तानाशाह का मजाक तो उड़ा ही सकते हैं / स्वप्निल श्रीवास्तव हम कुछ भी नहीं कर सकते लेकिन तानाशाह का...
Read moreयही तो लोकतंत्र है! / दिगम्बर बच्चे जब चित्रकारी करते हैं तो आम का चित्र बनाने पर अमरुद बन जाता...
Read moreअच्छे दिन दिखाई देंगे सिर्फ अखबारों में / राहुल मिश्रा कुछ काला पैसा पार्टी फंड के चंदे से आया !!...
Read moreरिक्शावाला / ज्ञान प्रकाश चौबे पैडल के नीचे दबाता है अपना दुख हैंडल के उमेठते हुए कान बदलता है हवा...
Read moreअपरिचित / दिनेश श्रीनेत हम एक-एक शब्द जोड़कर बनाते हैं छोटे-छोटे पुल जिस पर चलकर हमें एक-दूसरे के करीब आना...
Read moreयह समय / श्रुति कुशवाहा वो जाता तो लौटकर बिल्कुल न आता जो लौटता तो हमेशा अलहदा होता समय को...
Read moreचंद ताज़े मौजूँ शे'र…. / रवि सिन्हा लोग किस रंग में नहाये हैं हम तो दामन बचा के आये हैं...
Read moreराजा ने कहा 'जहर पीओ' …वह मीरा हो गई / शरद कोकास वह कहता था, वह सुनती थी, जारी था...
Read moreमाँ / राजाराम चौधरी माँ पहली कविता है मानव की बचपन डोलता रहता है अपने में मगन तोतली जुबान में...
Read moreइन सबका दुख गाओगे या नहीं / भवानीप्रसाद मिश्र इस बार शुरू से धरती सूखी है हवा भूखी है वृक्ष...
Read moreआज जहां मज़दूर वर्ग पर ताबड़तोड़ हमले हो रहे हैं। वहीं मेहनतकश आबादी की खबरें मुख्य मीडिया से गायब हैं। दरअसल, उस पर सत्ता संरक्षण में पूँजीपति वर्ग का कब्जा है, जो मेहनतकश आवाम का शोषण कर रही है। ऐसे में मज़दूरों को अपना वैकल्पिक मीडिया खड़ा करना बेहद जरूरी है। देश में मज़दूरों की वैकल्पिक मीडिया खड़ी हुई है या हो रही। उसी प्रक्रिया के एक हिस्से के तौर पर मेहनतकश वेबसाइट आपके बीच सक्रिय है, जो पूरी मेहनतकश आवाम की है। यहाँ मेहनतकश की हर खबर बिना किसी रोक-टोक के प्रकाशित होती है। जहाँ मेहनतकश ही रिपोर्टर है, पत्रकार है। इसलिए आइए www.mehnatkash.in को मजबूत और सशक्त बनाएं! मेहनतकश वर्ग के संघर्ष को मजबूत करने में योगदान अपना योगदान दें। |