मज़दूर विरोधी श्रम संहिताओं के खिलाफ 1 अप्रैल को देशव्यापी विरोध दिवस

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18 अप्रैल को मासा के आह्वान पर जंतर-मंतर, दिल्ली में प्रदर्शन

मोदी सरकार द्वारा कोरोना आपदा को अवसर में बदलने के घृणित खेल के तहत जन विरोधी तीन कृषि कानूनों के साथ मज़दूर विरोधी चार श्रम संहिताएँ लाने की तैयारी के खिलाफ पूरे देश में विरोध का स्वर तेज हो गया है। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व मासा के आह्वान पर 1 अप्रैल को देश भर में लेबर कोड की प्रतियां जलाई जाएंगी।

दरअसल मोदी सरकार द्वारा देशी-विदेशी कॉरपोरेट के हित में तेजी से एक के बाद एक कदम उठाए जा रहे हैं। जन विरोधी तीन कृषि कानूनों को थोपने के बाद मज़दूरों को बंधुआ बनाने के लिए 44 श्रम कानूनों को मटियामेट करके मोदी जमात हठधर्मिता के साथ चार श्रम संहिताएँ लाई है और उनकी नियमावली भी उसने तैयार कर ली है।

मोदी सरकार के साथ राज्य सरकारों की पूरी योजना इस अप्रैल माह में उसे लागू करने की है।

https://mehnatkash.in/2021/02/15/labor-codes-will-be-applicable-in-the-whole-country-from-april/

संघर्षशील मज़दूर संगठनों के साझा मंच मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) ने 1 अप्रैल को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के साथ 18 अप्रैल को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन का कार्यक्रम रखा है।

इसी के विरोध में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने भी 1 अप्रैल को लेबर कोड के प्रतियाँ जलाने-फाड़ने का कार्यक्रम घोषित किया है। भाजपा-संघ की बीएमएस को छोड़कर देश के अन्य विभिन्न संगठन 1 अप्रैल को देशव्यापी विरोध दिवस मनाएंगे।

https://mehnatkash.in/2021/03/22/experts-told-how-the-new-labor-codes-will-make-workers-bonded/

श्रम संगठनों का कहना है कि लंबे संघर्षों के दौरान हासिल श्रम कानूनों को मालिकों के हित में खत्म करने का यह जनविरोधी, मज़दूर विरोधी कदम बेहद घातक है। यह मालिकों को मनमर्जी रखने और निकालने की खुली छूट देता है। इसलिए इसका विरोध हर हाल में और हर स्तर पर जरूरी है।

मोदी सरकार ने अपने पिछले 7 साल के कार्यकाल में जनता के खून पसीने से खड़े देश की सार्वजनिक संपत्तियों को बेचने, कृषि से लेकर उद्योगों तक को कॉरपोरेट के हवाले करने का खेल तेजी से जारी रखा है।

आम जनता को बांटने के लिए भाजपा सरकार आर एस एस के सांप्रदायिक एजेंडे पर भी तेजी से आगे बढ़ती रही है। उसने कोरोना आपदा को पूँजीपतियों के अवसर में बदलने का काम किया है। और एक बार फिर देश मे कोरोना का भय खड़ा करके वह अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने में जुटी है।

जुझारू किसान आंदोलन को कुचलने, मज़दूर विरोधी श्रम संहिताओं को लागू करने, रेलवे, बैंक, बीमा, एयरपोर्ट, खदानें, तेल-गैस सबको बेचने पर आमदा है। उसने बाजार को मुनाफे के लिए बेलगाम करके महँगाई को बेलगाम बना दिया है।

इसीलिए 1 अप्रैल को देशभर में न केवल चारों श्रम संहिताओं की प्रतियां जलाई जाएंगी, बल्कि सोशल मीडिया पर भी इसके खिलाफ अभियान तेज होगा। देश के अलग-अलग हिस्सों के साथ दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी प्रदर्शन होगा।

1 अप्रैल को 11:00 बजे ट्विटर पर भी अभियान चलेगा। साथ ही फेसबुक, व्हाट्सएप, टेलीग्राम, सिग्नल आदि सोशल मीडिया के अन्य मंचों पर भी विरोध होगा।

मासा का मानना है कि आज के हालात में जुझारू किसान आंदोलन के साथ देशव्यापी मज़दूर आंदोलन को एकजुट करते हुए महंगाई से त्रस्त आम मेहनतकश जनता व बेरोजगार युवा शक्ति को साथ लेकर व्यापक परिवर्तन की लड़ाई को एक साझे लड़ाई के रूप में निरंतर, जुझारू और निर्णय लड़ाई में तब्दील करने की जरूरत है।

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