चंडीगढ़ मेयर चुनाव: ‘पीठासीन अधिकारी ने मतपत्रों को विकृत किया, यह लोकतंत्र की हत्या है’ -सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने निर्देश दिया कि चंडीगढ़ नगर निगम मेयर चुनाव संबंधित पूरा रिकॉर्ड सोमवार तक पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट को सौंपा जाए, 7 फरवरी की परिषद बैठक अगले आदेश तक स्थगित किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (5 फरवरी) को चंडीगढ़ मेयर चुनाव कराने वाले पीठासीन अधिकारी को यह कहते हुए कड़ी फटकार लगाई कि “यह स्पष्ट है कि उन्होंने मतपत्रों को विकृत किया।” सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने विवादास्पद चुनाव का वीडियो देखने के बाद टिप्पणी की, “क्या वह इस तरह से चुनाव आयोजित करते हैं? यह लोकतंत्र का मजाक है। यह लोकतंत्र की हत्या है। इस आदमी पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। आपने कांग्रेस-आप गठबंधन के 8 उम्मीदवारों के वोट अवैध घोषित होने के बाद उम्मीदवार को विजेता घोषित कर दिया गया। सीजेआई ने कहा कि कोर्ट पीठासीन अधिकारी के व्यवहार को देखकर ‘आश्चर्यचकित’ है।
सीजेआई ने कार्यवाही का वीडियो देखने के बाद कहा, “वह कैमरे की ओर क्यों देख रहे हैं और भगोड़े की तरह क्यों भाग रहे हैं?” वीडियो देखने के बाद सीजेआई ने कहा कि पीठासीन अधिकारी को मतपत्र में बदलाव करते देखा गया। सीजेआई ने कहा, “उन्हें बताएं कि सुप्रीम कोर्ट उन पर नजर रख रहा है।” चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ AAP पार्षद कुलदीप कुमार (हारे हुए मेयर उम्मीदवार) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा तत्काल चुनाव पर रोक लगाने से इनकार करने को चुनौती दी गई। कुमार की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया कि 7 फरवरी को होने वाली चंडीगढ़ नगर निगम की आगामी बैठक स्थगित कर दी जाएगी। कोर्ट ने आदेश दिया कि मेयर चुनाव का पूरा रिकॉर्ड जब्त कर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पास रखा जाए और मतपत्र और वीडियोग्राफी को चंडीगढ़ यूटी के उपायुक्त के पास सुरक्षित रखा जाए, जिनके पास वर्तमान में रिकॉर्ड हैं। उन्हें आज (सोमवार) शाम 5 बजे तक उन्हें एचसी रजिस्ट्रार जनरल को सौंप देना चाहिए।
न्यायालय ने पीठासीन अधिकारी को अपने आचरण पर स्पष्टीकरण देने के लिए 19 फरवरी को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित होने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि BJP उम्मीदवार को पीठासीन अधिकारी के रूप में चुना गया और उन्होंने कांग्रेस-आप पार्षदों के आठ मतपत्रों को जानबूझकर नष्ट करके और जानबूझकर उनके वोटों को अवैध करके पक्षपातपूर्ण तरीके से काम किया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि वीडियो में केवल एक तरफा तस्वीर दिखाई गई। उन्होंने आग्रह किया कि न्यायालय को पूरे रिकॉर्ड देखने के बाद व्यापक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने हाईकोर्ट के दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए कहा, “उचित अंतरिम आदेश की आवश्यकता है, जिसे करने में हाईकोर्ट विफल रहा।”
केस टाइटल: कुलदीप कुमार बनाम यू.टी. चंडीगढ़ एसएलपी (सी) नंबर 002998 – / 2024
(लाइव लॉ से साभार)