कार्यबहाली की माँग : एलजीबी मज़दूरों का गेट पर प्रदर्शन

Lgb_Protest

दमन के ख़िलाफ़ 8 साल से संघर्षरत हैं एलजीबी के मज़दूरों

पंतनगर (उत्तराखंड)। एलजी बालाकृष्णन एंड ब्रॉस लिमिटेड सिडकुल पंतनगर के प्रबंधन द्वारा यूनियन और मज़दूरों के लगातार दमन के खिलाफ मज़दूरों ने कंपनी गेट पर सुबह और रात की शिफ्टों को छूटने के बाद प्रदर्शन किया और यूनियन महामंत्री पूरन चंद पांडे की कार्य बहाली और यूनियन तोड़ने की साजिश बंद करने की माँग की।

दरअसल कोरोना के बहाने मज़दूरों का ग़ैरकानूनी वेतन कटौती और मज़दूरों से जबरिया दो मशीने चलने का दबाव डालने की शिकायत एलजीबी वर्कर्स यूनियन ने श्रम अधिकारीयों की थी, जिससे नाराज प्रबंधन ने 20 मई से बगैर कोई कारण बताए यूनियन महामंत्री पूरन चंद पण्डे का गेट बंद कर दिया है।

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श्रम अधिकारी मामले को उलझा रहे

यूनियन के अनुसार श्रम अधिकारी भी मामले को उलझाते रहे हैं और प्रबंधन की भाषा बोलते रहे। वे यूनियन पर ही मनोवैज्ञानिक दबाव बनाकर प्रबंधन के मनसूबे पूरा करने की ही कोशिश करते रहे, जिससे 3 महीने से ज्यादा समय बीत गया।

जबकि पूरा मामला गैर क़ानूनी, अनुचित श्रम व्यव्हार के साथ समझौते के उलंघन का है। इस मामले के कारण वेतन कटौती का मुद्दा पीछे चला गया।

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यूनियन बनने के बाद से ही मज़दूरों का दमन जारी है

ज्ञात हो कि सन 2012 में यूनियन बनी, तभी से प्रबंधन द्वारा मजदूरों का दमन और शोषण जारी है। उसने यूनियन के तत्कालीन महामंत्री व वर्तमान अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह को बर्ख़ास्त कर दिया था।

2015 में श्रम न्यायलय से जीतने के बाद किसी तरह से उनकी कार्यबहाली हुई, लेकिन आज तक उनको पूरा वेतन नहीं दे रहा है, जबकि प्रबंधन 2 बार हाईकोर्ट व एक बार सुप्रीम कोर्ट से हारने के बाद पुनः सुप्रीम कोर्ट जा चुका है।

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इस पूरे दौर में प्रबंधन यूनियन पर लगातार दबाव बनाता रहा। यूनियन तोड़ने के लिए उसने मुख्य प्लांट से रुद्रपुर में एक नया प्लांट खोलकर कुछ मज़दूरों का स्थानांतरण कर दिया था, लेकिन यूनियन बरकरार रही।

समझौते के बाद भी प्रबंधन का मनमानापन जारी

प्रबंधन ने यूनियन के माँग पत्र को तीन साल तक विवादित रखा। उस दौरान उसने करीब डेढ़ दर्जन मज़दूरों पर कथित आरोपपत्रों व जाँच के बहाने दबाव बनाता रहा। दो यूनियन पदाधिकारियों ललित बोरा व गोविन्द सिंह की गैरकानूनी गेटबंदी तक कर दी थी।

काफी संघर्षों के बाद इस साल जनवरी में समझौता हुआ, लेकिन कोरोना के बहाने अब यह नया हमला हुआ है। उसने मज़दूरों के वेतन कटौती के साथ 20 मई 2020 से यूनियन महामंत्री पूरन चंद पांडे का गैरकानूनी रूप से गेट बंद कर दिया है।

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इसी के विरोध के तौर पर कंपनी गेट पर शिफ्टों के छूटने के बाद सभी मज़दूरों ने हाथ में पोस्टर लेकर विरोध प्रदर्शन किया।

प्रदर्शन करने वालों में जमन सिंह, भुवन भट्ट, कृष्णा कुमार, नंदन सिंह, मोहन बोहरा, प्रताप सिंह, कुंदन सिंह, नवीन बागोटी, जितेंद्र सिंह, योगेन्द्र पडवाल, संजय तिवारी, गोविन्द सिंह आदि शामिल थे।

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