कोरोना की तीसरी लहर की भविष्यवाणी नहीं हो सकती -विशेषज्ञ

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धार्मिक त्योहारों, राजनीतिक रैलियों से स्थिति बिगड़ी

जॉन्स हॉप्किन्स युनिवर्सिटी द्वारा भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर पर आयोजित सेमिनार में यह बात उभर कर आई कि कोई भी मॉडल ऐसा नहीं जो कोरोना की तीसरी लहर की भविष्यवाणी कर सके। धार्मिक त्योहारों, राजनीतिक रैलियों से स्थिति बिगड़ी है। मौतें इलाज के बिना हुई है। भारत में बच्चों का स्वास्थ्य और उसकी स्थिति और बिगड़ी है।

पिछले दिनों जॉन्स हॉप्किन्स युनिवर्सिटी ने भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर की स्थिति को लेकर एक पब्लिक सेमिनार का आयोजन किया था। विशेषज्ञों ने कहा कि कहा कि वायरस जैसे-जैसे फैलता है वो म्यूटेट करता है और ऐसा होना वायरस के लिए सामान्य बात है।

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सेमीनार में जॉन्स हॉप्किन्स स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ के डॉक्टर डेविड पीटर्स ने कोरोना की संभावित तीसरी लहर के बारे में कहा कि कोई भी मॉडल ऐसा नहीं जो इसकी भविष्यवाणी कर सके।

उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि हमारे पास फेफड़ों में होने वाले संक्रमण को लेकर कोई भी मॉडल ऐसा है जो दो से चार सप्ताह पहले किसी तरह की महामारी की भविष्यवाणी कर सके। हम स्थिति के बदलने और उसके असर को लेकर आंकड़े देख सकते हैं लेकिन हमें बचाव के तरीकों पर ही अधिक ध्यान देना चाहिए।“

उन्होंने साफ कहा कि “दूसरी महामारी की असर झेल रहे भारत के लिए ये बेहद ज़रूरी साबित हो सकता है। यहां धार्मिक त्योहारों पर, राजनीतिक रैलियों में और शादी समारोहों में लोगों के मास्क न पहनने जैसी घटनाएं हुई हैं।“

इस दौरान जॉन्स हॉप्किन्स मैटर्नल एंड चाइल्ड हेल्थ सेंटर इंडिया की निदेशक डॉक्टर अनीता शेठ ने कहा कि ऐसा नहीं है कि भारत अकेला कोरोना महामारी की घातक लहर का क़हर झेल रहा है।

डॉक्टर अनीता शेठ ने चेतावनी दी “लेकिन भारत में जो कुछ हो रहा है वो और कहीं भी हो सकता है। हमें और सतर्क रहने की ज़रूरत है। ये देख कर दुख होता है कि लोगों की मौत इलाज के बिना हुई है।“

उन्होंने चिंता जताई कि कोरोना के कारण भारत में बच्चों का स्वास्थ्य और उसकी स्थिति कोरोना से पहले के मुक़ाबले और बिगड़ी है।

उन्होंने कहा, “महामारी के कारण स्कूल बंद हैं और बच्चों को मिड-डे मील नहीं मिल पा रहा है। साथ ही सामान्य तौर पर होने वाला बच्चों का टीकाकरण भी प्रभावित हुआ है। इसका असर 50 फ़ीसद बच्चों पर पड़ा है।“

डॉक्टर अनीता शेठ ने कहा कि वायरस जैसे-जैसे फैलता है वो म्यूटेट करता है और ऐसा होना वायरस के लिए सामान्य बात है।

उन्होंने कहा, “लेकिन चीन ने जीनोम सीक्वेन्सिंग की तकनीक में काफ़ी काम किया है और वो दुनिया का पाँचवा देश है जो सार्स वायरस का जीनोम सीक्वेन्सिंग कर चुका है। अब तक पॉज़िटिव मामलों में से केवल 0.5 फ़ीसद में ही वायरस का जीनोम सीक्वेन्सिंग किया गया है। इसे और बढ़ाने की ज़रूरत है। इससे वायरस पर नज़र रखने में मदद मिलती है।“