कोरोना मौत पर मुआवजा नहीं मिलेगा, सुप्रीमकोर्ट में मुकरी मोदी सरकार

Korona_muawaja_modi

वेतन देने के वायदे से पलटी थी, अब मुआवजा देने से इनकार

अपने सात साल के कार्यकाल में मोदी सरकार ने वायदा करने और मुकरने के मामले में कुख्याति हासिल कर ली है। लॉकडाउन में सबको वेतन देने से मुकरने के बाद अब मोदी सरकार कोरोना से मरने वालों के आश्रितों को मुआवजा देने से भी पलट गई। केंद्र सरकार ने हलफ़नामा दायर कर सर्वोच्च अदालत से नीतिगत मामलों हस्तक्षेप ना करने को भी कहा।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट में 11 जून को हुई सुनवाई में केंद्र ने कोर्ट को बताया था कि मुआवजे की मांग पर विचार चल रहा है। कोर्ट ने सरकार को जवाब के लिए 10 दिन का समय देते हुए 21 जून की तिथि निर्धारित की। इसबीच सुनवाई से पहले दाखिल हलफनामे में केंद्र ने बताया है कि इस मांग को पूरा नहीं किया जा सकता।

आज (सोमवार) को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से तीन दिनों में मुआवजा नीति पर विस्तृत और स्पष्ट गाइडलाइन का मसौदा दाखिल करने को कहा है। साथ ही केंद्र सरकार को कोरोना के मरीजों के लिए मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया आसान बनाने को कहा है। फिलहाल अदालत ने इस मामले में फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है।

लॉकडाउन में सबको वेतन देने से भी मुकर चुकी है सरकार

पिछले साल मोदी सरकार ने कोरोना के नाम पर लॉकडाउन के बहाने देश की जनता पर मनमानी पाबंदियाँ थोपी थीं। उसने ताली-थाली पीटने, मोबत्तियाँ जलवाने में जनता को उलझाने के साथ लॉकडाउन में सबको वेतन और कोरोना से मरने वालों को 4 लाख मुआवजे का ऐलान किया था।

https://mehnatkash.in/2020/06/04/modi-government-shunned-salary-payment-in-supreme-court/

29 मार्च, 2020 को गृह मंत्रालय भारत सरकार ने अधिसूचना जारी कर कहा था कि नियोक्ता मजदूरों के लॉकडाउन अवधि का वेतन नहीं काटेंगे। मंत्रालय ने 18 मई को दूसरी अधिसूचना जारी करते हुए इस आदेश को वापस ले लिया और मालिकों को मजदूरों के वेतन भुगतान की बाध्यता समाप्त कर दी थी। 4 जून, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा की वेतन भुगतान का मामला मालिक और मजदूरों को आपस में मिल बैठकर हल करना चाहिए।

https://mehnatkash.in/2020/05/16/lockdown-exemption-of-owners-for-not-paying-full-salary/

इस तरह मज़दूर ठगे गए।

मुआवजे का क्या है मामला?

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके कोरोना संक्रमण से मरने वाले लोगों के परिजनों के लिए 4 लाख रुपये मुआवजे की मांग की गई है। केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत में दायर हलफनामे में कहा कि कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को 4 लाख रूपये का मुआवजा नहीं दिया सकता है।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में 2 वकीलों गौरव कुमार बंसल और रीपक कंसल की तरफ से याचिका दाखिल की गई है। जिसमें कहा गया है कि नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 12 में आपदा से मरने वाले लोगों के लिए सरकारी मुआवजे का प्रावधान है। पिछले साल केंद्र ने सभी राज्यों को कोरोना से मरने वाले लोगों को 4 लाख रुपए मुआवजा देने के लिए कहा था। इस साल ऐसा नहीं किया गया है।

याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा है कि अस्पताल से मृतकों को सीधा अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा है। न उनका पोस्टमॉर्टम होता है, न डेथ सर्टिफिकेट में लिखा जाता है कि मृत्यु का कारण कोरोना था। ऐसे में अगर मुआवजे की योजना शुरू भी होती है तो लोग उसका लाभ नहीं ले पाएंगे।

दोनों याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण और एम आर शाह की बेंच ने मामले पर केंद्र सरकार को 24 मई को नोटिस जारी किया था।

https://mehnatkash.in/2021/05/03/pm-care-fund-and-ventilator-purchases-rigged/

मोदी सरकार फिर मुकर गई

सुप्रीम कोर्ट को दिए अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने कठदलीली देते हुए कहा कि आपदा कानून के तहत अनिवार्य मुआवजा केवल प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़ आदि पर ही लागू होता है। सरकार ने यह भी कुतर्क दिया कि अगर एक बीमारी से होने वाली मौत पर मुआवजा दिया जाता है और दूसरी पर नहीं तो यह गलत होगा।

केंद्र सरकार ने जवाब में कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के लिए मुआवजे को कोरोना महामारी पर लागू करना किसी भी तरह से उचित नहीं होगा। केंद्र सरकार और राज्य पहले ही राजस्व में कमी और स्वास्थ्य खर्च में बढ़ोतरी के कारण गंभीर वित्तीय दबाव में हैं।

मुआवजा देने के लिए संसाधनों का उपयोग महामारी के खिलाफ कार्यवाही और स्वास्थ्य व्यय को प्रभावित कर सकता है। कोरोना महामारी के कारण अबतक 3,85,000 से अधिक मौतें हुई हैं जिनके और भी बढ़ने की संभावना है।

https://mehnatkash.in/2021/04/30/people-dying-due-to-lack-of-treatment-who-is-responsible-for-this/

आज कोर्ट ने क्या कहा?

सोमवार को सुनवाई के दौरान सु्प्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से तीन दिनों में मुआवजा नीति पर विस्तृत और स्पष्ट गाइडलाइन का मसौदा दाखिल करने को कहा है। साथ ही कहा कि हम पाते हैं कि मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रक्रिया जटिल है। इसे सरल किया जाना चाहिए, ताकि किसी कोविड मरीज की मौत के बाद उसका डेथ सर्टिफिकेट प्राप्त करने में पीड़ित परिवार को कोई दिक्कत न हो।

कोविड की वजह से मारे गए लोगों के मृत्यु प्रमाणपत्र पर मौत की वजह कोविड संक्रमण होने का उल्लेख करने का भी निर्देश दिया गया है। अदालत ने कहा, नैतिकता मानवता सब चली गई है। लोगों ने दवा की भी कालाबाजारी की है। हमें आम आदमी की दुर्दशा पर विचार करना चाहिए।

हालांकि अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में ही स्पष्ट कर दिया है कि नीतिगत मामलों को कार्यपालिका पर छोड़ देना चाहिए और न्यायपालिका कार्यपालिका की ओर से फैसला नहीं ले सकती।

https://mehnatkash.in/2020/07/14/now-the-cost-of-corona-test-will-also-be-recovered-from-the-workers/

पीड़ितों के लिए पैसे का रोना, महल के लिए 20 हजार करोड़

कोरोना पीड़ितों को मुआवजा देने को पैसा नहीं पर कोरोना के दौरान सेंट्रल विस्टा और पीएम के लिए एक भव्य महल बनवाने के लिए 20,000 करोड़ रुपए हैं। कोविड के नाम पर पीएम केयर फंड में जुटाए गए बेंतहन धन कहाँ गया, कोई हिसाब नहीं है। मुनाफाखोर कॉर्पोरेट को भारी सब्सिडी और टैक्स की छूटें दी जा रही हैं। लेकिन मेहनतकश पीड़ित जनता के लिए ठनठन गोपाल!

https://mehnatkash.in/2021/05/16/there-is-neither-a-resource-nor-place-for-the-living-nor-after-the-death/

वायदे हैं वायदों का क्या!

मोदी सरकार की बुनियाद ही झूठे वायदों पर पड़ी है। कला धन लाने और सबके बैंक खातों में 15-15 लाख रुपए डालने, रोजगार देने, सस्ता डीजल-पेट्रोल-गैस देने, महंगाई घटाने से लेकर जनाब मोदी के सारे वायदे मिट्टी में मिल चुके हैं।

कोविड महामारी के पिछले सवा साल के दौरान मोदी के झूठ का तंत्र और फला-फूला है। कोविड महामारी में पहले इलाज की कमी, उतराती लाशें, फिर झूठे आँकड़े और ऊपर से सरकार की क्रूरता!

भूली-बिसरी ख़बरे