छत्तीसगढ़: नियमितीकरण के लिए संघर्षरत संविदा विद्युत कर्मियों ने दमन के खिलाफ घेरा कलक्ट्रेट

रायपुर में प्रदर्शन के दौरान 23 अप्रैल को प्रशासन ने बर्बरता पूर्वक लाठीचार्ज किया, जिसके विरोध में प्रदेश के सभी 28 जिलो में संविदा कर्मचारियों द्वारा कलक्ट्रेट का घेराव किया गया।
नियमितीकरण सहित दो सूत्रीय मांगों को लेकर जिले के विद्युत संविदा कर्मचारियों ने शुक्रवार को कलेक्टोरेट का घेराव कर दिया। अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद किया गया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा गया।
विद्युत संविदा कर्मचारी संघ के सदस्यों ने बताया कि प्रदेश के सभी संविदा विद्युत कर्मचारी अपने दो सूत्रीय मांग नियमितीकरण व अनुकंपा नियुक्ति को लेकर रायपुर में प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान २३ अप्रैल को आंदोलन कर रहे कर्मचारियों को प्रशासन द्वारा बर्बरता पूर्वक लाठीचार्ज किया गया। साथ ही आंदोलन को खत्म करने के उद्देश्य से कर्मचारियों पर कई धारा लगाया गया। जिसके विरोध में प्रदेश के सभी २८ जिलो में २९ अप्रैल को कलेक्टोरेट घेराव का आयोजन किया जाना प्रस्तावित था।
इसी के तहत शुक्रवार को जिले के संविदा कर्मचारियों द्वारा कलेक्टोरेट का घेराव किया गया। इसके तहत शुक्रवार को जिले के सभी १५० के आसपास में संविदा कर्मचारी बड़ी संख्या में कलेक्टोरेट मोड़ के पास पहुंचे। जहां से रैली के माध्यम से कलेक्टोरेट आफिस के सामने पहुंचे। जहांं पर इसका प्रतिनिधि मंडल कलेक्टर से मिलने पहुंचे। जहां मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। साथ ही पूर्व में सौपे ज्ञापन के बारे में पूछा गया तो कलेक्टर ने बताया कि दो सूत्रीय मांगों के बारे में मुख्यमंत्री को अवगत करा दिया गया।
संविदा कर्मचारियों ने बताया कि विद्युत विभाग में नियमित लाइन कर्मचारियों की भारी कमी होने के कारण प्रदेश के लाखों करोड़ो उपभोक्ताओं को कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। कई कर्मचारी ऐसे है जिनकी नौकरी २ से ३ साल में समाप्त होने की स्थिति में है। इसलिए प्रदेश भर में कर्मचारियों की कमी बरकरार है। इसे देखते हुए संविदा कर्मचारियों को नियमित करना अनिवार्य है।
संविदा कर्मचारी लाइन के काम में हमेशा खतरा से खेलते रहते है। इसके बावजूद इसको सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं मिलता। संविदा कर्मचारियों ने बताया कि कर्मचारियों को मूल वेतन के साथ फील्ड अलाउंस ५ प्रतिशत दिया जाता है। इसके अलावा कैशलेस मेडिकल सुविधा, महंगाई भत्ता और न ही मकान भत्ता व पेंशन की सुविधा नहीं मिलती। दुर्घटना बीमा कराई गई है परंतु सुविधा के नाम पर कागजी कार्रवाई बस होती है। दुर्घटना का शिकार होने पर चिकित्सा सुविधा और न ही उचित मुआवजा मिलता है।
पत्रिका से साभार