3 टन क्षमता वाला कोयले का बंकर अचानक नीचे गिरने से हुआ हादसा। घटना से फैक्ट्री में सुरक्षा उपायों को लेकर भारी लापरवाही का मामला सामने आ रहा है। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर क्षेत्र में स्थित मां कुदरगढ़ी एल्युमिना बॉक्साइट फैक्ट्री में 3 टन क्षमता वाला कोयले का बंकर अचानक नीचे गिर गया। बंकर की चपेट में आने से पांच श्रमिकों की मौत की खबर है। जबकि, कई लोगों के दबे होने का अनुमान लगाया जा रहा था। दूसरी खबर के मुताबिक 4 श्रमिकों की मौत बताई जा रही है, जबकि एक घायल है। घटना सरगुजा जिले के बतौली विकासखंड अंतर्गत ग्राम सिलसिला में संचालित मां कुदरगढ़ी एलुमिना हाइड्रेट फैक्ट्री की है। यहाँ बॉक्साइट से एल्युमिनियम बनाने के लिए कोयला का उपयोग किया जाता है। इस कोयले को हापर में भरकर जलाया जाता है। रविवार 8 सितंबर की सुबह रोज की तरह श्रमिक यहां काम में लगे हुए थे। इस दौरान करीब 11 बजे अचानक कोयले का बंकर (हॉपर) व करीब 150 फीट बेल्ट वहां काम कर रहे मजदूरों पर गिर गया। जलते हुए कोयला के साथ लोहे का विशाल 10 से 12 फीट ऊंचा हापर गिर गया। हादसे में बंकर के नीचे काम कर रहे मजदूर दब गए। इससे वहां अफरा-तफरी मच गई। मजदूरों के फंसे होने के कारण कटर मशीन से लोहे के हापर को काटा गया। काफी मशक्कत के बाद मिली लाश खबर के मुताबिक हादसे के शुरुआती डेढ़ घंटे में काफी मशक्कत के बाद 3 मजदूरों को निकालकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर में भर्ती कराया गया था। यहां 2 मजदूरों मध्यप्रदेश के मंडला निवासी प्रिंस राज व मनोज को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था, जबकि एक मजदूर को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। बंकर के नीचे दबे अन्य मजदूरों का रेस्क्यू किया जा रहा था। रेस्क्यू टीम द्वारा भारी-भरकम बंकर को गैस कटर से काटा गया। फिर पूरा कोयला हटाने के बाद शाम करीब साढ़े 4 बजे दबे दो मजदूरों झारखंड निवासी रमेश व करण की लाश मिली। प्रबंधन की भारी लापरवाही बताया जा रहा है कि प्लांट प्रबंधन की लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ है। प्रबंधन द्वारा प्लांट में सुरक्षा गाइड लाइन का पालन नहीं किया जा रहा था। सूत्र बताते हैं कि पूर्व में भूसे से प्लांट का ब्रायलर (बेल्ट) चलाया जाता था। लेकिन 1 सितंबर से कोयले का उपयोग किया जाने लगा। ऐसे में वजन अधिक हो जाने की वजह से हादसा होने की बात कही जा रही है। बताया जा रहा है कि पूर्व में ब्रायलर को भूसे के हिसाब से बनाया गया था। लेकिन जब कोयले का उपयोग होना शुरु हुआ तो ब्रायलर को अपडेट नहीं किया गया। गौरतलब है कि पूर्व में भी आस-पास के गांवों के लोगों ने प्लांट के खुलने का भारी विरोध किया था।