऐसे युग में जहां सब कुछ प्रौद्योगिकी पर अत्यधिक निर्भर है कंप्यूटर सुविधाएं चालू हालत में नहीं हैं। केवल 28.55% सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर सुविधाएं चालू हालत में हैं, जबकि 61.54% सरकारी सहायता प्राप्त और 58.5% निजी स्कूलों में कंप्यूटर सुविधाएं चालू हालत में हैं। असम, बिहार, मध्य प्रदेश, मेघालय और पश्चिम बंगाल में, 14% से कम स्कूलों में कंप्यूटर सुविधाएं चालू हालत में हैं।
जब इंटरनेट की सुविधा की बात आती है तो स्थिति बहुत ज्यादा खराब दिखती है। पूरे भारत में 11,71,826 स्कूलों में, यानी देश भर के 87.72% स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा नहीं है। केवल 11% सरकारी स्कूलों में, 42.2% सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में, 50.16% निजी स्कूलों में और 21.42% अन्य स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा है।

यह स्पष्ट है कि अधिकांश श्रेणियों में, सरकारी महकमे ने सबसे खराब प्रदर्शन किया है। कुल केंद्रीय बजट में शिक्षा को आवंटित होने वाले बजट में पिछले वर्षों में लगातार कटौती हुई है। यहां तक कि सार्वजनिक स्कूल शिक्षा पर निर्भर छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी होने के बावजूद भी केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में स्कूल शिक्षा के बजट आवंटन में 8.3% की कटौती कर दी है, जो शिक्षा को लेकर मोदी सरकार की उदासीनता को दिखाता है।
यह देखते हुए भी कि ज्यादातर मामलों में सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढांचे और सुविधाओं की उपलब्धता की गंभीर समस्याएं हैं, गरीबों और हाशिए के समुदायों के बहुत सारे लोग, जो चाहते हैं कि उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले और जो देश के हर नागरिक का मौलिक अधिकार भी है, दुर्भाग्यपूर्ण है कि अपने बच्चों को सरकारी-सहायता प्राप्त या गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों में भेजने के लिए मजबूर है, और ये महंगी शिक्षा उनके आर्थिक बोझ में वृद्धि करती है।
न्यूज़क्लिक के लिए दित्सा भट्टाचार्य के लेख का हिंदी अनुवाद
अंग्रेज़ी का मूल लेख यहां पढ़ें:
https://www.newsclick.in/with-poor-infrastructure-lack-facilities-govt-schools-perform-worst-across-india-report