लालकुआँ : गरीबों पर भाजपा सरकार का फिर चला बुलडोजर; नगीना कॉलोनी के 300 घर ध्वस्त

लाठी चार्ज, गिरफ़्तारी के बीच बेरहमी से बुलडोजर चला, बस्ती में 40-50 सालों से रह रहे गरीब मज़दूरों के घर व स्कूल ध्वस्त कर दिया, बच्चों, बुजुर्गों, बीमारों को भी नहीं बक्सा।
लालकुआँ (उत्तराखंड)। नैनीताल जिले के लालकुआं स्थित नगीना कॉलोनी में गुरुवार को रेलवे भूमि पर कथित अतिक्रमण के बहाने रेलवे और जिला प्रशासन की मौजूदगी में भारी पुलिस फोर्स ने बेरहमी से बुलडोजर चला दिया।
उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने बगैर पुनर्वास की व्यवस्था के चार जेसीबी मशीनों को लगाकर लगभग 300 से अधिक घरों को ध्वस्त कर दिया और हजारों परिवारों को बेघर कर दिया।
पुलिस ने बस्ती वासियों पर लाठीचार्ज किया जिसमें कुछ लोगों को चोटें आईं। इस दौरान विरोध कर रहे करीब दो दर्जन से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया, जिनमें आंदोलन की अगुआई कर रहे प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की अध्यक्ष बिंदू गुप्ता और पुष्पा आदि शामिल थे, जिन्हें देर रात रिहा किया गया।

इस हैवानियत और जुल्म का कौन देगा जवाब?
दरअसल, बुधवार को नैनीताल उच्च न्यायालय ने नगीना कॉलोनी में करीब चार हजार लोगों के रिहाइश मामले पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने निवासियों की याचिका को निरस्त करते हुए कथित अवैध कब्जा हटाने के आदेश दिए थे।
उच्च न्यायालय नैनीताल से बस्ती वासियों की याचिका रद्द होने के बाद प्रशासन ने उनको सर्वोच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखने तक का भी समय नहीं दिया।
गुरुवार को प्रातः 10 बजे प्रशासन द्वारा बस्ती ध्वस्त करने की कार्यवाही शुरू हुई। नगीना कॉलोनी के लोगों एवं प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, परिवर्तन कामी छात्र संगठन, आम आदमी पार्टी सहित तमाम राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों ने शुरुआत में भारी विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस ने बल प्रयोग के बाद दर्जनभर प्रदर्शनकारियो को गिरफ्तार कर लिया और धवस्तिकरण की कार्रवाई शुरू कर दी।
नगीना कॉलोनी स्थित गरीब मजदूर बस्ती पर भाजपा-आरएसएस की डबल इंजन सरकार के प्रशासन ने बेरहमी से बुलडोजर चलाकर बस्ती में पिछले 40-50 सालों से कई पीढ़ियों से रह रहे गरीब मजदूरों और उनके बच्चों के घरों और स्कूलों ध्वस्त कर दिया।
वर्ष 2022 तक हर नागरिक के सिर पर छत उपलब्ध कराने का नारा लगाने वाली भाजपा-आरएसएस सरकार ने गरीब मजदूरों के घर और मजदूरों और उनके बच्चों, यहां तक कि गर्भवती महिलाओं और बीमार बुजुर्गो को उनके घरों से बेदखल कर दिया। ‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ’ का नारा लगाने वाली सरकार बेटियों के स्कूलों पर बुलडोजर चलकर बेटियों के शिक्षित होने के अरमानों को कुचल दिया।
इस अन्याय का चौतरफा विरोध
दमनात्मक घटना के तुरंत बाद से इसका विरोध शुरू हो गया। 18 मई को हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, प्रगतिशील युवा संगठन के कार्यकर्ताओ ने उत्तराखंड सरकार और रेलवे का पुतला फूंका।
कार्यकर्ताओं ने कहा कि शासन-प्रशासन ने गरीब बस्ती वासियों को उजाड़ने में ना तो लोकतांत्रिक नागरिक अधिकारों का ख्याल रखा और ना ही मानवीयता के आधार पर व्यवहार किया। कार्यवाही कुछ इस प्रकार से हुई कि कोई भू-माफिया अपने लठैत के जरिए गरीबों की बस्ती उजाड़ रहा हो।

आज नगीना बस्ती तोड़े जाने से साफ है कि स्थानीय विधायक से लेकर उत्तराखंड की भाजपा सरकार हो या केंद्र की मोदी सरकार सब मजदूर मेहनतकश विरोधी हैं।
कार्यकर्ताओं ने एक स्वर में मांग की कि सभी गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा किया जाए। साथ ही नगीना बस्ती वासियों के पुनर्वास की तत्काल व्यवस्था की जाए।
प्रदर्शन करने वालों में रजनी, आरती, गुंजन, रीना, टीकाराम, मोहन, रमेश, मुकेश भंडारी, मुकेश गुप्ता, आनन्द दरमवाल, सुरेश पूर्व कांग्रेसी कमेटी सदस्य, गौरव बजेला, रियासत, रईस, चंदन उत्तराखंड युवा एकता मंच से पीयूष जोशी, कार्तिक, बॉबी पवार आदि रहे कई लोग उपस्थित थे।