चित्रकथा : गर्भावस्था

0
0
Garbhavastha

कोरोना/लॉकडाउन : गर्भवती महिला, गर्भवती हाथी, मानवता और साम्रदायिक परिदृश्य…

अक्षम और सांप्रदायिक भारत सरकार ने कोरोनावायरस के डर से बिना किसी तैयारी के  कठोर लॉकडाउन की घोषणा कर दी।  लॉकडाउन के दौरान कई मज़दूरों की जान चली गई।  कॉर्पोरेट के तलवे चाटने वाली सरकार ने उनकी कोई मदद नहीं की।  यह सरकार भारतमाता का राग अलापती रहती है और इसके कार्यकर्ता माताओं का बलात्कार करने और उनकी हत्या करने से नहीं हिचकते।  यह गुजरात दंगे के दौरान गर्भवती मुस्लिम महिला की खुलेआम हत्या के दौरान साबित हुआ था, जिसके अजन्मे बच्चे को त्रिशूल की नोक पर उछाला गया था। 

अब गर्भवती हिंदू महिला श्रमिकों, जो अपनी आजीविका खोने के बाद घर पहुंचने के लिए सैकड़ों, हजारों किलोमीटर पैदल चली, उनकी कथित हत्या के प्रयास के बाद ये एक बार फ़िर साबित हो गया है। उनमें से कुछ ने मृत बच्चों को जन्म दिया और कुछ खुद मर गईं। 

इस झूठी गौ प्रेमी सरकार ने एक गर्भवती हाथी की मौत को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की, लेकिन जब एक हिंदू बहुल क्षेत्र में एक गर्भवती गाय की मौत हो गई, तो उस पर चुप रही। अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने पर सरकार ने कई अन्य लोगों के साथ, सफुरा ज़ार्गर नामक एक गर्भवती महिला को भी झूठे आरोपों के तहत गिरफ्तार किया, और उसे जमानत ना मिले इस बात की पूरी कोशिश की गई। 

भारत देश, भारतमाता है या नहीं है, लेकिन यह देश कोरोना वायरस के कारण नहीं बल्कि सत्ता में बैठे जानवर इसको नोच-नोच कर खा रहे हैं।