मेहनताना घटाने से नाराज ब्लिंकिट के डिलीवरी श्रमिक अब दिल्ली-एनसीआर में हड़ताल पर

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10 मिनट में घरों तक राशन, सब्जी, फल पहुंचाने वाले ब्लिंकिट श्रमिकों की डिलीवरी दर ₹50 से घटाकर ₹15 करने से दिल्ली-एनसीआर के अलावा कोलकाता से कानपुर तक हड़तालें हुईं हैं।

दिल्ली। देश की बड़ी एप बेस्ट कंपनी में से एक जोमैटो के स्वामित्व वाले क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म ब्लिंकिट के डिलीवरी श्रमिक बीते एक सप्ताह से दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में हड़ताल पर चले गए हैं और अभिकतर डार्क किचन को बंद कर दिया है।

दरअसल, ब्लिंकिट के लिए काम करने वाले श्रमिक (डिलीवरी राइडर्स) कंपनी की नई पेआउट पॉलिसी से नाराज हैं। ब्लिंकिट ने ₹50 प्रति ऑर्डर की डिलीवरी से घटा कर ₹25 कर दिया था, और अब उसे भी घटाकर ₹15 प्रति डिलीवरी कर दिया है।

यही कारण है कि ब्लिंकिट के श्रमिक आंदोलन की राह पर हैं और कंपनी की सेवाएं देश के कई शहरों में प्रभावित हुई हैं। डिलीवरी श्रमिकों का यह आंदोलन कोलकाता से शुरू होकर कानपुर सहित कई शहरों के बाद अब दिल्ली-एनसीआर में हड़ताल के रूप में सामने है।

रिपोर्ट्स के अनुसार अब तक यह कंपनी देश के 20 शहरों में अपने 400 स्टोर्स संचालित करता है। इन 400 स्टोर्स में 200 स्टोर्स देश की राजधानी दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में स्थित है। जिनमें ज्यादातर जगहों पर हड़ताल हुआ है।

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क्यों कर रहे हैं डिलीवरी श्रमिक हड़ताल

ब्लिंकिट ने शुरू में डिलीवरी राइडर्स से ₹50 प्रति ऑर्डर की डिलीवरी तय किया था। कंपनी ने वर्ष 2022 में इस दर को घटा कर ₹25 कर दिया था। तब भी श्रमिकों ने विरोध जताया था और हड़ताल-प्रदर्शन भी हुए थे। अब कंपनी ने इस दर को भी घटा कर ₹15 प्रति डिलीवरी कर दिया है। साथ में दूरी आधारित फीस कंपोनेंट को भी शामिल किया गया है।

इससे ब्लिंकिट राइडर्स को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि नई वेतन पॉलिसी की वजह से अब उनकी आमदनी 40 से 50 फीसदी तक घट गई है। पहले जहां ये श्रमिक 12 घंटे काम करने के बाद 1200 रुपये तक कमा लेते थे वहीं अब नई नीति के आने से यह घटकर 300-400 रुपये तक रह गई है। ऊपर से पेट्रोल आदि का पूरा खर्च भी इन श्रमिकों को ही उठाना पड़ता है।

आए दिन वे दुर्घटनाओं के शिकार बनते हैं और उनकी कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है। अब कमाई मे आई इस गिरावट की वजह से इन श्रमिकों को अपना घर चलाने में भी मुश्किलें हो रही हैं।

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शोषण के खिलाफ यूं शुरू हुआ संघर्ष

लगातार बढ़ते शोषण और बढ़ती महँगाई के बीच घटती आय से नाराज डिलीवरी श्रमिकों ने दिल्ली-एनसीआर में पहले कई व्हाट्सएप ग्रुप बनाए और बाद में कई ब्लिंकिट इनवेंटरी स्टोर पर काम करने वाले कामगारों से संपर्क कर उन्हें हड़ताल में शामिल होने के लिए कहा। हल्ला बोल नाम के इस ग्रुप में दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम के हजारों कामगारों को जोड़ा गया है।

व्हाट्सएप के माध्यम से इन श्रमिकों ने एप वर्कर्स यूनियन (AWU) का गठन किया, जो तमाम एप आधारित कामगारों को एक होने का आह्वान कर रही है।

एकाउंट को ब्लॉक कर डराने की चाल

ब्लिंकिट प्रबंधन ने अब दमन और डराने का रास्ता अपनाया है। उसने हड़ताल में हिस्सा लेने वाले सैंकड़ों कामगारों के एकाउंट को ब्लॉक कर दिया है, और टर्मिनेट कर दिया है। कंपनी ऐसा ही हथकंडा कोलकाता में ब्लिंकिट श्रमिकों के साथ कर चुकी है।

लेकिन श्रमिक इससे घबड़ाने वाले नहीं हैं, क्योंकि वाकई उनके पास खोने को कुछ नहीं है। हालांकि कंपनी भयावह बेरोजगारी के बीच मामूली दर पर भी नए श्रमिक भर्ती करने के गुमान में है।

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दरअसल, गिग अर्थव्यवस्था पर आधारित स्वीग्गी, जोमाटो, ब्लिंकिट, उबेर, ओला जैसे एप से जुड़े श्रमिकों के लिए काम करने की स्थिति बेहद बदतरीन हैं, कोई सामाजिक या कार्यस्थल की सुरक्षा नहीं है, यहाँ तक कि श्रम क़ानूनों के तहत वे कामगार की श्रेणी में भी नहीं आते हैं। नए लेबर कोड में भी इनके हित में कोई प्रावधान नहीं हैं।

ये श्रमिक अदृश्य मालिक के गुलाम बनकर बेहद शोषणकारी स्थितियों में कार्यरत हैं। फिलहाल मनमर्जी आमदनी घटाने के खिलाफ ब्लिंकिट श्रमिक संघर्षरत हैं।

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