आपत्तियों के बावजूद कोरोना काल में सेंट्रल विस्टा को हरी झंडी

नई संसद का रास्ता साफ
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को संसद मार्ग पर स्थित ‘संसद भवन के विस्तार और पुनर्निर्माण’ के रुप में लिस्ट किया गया है। नई बिल्डिंग का प्रस्तावित एरिया करीब 65,000 स्कवायर मीटर होगा, जो कि मौजूदा संसद भवन से सटा हुआ है।पर्यावरण मंत्रालय ने अतिरिक्त संसद भवन के निर्माण की मंजूरी दे दी है, जो कि सरकार के 20,000 करोड़ रुपए के विवादित सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है। मंत्रालय की एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी (EAC) ने सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (CPWD) के स्पष्टीकरण के आधार पर प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी है। जब यह प्रोजेक्ट मंत्रालय के सामने पहली बार आया उसके 30 दिन के समय में मंत्रालय को बहुत सी आपत्तियां मिली थी, जिस पर CPWD ने अपने स्पष्टीकरण दिया है।
बता दें कि मंत्रालय को इस संबंध में करीब 1292 आपत्तियां मिली हैं।सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को संसद मार्ग पर स्थित ‘संसद भवन के विस्तार और पुनर्निर्माण’ के रुप में लिस्ट किया गया है। नई बिल्डिंग का प्रस्तावित एरिया करीब 65,000 स्कवायर मीटर होगा, जो कि मौजूदा संसद भवन से सटा हुआ है।42 मीटर सेंट्रल विस्टा बिल्डिंग में बेसमेंट और तीन फ्लोर होंगे। CPWD ने बताया कि संसद की मौजूदा बिल्डिंग को ध्वस्त करने का कोई प्रस्ताव नहीं है और सिर्फ ‘संसद भवन के ढांचे को मजबूती देने और अंदरुनी पुनर्निर्माण’ की योजना है।
हालांकि संसद परिसर में मौजूद 5,200 स्कवायर मीटर में फैली कुछ पुरानी बिल्डिंग ध्वस्त की जा सकती हैं।सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के खिलाफ मिली आपत्तियों में से एक आपत्ति में कहा गया है कि जब पूरा देश लॉकडाउन में है और स्वास्थ्य आपातकाल से जूझ रहा है। कोरोना वायरस माहमारी के वक्त में हमें सरकारी खर्च को मेडिकल सुविधा बढ़ाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा तैयार करने को प्राथमिकता देनी चाहिए। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि नए संसद भवन के निर्माण प्रस्ताव को प्राथमिकता दी जा रही है।इसके जवाब में CPWD ने कहा है कि ‘मौजूदा संसद भवन 93 साल पहले बना था। इतने सालों में कई नियोजित और अनियोजित बदलाव हुए हैं।
इसे जल्द से जल्द सुधार (Retrofitting) की जरूरत है। यह तभी संभव है जब बिल्डिंग खाली करा ली जाए और यह तभी होगा जब नई बिल्डिंग उपलब्ध रहेगी। इसलिए प्रस्तावित संसद भवन बेहद जरूरी है।’सीपीडब्लूडी ने ये भी कहा है कि “विधायिका के बेहतर कामकाज के लिए भी बड़ी बिल्डिंग की जरूरत है। इस प्रोजेक्ट से रोजगार के अवसर बनेंगे, जो कि देश के सामाजिक ढांचे में सकारात्मक योगदान देगा और इस क्षेत्र के संपूर्ण विकास में सहायक होगा।”
सेंट्रल विस्टा को लेकर एक अन्य आपत्ति में संसद भवन की विरासत को लेकर चिंता व्यक्त की गई है। इस पर सीपीडब्लूडी ने कहा है कि संसद भवन के विरासत मूल्यों से हम वाकिफ हैं और इसीलिए इस बिल्डिंग को सहेजने की जरूरत है। इसके अलावा व्यवाहरिक तरीके से सोचें तो भविष्य में ज्यादा सदस्यों के बैठने के लिए जगह की जरूरत होगी और जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी यह प्रोजेक्ट जरूरी है।
जनसत्ता से साभार