ब्यूरोक्रेसी व उच्च पदों पर सवर्णों का कब्जा

सरकार नहीं देना चाहती है समाज के दबे कुचलों को उनका हक
देश में आज भी ब्यूरोक्रेसी व उच्च पदों पर sc, st, व obc का प्रतिनिधित्व बेहद कम है। केंद्र सरकार के सचिव स्तर के अधिकारियों के कुल 89 पदों में मात्र 3 st व 1 sc है। obc कोई भी नहीं है। 93 अतिरिक्त सचिव में 6 sc, 5 st व कोई भी obc नहीँ है। 275 जाइंट सेक्रेटरी में मात्र 13 sc, 9 st, व 19 obc हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के सवाल पर निर्णय सरकार पर छोड़ दिया था। सरकार की जिम्मेदारी थी कि वह sc, st व obc समाज के लोगों को हर स्तर पर बराबरी का प्रतिनिधित्व व अधिकार देने के लिये प्रावधान करती।
परन्तु सरकार ने ऐसा नहीँ किया?
सरकार रेलवे के कर्मचारियों की संख्या 14 लाख से घटाकर 10 लाख करने जा रही है। विनिवेश के द्वारा सरकारी विभागों का निजीकरण किया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में 2.10 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा गया है। एसे में संघर्ष का केंद्र बिन्दु आरक्षण का विरोध करने की जगह निजीकरण, विनिवेश व सरकारी पदों को समाप्त व कम किये जाने के खिलाफ होना चाहिये।
देश में रोजगार की हालत बेहद खराब है। अतः सभी लोगों को अपने संघर्ष की धार रोजगार को मौलिक अधिकार घोषित किये जाने की तरफ मोड़ देने की जरुरत है। उच्च पदों पर नियुक्ति चुनावों के द्वारा होनी चाहिए। इसमें इस बात का विशेष ध्यान रखा जाय कि जिन sc, st व obc जातियों के साथ एतिहासिक तौर पर अन्याय हुआ है उन्हें उच्च पदों पर बराबरी का प्रतिनिधित्व दिया जाय।
मुनीश कुमार का पोस्ट