आओ सुनाऊ तुमको अम्बानी की कहानी…

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उधर मुकेश अम्बानी ने लंदन में 592 करोड़ रुपए में हवेली खरीदी, इधर रिलायंस कैपिटल डिफॉल्टर हो गया… ऐसे में वरिष्ठ समीक्षक अपूर्व भारद्वाज की 3 साल पुरानी पोस्ट गौरतलब है…

बहुत साल पहले अक्षय कुमार की एक फ़िल्म आई थी जिसमें उनका तकिया कलाम था “एवेर्थिंग वास प्लांड” मतलब सबकुछ पहले से ही तय था “जियो” की कहानी भी कुछ इसी तरह की है मैं टेलिकॉम सेक्टर काम कर चुका हूँ तो इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि रिलायंस किस तरह काम करता है उसके बिजनेस मॉडल को नही जानने वाले आज जियो के कॉल रेट बढने पर जो स्यापा कर रहे है वो टेल्को (टेलिकॉम कम्पनियों) को काम करने के तरीक़े को जब जान जाएंगे तो जियो के कॉल रेट हाई करने को भी समझ जायँगे।

बात 2010 की है जब भारत मे 4g क्या 2g नेटवर्क भी रोते गाते चलता था रिलायन्स मेरी कंपनी का मुख्य क्लाइंट था में अपने नए प्रोडक्ट को लेकर रिलायन्स के बड़े अधिकारी से मीटिंग करने जा रहा था तब रिलायंस टेलिकॉम अनिल अंबानी के ग्रुप का हिस्सा था मेरे उस अधिकारी से बड़े अच्छे संबध थे तो मैंने उनसे पूछ लिया कि भारत में टेलिकॉम क्राँति तो आपने कर दी है आगे क्या प्लान है तो वो बोले एवेर्थिंग इज प्लांड !!! आप मुझे 2G के प्रोडक्ट् का डेमो दे रहे है उधर मुकेश भाई एलटीई की पूरी प्लानिंग कर चुके है मैं बिलकुल चौक गया औऱ आगे उन्होंने जो बताया वो आज की हकीकत है।

तो अब आगे की कथा सुनाता हूँ अधिकारी बोले यह 2Gका आखरी साल है अब 3Gआएगा फिर 2-3 साल बाद 4G स्पेक्ट्रम आयेगा भारत मे टेलिकॉम क्रांति के बाद मोबाइल डाटा क्रांति रिलायंस ही लाएगा सबसे पहले अपने तेल साम्राज्य के बदौलत हम 4g स्पेक्ट्रम हासिल करेन्गे फिर फ्री डाटा बाटेंगे पूरे देश को इंटरनेट का आदि बना देंगे इस तरह यूजर्स की संख्या बढ़ाकर पूरे मार्केट के सबसे बड़े प्लेयर बनेगे एक परिवार एक आपरेटर की थीम लेकर चलेंगे और देश के हर परिवार के एक सदस्य को टारगेट करेंगे और 2015 तक अन्य देशो की तरह भारत में भी पोर्टबिलिटी आ जायेगी तब न्यूनतम फीस रखकर दूसरे यूजर्स को टारगेट करेन्गे फिर जब सबसे ज्यादा मार्केट शेयर होगा और मार्केट में मोनोपॉली हो जायेगी फिर कॉल के साथ हर सर्विसेज का चार्ज लगेगा और यूजर के पास दूसरा कोई विकल्प नही होगा।

यह कहानी बिलकुल वैसी है जैसे 2000 की शुरुआत में वायरलेस इन लोकल लूप (WLL) की पतली गली का उपयोग करके रिलायंस ने 500 रु में मोबाइल फोन बांटे थे और भारत के यूजर को सस्ते कॉल और फ्री रोमिंग की सुविधा का लालच देकर जबरदस्त मुनाफा काटा था रिलायंस का बिजनेस मॉडल बहुत सरल है मार्केट के जमने से पहले मार्केट बनाओ उस प्रोडक्ट का एक बड़ा यूजर बेस खड़ा करो और सही समय पर अच्छा मुनाफा काटकर उस प्रोडक्ट के मरने से पहके किसी और अच्छे दाम में बेचकर उस जगह से निकल जाओ।

मुकेश भाई के पिता धीरूभाई भारत की जनता की दुखती नस को पहचानते थे कि भारत की जनता को सब कुछ फ्री में चाहिये इसलिए धीरूभाई ने अपने बच्चों को एक बात सिखाई थी इस दुनिया मे कुछ भी फ्री नही मिलता है सब चीज बिकाऊ है सबकी एक कीमत होती है बस उसको कैसे वसूलना है उसकी पूरी प्लांनिग होना चाहिए इसी को बिजनेस कहते है मुकेश भाई ने आज अपने पिता के सिखाये गुरुमंत्र एक बार फिर सिद्ध कर दिया है “एवेर्थिंग इज पॉसिबल इफ एवेर्थिंग इज प्लांड”।

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