इस सप्ताह : पीठ पर बंधा घर !
शुभकामना / मोती जैसलमेरी दुनिया में सबसे सुंदर सुबह वह होगी, जब हर सैनिक के हाथ में हथियार नहीं, खेल…
शुभकामना / मोती जैसलमेरी दुनिया में सबसे सुंदर सुबह वह होगी, जब हर सैनिक के हाथ में हथियार नहीं, खेल…
एक काली कविता / अमिता शीरीं मैं काली हूं मैं बहुत काली हूं लेकिन मैं सुन्दर हूं. बहुत सुंदर. बहुत…
हिंदी के विलक्षण कवि देवेंद्र कुमार बंगाली ( 18 जुलाई 33-18जून 1991) बुद्ध भूमि कसया कुशीनगर में पैदा हुए थे।…
माफ करना / महेश केळुसकर हिंदी अनुवाद : उषा वैरागकर आठले हे आसमानी परमपिता! माफ कर देना उस जाँच आयोग…
भूख / कुमार विश्वबंधु भूख जरूरी है खाना खाने के लिए खाना जरूरी है जिन्दा रहने के लिए भले जिन्दा…
यही मौका है / नबारुण भट्टाचार्य (अनुवाद – लाल्टू) यही मौका है, हवा का रुख है ग़रीबों को भगाने का…
वो शख्स सूरमा है ..मगर बाप भी तो है रोटी खरीद लाया है तलवार बेचकर -मैराज़ फैजाबादी तुम्हारी कब्र पर…
एक आगमन आता है सूरज तो जाती है रात किरणों ने झाँका है होगा प्रभात नये भाव पंछी चहकते है…
यदि तुम नहीं मांगोगे न्याय / कुमार अंबज यह विषयों का अकाल नहीं है यह उन बुनियादी चीजों के बारे…
वे इसी पृथ्वी पर हैं / भगवत रावत इस पृथ्वी पर कहीं न कहीं कुछ न कुछ लोग हैं जरूर…