मोदी राज में सबसे बड़ा बैंक घोटाला; 28 बैंकों और एलआईसी को 22,842 करोड़ का लगा चूना

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गुजरात की एबीजी कंपनी की इस धोखाधड़ी से बैंकिंग घोटाले के अबतक के सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं। …मोदी शासन में अब तक 5.35 लाख करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी हो चुकी है। 

मोदी राज में ताबड़तोड़ बैंक घोटाले सामने आ रहे हैं। हर नया घोटाला पहले से काफी बड़ा होता है। अब देश में बैंक धोखाधड़ी का एक और सबसे बड़ा मामला सामने आया है। आंकड़ा इतना बड़ा है कि बैंकिंग घोटाले के सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं।

गुजरात की कंपनी द्वारा 22,842 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी से 28 बैंकों और एलआईसी को चूना लगा है।

इसमें लिप्त एक ही ग्रुप की दो कंपनियां हैं। जिसका नाम है एबीजी शिपयार्ड और एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड। सीबीआई के मुताबिक गुजरात के सूरत की ये कंपनी पानी के जहाजों के निर्माण और उनकी मरम्मत समेत उससे जुडे़ दूसरे काम भी करती है।

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सीबीआई ने एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और उसके तत्कालीन अध्यक्ष व मैनेजिंग डायरेक्टर ऋषि कमलेश अग्रवाल सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। यह मुकदमा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई वाले बैंकों के एक संघ से कथित रूप से 22,842 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के संबंध में दर्ज किया गया है।

एजेंसी ने अग्रवाल के अलावा तत्कालीन कार्यकारी निदेशक संथानम मुथास्वामी, निदेशकों – अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवेतिया और एक अन्य कंपनी एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ भी कथित रूप से आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आधिकारिक दुरुपयोग जैसे अपराधों के लिए मुकदमा दर्ज किया। इन लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा किया गया है।

अधिकारी ने कहा कि कंपनी को एसबीआई के साथ ही 28 बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने 2468.51 करोड़ रुपये के ऋण को मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक ऑडिट से पता चला है कि वर्ष 2012-17 के बीच आरोपियों ने कथित रूप से मिलीभगत की और अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया, जिसमें धन का दुरुपयोग और आपराधिक विश्वासघात शामिल है। यह सीबीआई द्वारा दर्ज सबसे बड़ा बैंक धोखाधड़ी का मामला है।

कुल 28 बैंकों के साथ हुई धोखाधड़ी में एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, आईडीबीआई, पंजाब नेशनल बैंक समेत प्राइवेट बैंक आईसीआसीआई भी शामिल हैं और साथ ही एलआईसी को भी चूना लगाया गया है।

इस घोटाले का सबसे पहला खुलासा अगस्त 2020 में हु,आ जब 25 तारीख को एसबीआई के एक डिप्टी जीएम ने सीबीआई को लिखित में शिकायत की थी।

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एबीजी कंपनी पर आरोप क्या हैं

  • इसमें एबीजी द्वारा सरकारी जायदाद हड़पने का आरोप है।
  • एबीजी ने बैंकों के समूह से लोन और कई तरह की क्रेडिट सुविधाएं ली।
  • बैंकों से मिले पैसों को सहयोगी कंपनियों के जरिए विदेशों में भी भेजा गया।
  • बैंकों से लोन के पैसे से विदेशों में जायदाद और शेयर खरीदे गए।
  • नियमों को ताक पर रखकर पैसों को एक कंपनी से दूसरी कंपनियों में भेजा गया।
  • एबीजी ग्रुप ने गैरकानूनी तरीके से बैंकों से पैसे लिए।

बताया जा रहा है कि एबीजी कंपनी ने अपने बनाए जहाज विदेशों में भी बेचे हैं, लेकिन कंपनी ने तमाम नियम-कानूनों को ताक पर रखकर बैंकों के ग्रुप को हजारों करोड़ का चूना लगाया।

किसको कितना चूना लगाया?

एफआईआर के मुताबिक एबीजी कंपनी के चलते एसबीआई को 2468 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ तो साथ ही एलआईसी को भी 136 करोड़ का चूना लगाया। बैंकों के ग्रुप के साथ कुल 22842 करोड़ की धोखाधड़ी हुई है। ये घोटाला 2012 से 2017 के दौरान का है।

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सीबीआई ने इस मामले में मुकदमा दर्ज करने के बाद 13 जगहों पर छापेमारी की। जिसके दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए। सीबीआई सूत्रों का दावा है कि मामले की जांच की आंच बैंकों के बड़े अधिकारियों तक पहुंच सकती है। जैसे-जैसे जांच बढ़ेगी वैसे-वैसे कई नेताओं के नाम भी सामने आने की भी आशंका है।

कुछ प्रमुख बैंक घोटाले

बैंक धोखाधड़ी का यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी कई बैंकिंग घोटाले सामने आते रहे हैं।

मोदी शासन में अब तक 5.35 लाख करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी हुई है। 

विजय माल्या का 9000 करोड़ रुपये का घोटाला

शराब कारोबारी और बैंकों से कर्ज लेकर फरार विजय माल्या के खिलाफ 9000 करोड़ रुपये के फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से बार-बार समन किए जाने के बावजूद माल्या अब तक पेश नहीं हुए। कुछ दिनों पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें आखिरी बार कार्ट में पेश होने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है।

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पंजाब नेशनल बैंक घोटाला

नीरव मोदी का पंजाब नेशनल बैंक घोटाला आप सबको याद ही होगा. नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी पर 13500 करोड़ रुपये से ज्‍यादा की धोखाधड़ी का आरोप है। यह फ्रॉड इन्‍होंने पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में किया और फरार हो गए। इस घोटाले में नीरव मोदी के अलावा उनकी पत्नी ऐमी, भाई निशाल, और चाचा मेहुल चोकसी मुख्य अभियुक्त हैं। यह उस समय भारत का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला था।

वीडियोकॉन घोटाला

मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला जनवरी 2019 में दर्ज हुआ था। इसमें आरोप था कि ICICI बैंक और वीडियोकॉन ग्रुप के बीच जो डील हुई है उसमें मनी लॉन्ड्रिंग की गई है। ICICI बैंक और वीडियोकॉन के शेयर होल्डर अरविंद गुप्ता ने प्रधानमंत्री, रिजर्व बैंक और सेबी को एक खत लिखकर वीडियोकॉन के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत और ICICI की सीईओ व एमडी चंदा कोचर पर एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया था।

इसमें दावा है कि धूत की कंपनी वीडियोकॉन को आईसीआईसीआई बैंक से 3250 करोड़ रुपये करोड़ रुपये का लोन दिया गया और इसके बदले धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की वैकल्पिक ऊर्जा कंपनी ‘न्यूपॉवर’ में अपना पैसा निवेश किया।

ईडी का आरोप है कि चंदा कोचर की अध्यक्षता वाली आईसीआईसीआई बैंक की एक समिति ने वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को 300 करोड़ रुपये के कर्ज की मंजूरी दी, और कर्ज जारी करने के अगले दिन वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज ने आठ सितंबर 2009 को 64 करोड़ रुपये न्यूपॉवर रिन्यूएबल प्राइवेट लिमिटेड (एनआरपीएल) को हस्तांतरित किए।

एनआरपीएल के मालिक दीपक कोचर हैं। CBI ने 22 जनवरी, 2019 को मामला दर्ज कर दीपक कोचर, चंदा कोचर, वेणुगोपाल धूत और उनकी संबंधित फर्मों के खिलाफ जांच शुरू की थी।

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पीएमसी बैंक घोटाला

पंजाब व महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक में एक बड़ा घोटाला सामने आया था। साल 2019 में पीएमसी बैंक में 4 हजार 355 करोड़ रुपये का बैंक घोटाला हुआ था, जिसके मुख्य आरोपी बैंक के डायरेक्टर दलजीत सिंह बल थे। इस बैंक स्कैम की जांच महाराष्ट्र इकोनॉमिक्स ऑफेंस विंग कर रही थी।

सितंबर 2019 में, एक व्हिसल-ब्लोअर की मदद से आरबीआई को पता चला कि PMC बैंक मुंबई के एक रियल इस्टेट डेवलेपर को क़रीब 6500 करोड़ रूपये लोन देने के लिए नकली बैंक खातों का उपयोग कर रहा है। जानकारी सामने आते ही लाखों बैंकधारकों को एहसास हो गया था कि उनकी मेहनत की कमाई घोटाले के कारण फंस गई है। पीएमसी बैंक को संकट से बचाने के लिए आरबीआई ने सितंबर 2019 को पैसे निकालने पर मोरेटोरियम लगा दी थी यानी निकासी की सीमा निर्धारित कर दी थी।

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रोटोमैक का 3695 करोड़ का घोटाला!

रोटोमैक ब्रांड नाम से कलम बनाने वाली कंपनी के प्रवर्तक विक्रम कोठारी ने कथित रूप से सात बैंकों के साथ 3,695 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की।

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