CSTU का 7-8 दिसंबर को कोलकाता में होगा सम्मेलन; देशव्यापी प्रचार अभियान तेज

Camp_CSTU

संग्रामी धूरी पर मज़दूर आंदोलन को सशक्त बनाने के लिए गठित ‘सेंटर फॉर स्ट्रगलिंग ट्रेड यूनियंस’ (CSTU) का प्रथम सम्मेलन 7-8 दिसंबर को कोलकाता में होने जा रहा है। सम्मेलन के लिए पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों से लेकर दार्जिलिंग हिल्स, उत्तराखंड, दिल्ली, गुड़गांव-नीमराना, राजस्थान आदि राज्यों में व्यापक प्रचार अभियान जारी है।

उल्लेखनीय है कि मज़दूर विरोधी नीतियों और मज़दूरों पर बढ़ते हमलों के खिलाफ मज़दूर एकता को मजबूत करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में कार्यरत मज़दूर सहयोग केन्द्र (MSK), SWCC, HPEU, SGU की एकता से नया संग्रामी ट्रेड यूनियन केन्द्र ‘सेंटर फॉर स्ट्रगलिंग ट्रेड यूनियंस’ (CSTU) का गठन हुआ है। सम्मेलन की शुरुआत 7 दिसंबर को कोलकाता के धर्मतल्ला में खुला सत्र से होगी, जिसमे देशभर से विरदार संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। उसके बाद आंतरिक सम्मेलन होगा।

अभियान के दौरान विभिन्न वक्ताओं ने बताया कि जिन मज़दूरों के कारण मालिकों का करोड़ों का मुनाफा बनता है, तरक्की दिखती है, उन्हीं मज़दूरों का जीवन बेहद संकट से गुजर रहा है। इनमें ज्यादातर ठेका-अस्थाई मज़दूर हैं, जिनका ना स्थाई रोजगार है, न ही गुजारा करने लायक मज़दूरी है। तमाम कारखाने के भारी संख्या में मज़दूर श्रम कानून के दायरे से बाहर काम करते हैं। औद्योगिक दुर्घटनाओं में मज़दूरों की मौत या विकलांग होना आम बात बन चुकी है।

असंगठित क्षेत्र में गिग-डिलीवरी वर्कर से लेकर सफाई कार्य, भवन निर्माण, रेहड़ी-पटरी, ई-रिक्शा-ऑटो चलाने वाले और आशा, आंगनबाड़ी, भोजन माता आदि काम में लगे मज़दूर हैं, जिनके ना रोजगार की सुरक्षा है न ही सम्मानजनक मज़दूरी है। बस्तियों में रहने वाली मेहनतकश आबादी के लिए साफ पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास की समस्याएं विकट हैं।

दूसरी तरफ मोदी-धामी सरकार द्वारा धार्मिक उन्माद पैदा करके मज़दूरों को बांटा जा रहा है और मज़दूर विरोधी चार लेबर कोड लाकर मजदूरों को बंधुआ बनाया जा रहा है। निजीकरण, छंटनी-बंदी, फिक्स टर्म, ठेका प्रथा, नीम ट्रेनी, वेतन कटौती, यूनियन अधिकारों पर हमले से लेकर महंगाई-बेरोजगारी से सभी मज़दूरों की जिंदगी और कठिन हो गई है। ऐसे में मजदूरों की व्यापक एकता और संघर्ष की जरूरत है। सीएसटीयू उसी दिशा में एक अहम पहल है।

मज़दूरों की हर जायज लड़ाई के प्रति संकल्पबद्ध सीएसटीयू मज़दूरों के सभी प्रकार के शोषण-दमन और अन्याय से मज़दूर वर्ग और सभी मेहनतकश जनता की पूर्ण मुक्ति के संघर्ष को मजबूत करने के लिए आगे आया है। इससे शोषण व ज़िल्लत की जिंदगी जी रहे मज़दूरों के भीतर उम्मीद की एक नई किरण पैदा हुई है।

पश्चिम बंगाल : संगठित-असंगठित हर क्षेत्र-जिलों में प्रचार

पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में मुख्यतः जूट, कोयला, मिड डे मील श्रमिकों, आईटी और आईटीईएस, गिग श्रमिकों, कपड़ा श्रमिकों, बीड़ी मज़दूरों और विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में अभियान चलाया जा रहा है।

बंगाल में जूट उद्योग का एक लंबा इतिहास रहा है, और जूट श्रमिकों ने कई ऐतिहासिक संघर्षों का नेतृत्व किया। मशीनीकरण से उत्पादन तीन से चार गुना बढ़ा, लेकिन मिल मालिक और प्रबंधन का शोषण तेज हो गया है। ठेकेदारी का जोर, श्रमिकों को काम के लिए रोज एक से दूसरे जूट मिल भटकना पड़ता है। सीएसटीयू ने संविदा कर्मियों के स्थायीकरण, दैनिक वेतन में बढ़ोतरी, काम की गारंटी की मांग उठाई।

आईटी और आईटीईएस उद्योग में, बिना किसी ओवरटाइम भुगतान के 12/14 घंटे की शिफ्ट, तनावपूर्ण और कठिन कार्य वातावरण से श्रमिक जूझ रहे हैं। पश्चिम बंगाल सरकार ने इस उद्योग में यूनियन को पंजीकरण देने की प्रक्रिया को बार-बार स्थगित किया है। सीएसटीयू अभियान इस क्षेत्र में यूनियनबद्धता की आवश्यकता पर केंद्रित है।

गारमेंट सेक्टर में बड़ी संख्या में श्रमिक महिलाएं हैं। पुरानी फ़ैक्टरियों ने उत्पादन को दूर-दराज जिलों में स्थानांतरित कर पूरी उत्पादन लाइन को खंडित कर दिया है ताकि श्रमिक संगठित न हो सकें। सीएसटीयू ने गारमेंट क्षेत्र में न्यूनतम वेतन में संशोधन, डीए में वृद्धि, महिला श्रमिकों के उत्पीड़न के किसी भी मामले को दर्ज करने के लिए उचित बुनियादी ढांचे की मांग को लेकर अभियान चलाया।

पश्चिम बंगाल में कोयला श्रमिकों को कोल इंडिया द्वारा निर्धारित वेतन की आधी राशि भी नहीं मिलती है. ठेकेदार और कोयला माफिया श्रमिकों का वाजिब वेतन लूटते हैं। सीएसटीयू ने कोयला श्रमिकों के दैनिक वेतन में वृद्धि के लिए अभियान चलाया।

सीएसटीयू अभियान ने गिग श्रमिकों के लिए श्रमिक का दर्जा और इस क्षेत्र में नियोक्ता-कर्मचारी की स्थिति को मान्यता देने की मांग पर जोर दिया।

मध्याह्न भोजन कर्मियों, घरेलू कामगारों और अन्य असंगठित और योजना आधारित श्रमिकों के बीच भी सीएसटीयू ने अभियान चलाया।

दर्जलिङ्ग हिल्स में एचपीईयू का अभियान

सीएसटीयू से सम्बद्ध एचपीईयू अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन केन्द्र सेंटर फॉर स्ट्रगलिंग ट्रेड यूनियंस (सीएसटीयू) के सम्मेलन को लेकर पूरे दर्जलिङ्ग पहाड़ी के चाय बागानों में पोस्टरिंग और पर्चा वितरण अभियान चल रहा है।

अभियान के क्रम में दार्जिलिंग जिला स्थित लॉन्गव्यू चाय बागान में 1 दिसंबर को एचपीईयू की आम बैठक हुई जिसमें 7-8 दिसंबर को सीएसटीयू के सम्मेलन के बारे में चर्चा हुई। उत्साहजनक बैठक में विभिन्न पहलुओं पर बातचीत के साथ सभी ने सहमति व्यक्त की कि एचपीईयू के सक्रिय सदस्य सीएसटीयू के पहले सम्मेलन में भाग लेंगे।

दिल्ली: प्रचार अभियान के साथ एसजीयू का सम्मेलन

सम्मेलन में भागीदारी को लेकर सीएसटीयू से सम्बद्ध संग्रामी घरेलू-कामगार यूनियन (एसजीयू) द्वारा दिल्ली की विभिन्न बस्तियों में व्यापक प्रचार अभियान जारी है।

26 नवम्बर को सीएसटीयू से सम्बद्ध संग्रामी घरेलू-कामगार यूनियन (एसजीयू) ने अपनी पहली राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित की, जिसमें जय हिन्द, बंधु कैंप, हरिजन, नई बस्ती और मसूदपुर गांव वसंत कुंज, दिल्ली के सदस्य शामिल हुए। चर्चा का मुख्य विषय था यूनियन बनाने का महत्व, निश्चित वेतन दरों के लिए समर्थन करना, और भेदभाव का सहन न करना।

हरियाणा : उद्योग विहार-गुड़गांव-मानेसर में चल रहा अभियान

उद्योग विहार/कापसहेड़ा गारमेंट सेक्टर, गुड़गांव लेबर चौक/बस्तियों/बस स्टैंड और गुड़गांव-मानेसर औद्योगिक क्षेत्र में दो तरह के पोस्टर (ऑटोमोबाइल सेक्टर व केंद्रीय सम्मेलन) चिपकाए गए और तीन तरह के पर्चे (केंद्रीय हिंदी पर्चा, गुड़गांव-मानेसर पर्चा और उद्योग विहार गारमेंट पर्चा) वितरित किए गए।

ऑटोमोबाइल सेक्टर में अभियान : गुड़गांव-मानेसर औद्योगिक क्षेत्र भारत में ऑटोमोबाइल का एक प्रमुख केंद्र है, जहां लाखों श्रमिक काम करते हैं, जिनमें से अधिकांश ठेका-अस्थायी श्रमिक हैं। सीएसटीयू ने मारुति-हीरो-होंडा और अन्य कम्पनियों के अस्थायी-ठेका श्रमिकों की मांगों को लेकर पोस्टर चिपकाए। मारुति, हीरो होंडा, जेएनएस और अन्य कम्पनियों के सामने गुड़गांव-मानेसर के लिए सम्मेलन पर्चा, जिसमें मारुति के चल रहे संघर्ष और ऑटोमोबाइल श्रमिकों की समस्याओं का उल्लेख है, वितरित किए गए। साथ ही पूरे क्षेत्र में सम्मेलन के पोस्टर चिपकाए गए।

गारमेंट सेक्टर में अभियान : उद्योग विहार गारमेंट सेक्टर भारत के प्रमुख एक्सपोर्ट लाइन गारमेंट क्लस्टरों में से एक है, जहाँ लाखों प्रवासी श्रमिक अनिश्चित कार्य स्थितियों और वेतन के साथ प्रतिदिन 10-12 घंटे काम करते हैं। उद्योग विहार गारमेंट सेक्टर, कापसहेड़ा सीमा क्षेत्र और ज्वाला मिल क्षेत्र में गारमेंट श्रमिकों के बीच पोस्टर चिपकाए गए और पर्चे बांटे गए।

अन्य क्षेत्रों में अभियान : गुड़गांव में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की एक बड़ी संख्या है। गुड़गांव के विभिन्न श्रमिक चौकों में निर्माण श्रमिकों के बीच और गुड़गांव की विभिन्न झुग्गियों में असंगठित क्षेत्र के कामकाजी लोगों के बीच सीएसटीयू पर्चा वितरण किया गया।

उत्तराखंड : रुद्रपुर-पंतनगर औद्योगिक क्षेत्र में प्रचार

उत्तराखंड के रुद्रपुर-पंतनगर के सिड़कुल औद्योगिक क्षेत्र में सम्मेलन के व्यापक प्रचार अभियान के तहत विगत एक पखवारे से नुक्कड़ सभा, छोटी-छोटी जुलूस, नारे लगाते हुए प्रचार अभियान चलाया जा रहा है।

सिडकुल क्षेत्र के अटरिया मंदिर ढाल, ट्रांसिट कैंप ढाल, नेस्ले-ब्रिटानिया चौक, विभिन्न कंपनी गेटों और रुद्रपुर शहर, किच्छा, लालपुर, जयनगर-दिनेशपुर के साथ लालकुआं, हल्दुचौड़ और हल्द्वानी क्षेत्र में अभियान चला। इस दौरान सीएसटीयू की ओर से निकाले गए तीन विभिन्न पर्चों का अलग-अलग समय वितरण किया गया और विभिन्न इलाकों में पोस्टर लगाए गए।

इसी क्रम में पूरे ट्रांजिट कैंप मज़दूर बस्ती के भीतर, विभिन्न नुक्कड़ चौराहों पर से होते हुए रुद्रपुर झील तक और शहर के अन्य हिस्सों में नुक्कड़ सभाएं करते हुए व्यापक अभियान चलाया गया, जिसमें विभिन्न कंपनी के मज़दूरों ने बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाई।

वक्ताओं ने बताया कि इस इलाके में मज़दूर सहयोग केन्द्र (एमएसके) मज़दूरों के हक के लिए लगातार संघर्षरत और सक्रिय रहा है। अब संग्रामी धारा के मज़दूर संगठनों की एकता से देशव्यापी नया केन्द्र सीएसटीयू गठित हुआ है। एमएसके का नाम भी बदलकर अब सीएसटीयू होगा।

भूली-बिसरी ख़बरे