इस सप्ताह : निलय उपाध्याय की पांच कविताएं !
बेदख़ल / निलय उपाध्याय मै एक किसान हूँ अपनी रोजी नहीं कमा सकता इस गाँव में मुझे देख बिसूरने लगते...
बेदख़ल / निलय उपाध्याय मै एक किसान हूँ अपनी रोजी नहीं कमा सकता इस गाँव में मुझे देख बिसूरने लगते...
बलात्कार का देश / मीना कंडासामी हाथरस में पुलिस ने बलात्कार पीड़ित का घर बैरिकेड कर दिया है, उसकी लाश...
भगतसिंह / नागार्जुन अच्छा किया तुमने भगतसिंह, गुजर गये तुम्हारी शहादत के वर्ष पचास मगर बहुजन समाज की अब तक...
अल-फ़ाग़ोमी के नाम से प्रसिद्ध मिस्र के क्रान्तिकारी कवि अहमद फ़ोआद नेग़्म (1929-2013) की दो कविताएं ! हम आपका समर्थन...
मातृभाषा प्रेम पर दोहे / भारतेंदु हरिश्चंद्र निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत...
नचिकेता / महेश पुनेठा मैं सात-समुद्र पार की बात नहीं कर रहा हूँ एक तरफ थे- हाथी-घोड़े स्वर्ण मुद्राएं सौ...
तुम्हारे हाथ और उनके झूठ के बारे में / नाज़िम हिकमत तुम्हारे हाथ पत्थरों की तरह संगीन. जेल में गाए...
इस व्योपारी को प्यास बहुत है / गिरीश चंद्र तिवाड़ी 'गिर्दा' एक तरफ बर्बाद बस्तियाँ – एक तरफ हो तुम।...
सुब्ह-ए-आज़ादी (अगस्त-47) / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ ये दाग़ दाग़ उजाला ये शब-गज़ीदा सहर वो इंतिज़ार था जिस का ये वो...
एक दिन ऐसा आता है / महेश पुनेठा एक दिन ऐसा आता है कि हम मनुष्य को छोड़ 'कुओं' और...